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सोमवार, जून 22, 2020

'कैनवास में आज कुसुम कोठारी जी की रचनाएँ' (चर्चा अंक-3740)

सादर अभिवादन।

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

चर्चामंच आज एक नई पहल 'कैनवास' का आग़ाज़ करता है। 

कैनवास में आज आदरणीया कुसुम कोठारी जी की रचनाएँ-

          आज चर्चामंच की प्रस्तुति ब्लॉग-जगत् की जानी-मानी रचनाकार आदरणीया कुसुम कोठारी जी की रचनाएँ प्रस्तुत की जा रहीं हैं। उनकी सोशल मीडिया पर रचनात्मक सक्रियता से अमूमन सभी वाक़िफ़ हैं। समकालीन विषयों से लेकर ऐतिहासिक-पौराणिक पात्रों पर विमर्श को आमंत्रित करता उनका सृजन पाठक को सहज ही मंत्रमुग्ध कर देता है। मुझे उनकी एक बात सर्वाधिक प्रभावित करती है कि वे बिना किसी प्रतिक्रिया की उम्मीद किए सतत रचनात्मक सृजन में ख़ुद को व्यस्त रखतीं हैं। स्थानीय विषय हों या लोकरुचि के आयाम लिए लोक-साहित्य या फिर आधुनिक साहित्य की चुनौतियाँ में नवगीत सृजन हो सभी क्षेत्रों में वे शिद्दत से अपना दख़ल रखतीं हैं। 

आज आपके समक्ष आदरणीया दीदी कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा' जी के सृजन के ख़ूबसूरत आयाम लेकर मैं हाज़िर हूँ। 

   ख़ूबसूरत बिम्बों के साथ शब्द-चयन और विषयवस्तु रचना को विशेष आकर्षण प्रदान करते हैं। पढ़िए उनकी रचना 'प्रतीक्षा' में भावपक्ष और कलापक्ष एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते नज़र आते हैं-      
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नारी-विमर्श पर वैदिक-साहित्य की किरदार 'द्रोपदी' के अंतर्द्वंद्व और मनोदशा को चित्रित करती रचना बार-बार पढ़ने से भी मन नहीं भरता। हर बार आपको नए-नए अर्थों का एहसास साहित्यिक चेतना की गहराई में ले जाता है। 'भेद विदित का' रचना आपके मन-मस्तिष्क को मथने वाली शानदार रचना है-  
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जीवन में पिता का स्थान संतान के लिए अति विशिष्ट होता है। अनुशासन के साथ संतान को संस्कारित करता पिता सदैव संतान का भला ही चाहता है भले ही संतान को समझने में कितना ही समय क्यों न लग जाय। 'जनक जीवन की आधारशिला' रचना में पिता का मार्मिक स्मरण हृदयस्पर्शी है-  
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मनमोहक बिम्बों से सुसज्जित एक नवगीत 'उर्मि की स्वर्णिम माला' जीवन के प्रति सकारात्मकता के विकास का गीत है-
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प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को अद्भुत बिम्बों और प्रतीकों में समेटता मनमोहक नवगीत 'आस मन पलती रही' सुंदर शब्द-विन्यास के साथ मर्म को छू लेता है- 
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समकालीन परिस्थितियों में व्यक्ति की दशा और दिशा के साथ उपजीं बिडंबनाओं का ख़ूबसूरत अंदाज़ में बयां करती बेहतरीन रचना 'पत्थरों के शहर' का पढ़कर आनंद लीजिए-
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जीवन की गिरतीं-उठतीं लहरों में कश्मकश के भंवर आते हैं तब मन की मजबूती ही नई राहें दिखाती है। ख़लल अर्थात विघ्न-बाधाओं को अनावश्यक ख़याल से क्यों आमंत्रित किया जाय। पढ़िए 'रूह से सज्दा' रचना जो आपको तरंगित कर देगी- 
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माँ के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है फिर भी इस विषय पर सृजन की सम्भावनाएँ बरक़रार हैं। 'मदर्स डे' पर 'माँ' रचना में पिरोए गए हैं मार्मिक एहसास-  
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बेटियाँ अपने अस्तित्त्व के लिए सतत संघर्षशील हैं। एहसासों की सुंदर गाथा है बेटियों का संघर्ष जिसे नया अर्थ प्रदान करती रचना 'बेटियाँ पथरीले रास्तों की दूर्वा' का शीर्षक ही अपने आप में एक सूत्र वाक्य है-
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बसंत के बाद रंग-विरंगे फूल-पत्तियाँ पतझड़ में अदृश्य हो जाते हैं तब ग्रीष्म ऋतु में गुलमोहर खिलता है और नयनाभिराम सौंदर्य का हेतु बनता है। 'कहो तो गुलमोहर' रचना में कवयित्री का निरपेक्ष आग्रह बिम्ब-विधान का शानदार चित्रण- 
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काव्य में ओजस्विता का विशेष महत्त्व है। संघर्ष को अभिव्यक्ति देने का कवयित्री का हुनर क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। पढ़िए 'बन तस्वीर संवरी हूँ मैं' रचना में सृजन का सुंदर अंदाज़-
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चलते-चलते वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की योग दिवस पर विशेष प्रस्तुति-

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शब्द-सृजन-27  का विषय है-

'चिट्ठी'

उदाहरणस्वरुप कवि मंगलेश डबराल जी की एक कविता-
बच्चों के लिए एक चिट्ठी

मंगलेश डबराल
प्यारे बच्चो हम तुम्हारे काम नहीं आ सके। तुम चाहते थे हमारा कीमती समय तुम्हारे खेलों में व्यतीत हो। तुम चाहते थे हम तुम्हें अपने खेलों में शरीक करें। तुम चाहते थे हम तुम्हारी तरह मासूम हो जाएँ।प्यारे बच्चो हमने ही तुम्हें बताया था जीवन एक युद्धस्थल है जहाँ लड़ते ही रहना होता है। हम ही थे जिन्होंने हथियार पैने किए। हमने ही छेड़ा युद्ध हम ही थे जो क्रोध और घृणा से बौखलाए थे। प्यारे बच्चो हमने तुमसे झूठ कहा था।यह एक लंबी रात है। एक सुरंग की तरह। यहाँ से हम देख सकते हैं बाहर का एक अस्पष्ट दृश्य। हम देखते हैं मारकाट और विलाप। बच्चो हमने ही तुम्हे वहाँ भेजा था। हमें माफ कर दो। हमने झूठ कहा था कि जीवन एक युद्धस्थल है।प्यारे बच्चो जीवन एक उत्सव है जिसमें तुम हँसी की तरह फैले हो। जीवन एक हरा पेड़ है जिस पर तुम चिड़ियों की तरह फड़फड़ाते हो। जैसा कि कुछ कवियों ने कहा है जीवन एक उछलती गेंद है और तुम उसके चारों ओर एकत्र चंचल पैरों की तरह हो।प्यारे बच्चो अगर ऐसा नहीं है तो होना चाहिए।
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आप इस विषय पर अपनी रचना
 (किसी भी विधा में) आगामी शनिवार
 (सायं बजे)   तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म
 (Contact Form )  के ज़रिये हमें भेज सकते हैं।
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आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
--
रवीन्द्र सिंह यादव 

26 टिप्‍पणियां:

  1. उपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    धन्यवाद आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! आदरणीय कुसुम जी के रचनात्मक सौन्दर्य से पाठकों को चकाचौंध करती अनुपम प्रस्तुति! शुभकामना, आभार और बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आपका विश्वमोहन जी आपकी प्रतिक्रिया से सदा उत्साहवर्धक हुआ है,आपकी इस सुंदर टिप्पणी से मेरी लेखनी को सार्थकता मिली ।
      सादर।

      हटाएं
  3. कुसुम जी की सभी रचनाएँ वाकई शानदार हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत सा आभार आपका!
      उत्साहवर्धन करती सुंदर प्रतिक्रिया ।
      सदा स्नेह की आकांक्षा।
      सादर ।

      हटाएं
  4. आदरणीया कुसुम दी की शुद्ध साहित्यिक लेखनी से निसृत रचनाएँ सदैव विशिष्ट हैं।
    अनुपम शब्दों से गूँथी कल-कल प्रवहित पावन,निर्मल भावांकन शब्द संयोजन का अनूठा सौंदर्य सहज ही
    महादेवी,पंत और निराला युगीन साहित्य की याद दिलाता है।
    अतुकांत,छंद,नवगीत,हायकु,कुंडलियाँ जैसे साहित्यिक लुप्तप्राय विधाओं को जीवंत करना उनके साहित्य सेवा और उनकी सृजनात्मक प्रतिभा का द्योतक है। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में उनकी सशक्त अभिव्यक्ति सराहनीय है। उनकी एक-एक रचना सकारात्मक संदेश से युक्त ऊर्जा का संचरण करती है।

    कुसुम दी की लेखनी और उनके सौम्य सरल,सहयोगी व्यक्तित्व लिखने की क्षमता मेरी लेखनी में नहीं।
    जी दी मेरा सादर प्रणाम स्वीकार करें आपकी लेखनी के लिए मेरी सस्नेह असीम अनंत शुभकामनाएं।

    आज की अतिविशिष्ट प्रस्तुति के लिए रवींद्र जी को बहुत-बहुत बधाई।

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    उत्तर
    1. ओह प्रिय श्वेता आपकी इस टिप्पणी से मैं निशब्द हूं,आपने मुझे और मेरे लेखन को सदा मान दिया हैं,
      और आज तो मैं कह नहीं सकती जो आपने लिखा है मेरे और मेरे लेखन के बारे में ,वो एक अमूल्य उपहार है मेरे लिए ,आपकी अभिभूत करती प्रतिक्रिया सदा धरोहर जैसे सहेजकर रखूंगी ।
      ढेर सा स्नेह।

      हटाएं
  5. बहमुखी प्रतिभा की धनी कुसुम जी को "कैनवास" की प्रस्तुति के माध्यम से पढ़ना सुखद अहसास है । अभिनव प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय मीना जी बहुत बहुत सा स्नेह आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया सदा मुझे आत्मबल देती है, आपका स्नेह मेरे लेखन में उर्जा भरता है ,सदा स्नेह बनाए रखें।
      सस्नेह।

      हटाएं
  6. वाह! एक नई पहल के साथ लाजवाब और सराहनीय प्रस्तुतिकरण.
    बहुत-बहुत आभार आदरणीय रविंद्र जी सर शानदार प्रस्तुति हेतु .
    ब्लॉग जगत में आदरणीया कुसुम दीदी एक जानी-मानी हस्ती हैं.जितना सुंदर मोहक आपका लेखन है वैसा ही सौम्य व्यक्तित्व है आपका.मृदुलभाषी विशाल हृदय की स्वामिनी तूलिका में जब शब्दों को उकेरतीं हैं तब मोती-से बिखर जाते हैं.
    माँ के जैसे आपने मेरा मार्गदर्शन किया है समझ नहीं आता क्या लिखूँ आप के सम्मान में.आपकी क़लम यों ही डग भरती चले.यथार्थ के धरातल पर कल्पना को मन चाही उड़ान मिले.मेरा सादर प्रणाम स्वीकारे आदरणीय दीदी🙏.

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    उत्तर
    1. प्रिय अनिता आपकी स्नेह से ओतप्रोत काव्यात्मक प्रतिक्रिया मेरी रचनाओं का विस्तार है ,इतना स्नेह मान दिया है आपने सदा जिसको मैं कभी आभार जैसे शब्द में नहीं बांध सकती ,आपकी शसक्त लेखनी से आपने मेरे लेखन को जो सम्मान दिया है वो शब्दों से बाहर है।
      ढेर सा स्नेह।

      हटाएं
  7. प्रिय कुसुम जी सौम्य,सुन्दर व्यक्तित्त्व की धनी हैं और यह उनकी रचनाओं में परिलक्षित होता है। उनकी लेखनी कभी कोमल कभी धारदार तथा कभी भक्त की भावना ओत प्रोत होती है।
    उनकी लेखनी निरन्तर अपनी ऊंची उड़ान के साथ आगे बढ़ती रहे। ढेरों सुभकामनाएँ.....।

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    उत्तर
    1. सादर प्रणाम दी आपका आशीर्वाद मिला ये मेरा सौभाग्य है,आपसे सदा स्नेह और सराहना मिलती रहती है,जो सदा मेरे आगे के लेखन में उत्साहवर्धक होती है।
      बहुत बहुत सा स्नेह दी।

      हटाएं
  8. कुसुम दीदी को ब्लॉगजगत में कौन नहीं जानता।उनकी सभी रचनाएँ विशिष्ट होती हैं। विभिन्न भावों से सराबोर उनकी रचनाएँ मन को छू जाती हैं और हृदय में एक नई ऊर्जा का संचार करती हैं।उनका सरल सरस स्वभाव उनके शब्दों में परिलक्षित होता है उन्हीं शब्दों से वे सबको अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं।
    कुसुम दीदी की लेखनी को मेरा प्रणाम। उनकी लेखनी से सदा यूँ ही भावों की मंदाकिनी बहती रहे।ढेरों शुभकामनाएं दीदी।💐💐💐💐💐

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    1. सस्नेह आभार सुधा जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मेरे लिए विशिष्ट है ,इतनी सुंदर व्याख्यात्मक टिप्पणी के लिए हृदय तल से आभार।
      आपकी अभिनव टिप्पणी ने मुझमें नये उत्साह का संचार किया है।
      सस्नेह।

      हटाएं
  9. सादर अभिवादन!!
    "कैनवास"एक वैचारिक परिदृश्य
    चर्चा मंच को इस नई पहल के लिए हृदय तल से बधाई ।
    ये सार्थक पहल साहित्य ब्लाॅग संसार में नये कीर्ति मान स्थापित करें ऐसी शुभकामना करती हूं।
    कैनवास की पहली ही प्रस्तुति में मेरे ब्लाग से रचनाएं चुनकर उन पर सांगोपांग समीक्षा के साथ पेश करने के लिए मैं चर्चा मंच, भाई रविन्द्र सिंह यादव जी, एंव सभी चर्चा कारों को अंतर हृदय से आभार व्यक्त करती हूं, आप ने मुझे और मेरी रचनाओं को जो सम्मान दिया है उसके लिए में सविनय अनुग्रहित रहूंगी।
    साथ ही चर्चा मंच पर उपस्थित सभी रचनाकारों , पाठकों को मैं सादर आभार अभिव्यक्त करती हूं आप सब का स्नेह सदा मिलता रहे ,ये मेरे लेखनी की उर्जा है और साहित्य सफर का आधार स्तंभ।

    पुनः आत्मीय आभार सादर वंदन।

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  10. भाई रविन्द्र सिंह जी आपने मेरी सभी रचनाओं को मथ कर जो सार व्याख्या दी है वो मेरे लिए एक आनंद दायक अनुभूति हैं,आपने हर सृजन के भावों को इतनी सुंदरता से समझा और टीका दिया है वो काबिले तारीफ है आपने मेरी इन रचनाओं को अमूल्य कर दिया ,इनके लिए आभार शब्द छोटा होगा , बहुत बहुत सा आत्मीय स्नेह। ‌

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  11. "कैनवास" के माध्यम से चर्चामंच का एक और सुंदर और सराहनीय प्रयास ,आदरणीय कुसुम जी बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। उनके व्यक्तित्व और सृजन के विषय में मेरा कुछ कहना अर्थात " सूरज को दीपक दिखाना " और ये हिमाक़त मैं नहीं कर सकती। उनकी लेखनी को मेरा सत सत नमन ,माँ सरस्वती अपनी कृपा उन पर हमेशा बनाए रखे यही कामना करती हूँ ,सादर नमस्कार कुसुम जी

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  12. अप्रतिम अप्रतिम मीता अप्रतिम ...प्रकृति चितेरिता की तो आप मर्मज्ञ हो हीं भाषा और भाव की भी आप धनी हो ...आपके लेखन को पढ़ा नहीं जाकर आत्म सात करने का मन होता हैं ।
    आज बहुत दिनो बाद पुनः ब्लॉग पर आई हू आपको .सक्रिय देख कर मन एक असीम सूख से भर उठा ॥
    पुनः बधाई आपको आपकी लाजवाब लेखन की
    👏👏👏👏👏👍👍👍❤

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  13. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय रवीन्द्र भाई , सर्वप्रथम तो क्षमाप्रार्थी हूँ , इस सुंदर प्रस्तुति पर विलम्ब से उपस्थित होने के लिए | जबकि ये प्रस्तुति मैंने कल ही देख ली थी पर लिखने के लिए आ ना सकी | प्रिय कुसुम बहन पर ये आयोजन उनकी अप्रितम प्रतिभा के अनुरूप है | उनकी रचनात्मकता और सौम्य शालीन व्यवहार का ब्लॉग जगत में कौन मुरीद नहीं !छायावाद से प्रेरित उनकी रचनाएँ अपना विशेष महत्व रखती हैं तो गज़लों , गीतों में भी उनका हाथ खुला है | भावों और शब्दों की धनी कुसुम बहन प्रकृति चित्रण और संवेदनाओं की भूमि पर सशक्त पकड़ रखती हैं | उनकी उपलब्धियां अनेक हैं |उस पर ये सम्मान सोने पे सुहागा है | कुसुम बहन की चयनित रचनाएँ लाजवाब हैं | मानों अनमोल मोती चुन लिए गये उनके ब्लॉग से | आह्लादित मन से उन्हें ढेरों शुभकामनाएं और बधाइयाँ |कुसुम बहन , ब्लॉग और साहित्य जगत में आप यूँ ही चमकती रहें और आपकी सधी लेखनी का जादू कभी कम ना हो | ब्लॉग पर आपसे परिचय मेरे लिए गर्व का विषय है | आपका स्नेह निरंतर मेरी रचनाओं की सराहना के रूप में मुझे मिलता रहा है | मेरे लिए ही नहीं, सम्पूर्ण ब्लॉग जगत की एक सजग पाठिका के रूप में आपका अभिनन्दन करती हूँ | सादर, सस्नेह प्रणाम और पुनः बधाई |
    चर्चा मंच की इस मनभावन सुखद पहल के लिए , चर्चा मंच को हार्दिक आभार और शुभकामनाएं| कामना है ये सफ़र
    निर्बाध चले | |

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  15. चर्चा मंच का एक दिन आपके नाम मुबारक हो कुसुम बहन ||

    जवाब देंहटाएं

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