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शुक्रवार, अक्तूबर 23, 2020

"मैं जब दूर चला जाऊँगा" (चर्चा अंक- 3863 )

सादर अभिवादन !

शुक्रवार की  प्रस्तुति  में आप सबका हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन ! 

आज की चर्चा का आंरभ सुप्रसिद्ध साहित्यकार वृंदावनलाल वर्मा जी द्वारा रचित "सूरज के घोड़े"

से करते हैं-


सूरज के घोड़े इठलाते तो देखो नभ में आते हैं।

टापों की खटकार सुनाकर तम को मार भगाते हैं

कमल-कटोरों से जल पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं

सूरज के घोड़े इठलाते तो देखो नभ में आते हैं।

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आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-

Remember a poem : Christina Rossetti

(अनुवादक : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

चला जाऊँगा शान्त नगर में!

पकडकर तब तुम मेरा हाथ,

पुकारोगी मुझको स्वर में! 

नही अधूरी मंजिल से,

मैं लौट पाऊँगा!

तुमसे मैं तो दूर,

बहुत ही दूर चला जाऊँगा!

***

बिहार-विलाप

कोरोना-संकट के बीच बिहार-चुनाव की धूम मची हुई है.कोई दस लाख युवाओं को रोज़गार देने वाला है तो कोई राम-राज्य की पुनर्स्थापना कर उसकी राजधानी पटना शिफ्ट करने वाला है और कोई अपने दिवंगत पिता के नाम पर सहानुभूति के वोट मांगने वाला है.

***

राम ने कहा था

मूढ़ प्रजा के तर्कहीन लांछनों को महत्त्व दे उन्होंने पुन: तुम्हें अस्वीकार कर दिया ? बोलो सीता तुमने माता धरती का आह्वान क्यों किया था ?”

व्याकुल और विह्वल सीता का उत्तर – “राम ने कहा था !“

जानती हो सीता इस तरह आँख मूँद कर पति की हर सही गलत बात का अनुसरण कर तुमने नारी जाति के लिए कितनी मुश्किलें पैदा कर दी हैं !

***

जब भी मिलती हूँ मैं

गर्व में डूबा मन इन्हें सेल्यूट करता 

पैरों में चुभते शूल एहसास सुमन-सा देते 

आत्ममुग्धता नहीं जीवन में त्याग पढ़ती हूँ ।


परिवर्तन के पड़ाव पर जूझती सांसें 

सेवा में समर्पित सैनिक बन सँवरतीं हैं  

समाज के अनुकूल स्वयं को डालना पढ़ती हूँ।

***

रावण की नाभि का अमृत

सदियाँ बीत गईं उसे मरे,

पर लगता है,

पूरा काम नहीं कर पाया था 

राम का अग्नि-वाण,

लगता है, बच गया था 

रावण की नाभि में 

थोड़ा-सा अमृत.

***

मौन का दण्ड

आपका विश्वास ही हमारा पुरस्कार ' कम्पनी द्वारा ग्राहकों से किये इस वायदे में सच्चाई थी। उन्हें पूरा भरोसा था कि उनका लायक पुत्र इसे और ऊँचाई पर ले जाएगा।सो,आज वे बहुत खुश थे। कर्मचारियों में भी उत्साह दिखा।

***

शरद पूर्णिमा के मयंक से

ग्रीष्म ऋतु के सूरज जैसा

दाहक दंभ सहा दुनिया का,

शरद पूर्णिमा के मयंक से

झरते सुधा-बिंदु हो तुम !

***

देहाती  

फ़िक्रमंद हूँ, उन सभी के लिए   

जिन्होंने सूरज को हथेली में नहीं थामा   

चाँद के माथे को नहीं चूमा   

वर्षा में भीग-भीगकर न नाचा न खेला   

माटी को मुट्ठी में भरकर, बदन पर नहीं लपेटा  

***

इतना तो मैं दूर नहीं

इतना तो मैं दूर नहीं जो ,

शुभ संदेशों का भी स्वागत ,  

अन्तर द्वार नहीं कर पाए ||

माना बेरी के फल जैसा ,

शूलों में उलझा जीवन है |

***

पुस्तक अंश: प्यार के रंग - अरुण गौड़

अरुण गौड़ अपनी लेखनी के माध्यम से जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर करने की कोशिश करते रहते हैं। उनके व्यंग्य और कहानियाँ देश की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं। 

***

शक्ति पुंज हो ,शक्ति का आवाह्न करो...

द्रोपदी  का चीर  हरण  नित्य होता रहा 

 दर्द की कराह रौंद जग आगे बढ़ता रहा

राजनीति सियासत का पासा फेकती रही.....

उसूल मरता,न्यायालय जमानत देता रहा ।।

***

शब्द "अनंत का अंत"

हाँ !!!!

मेरा वह आलौकिक शब्द 

"नि:शब्द"है l

क्योंकि  भाव...

शब्द का मोहताज नहीं ~~~l

***

अखण्ड भारत की पहली आजाद सरकार

"अर्जी हुकूमत - ए - आजाद हिन्द"

नेताजी ने आजाद हिन्द फौज में महिला रेजिमेंट की स्थापना की जिसका नाम था "रानी  झांसी रेजिमेंट" जिसकी कमान कैप्टन लक्ष्मी सहगल के हाथो में थी। लोग आज के जमाने में महिला सशक्तीकरण  की बात करते है नेताजी के आजाद हिन्द सरकार ने इसको साबित किया।

***

आपका दिन मंगलमय हो...

फिर मिलेंगे…

🙏🙏

"मीना भारद्वाज"

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12 टिप्‍पणियां:

  1. सदैव की तरह सुंदर भूमिका और प्रस्तुति ।

    इस प्रतिष्ठित मंच पर मेरे सृजन ' मौन का दण्ड ' को स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार मीना दीदी जी।

    सभी को नमस्कार 🙏सुप्रभात🌹

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। आदरणीय मीना जी मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार।

    सुप्रभात🌻🙏


    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर प्रस्तुति। मेरी कविता को स्थान देने के लिए हृदय से धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. सदैव की भांति सुन्दर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. हमेशा की तरह अच्छे लिंक्स का संयोजन ....
    बधाई
    🍁🙏🍁

    जवाब देंहटाएं
  6. सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी प्रस्तुति को भी इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  7. मैं तो आज यहाँ पहली बार आया हूँ | पर इंद्र धनुष के रंगों की तरह सजी यह वाटिका देख कर बहुत अच्छा लग रहा है |ह्रदय मंत्र मुग्ध सा है और मन अत्यधिक उल्लसित |

    जवाब देंहटाएं
  8. एक से बढ़कर एक बेहतरीन रचनाओं से सजी लाजबाव प्रस्तुति मीना जी, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुंदर रचनाओं का संकलन। मेरी रचना को मंच पर लेकर मुझे गौरवान्वित करने हेतु आपका हृदय से आभार आदरणीया मीनाजी।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय मीना दी देरी हेतु माफ़ी चाहती हूँ समय मिलते ही सभी रचनाएँ पढूंगी। मेरे सृजन को स्थान देने हेतु दिल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।

    जवाब देंहटाएं

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