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रविवार, दिसंबर 13, 2020

"मैंने प्यार किया है" (चर्चा अंक- 3914)

 मित्रों! सादर अभिवादन।
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रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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हमारे आस-पास जो कुछ घट रहा है उसे कवयित्री साधना वैद बाखूबी अपनी लेखनी से चित्रित करती हैं। काव्य और कथा के सभी पहलुओं को संग-साथ चलना एक दुष्कर कार्य होता है मगर विदूषी लेखिका ने इस कार्य को सर्वथा निपुण रही हैं। 
ये अपने ब्लॉग Sudhinama में लिखती हैं-

मैं एक भावुक, संवेदनशील एवं न्यायप्रिय महिला हूँ यथासंभव लोगों में खुशियाँ बाँटना मुझे सुख देता है। 

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गीत " काँटों ने उलझाया मुझको"  
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जीवन के इस दाँव-पेंच में,
मैंने सब कुछ हार दिया है।
छला प्यार में जिसने मुझको,
उससे मैंने प्यार किया है।।
उच्चारण 
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अनीता सैनी, अवदत् अनीता  
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गंगा | कुछ ग़ज़लें | कुछ शेर |  डॉ. वर्षा सिंह 
ग़ज़लों में गंगा की उपस्थिति 

अर्पण-तर्पण करने वाली, सरल-विरल चंचल-मतवाली,
पौधों में भरती हरियाली, अमल-धवल आधार कहाँ ?

भरा प्रदूषण इसमें भारी, नष्ट हुई पावनता सारी
जिसका करते थे अभिनन्दन, कुदरत का शृंगार कहाँ ?
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" 
अंत में मेरी यानी इस ब्लॉग लेखिका डॉ. वर्षा सिंह की ग़ज़लें -

अपने गांव-शहर का पत्थर भला सभी को लगता है
चाक हृदय हो जाता है जब कभी कहीं वह बिकता है

पकने को दोनों पकते हैं, फ़र्क यही बस होता है
नॉनस्टिक में सुख पकते हैं, हांडी में दुख पकता है
डॉ. वर्षा सिंह 
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कविता 

मेरे अंतर्मन से उठते भाव

हुए बेचैन शब्दों में बंधने  को

मीठे मधुर बोलों से बंधे हैं

कविता की पतंग की डोर बने हैं |

रस रंग में सराबोर है

उड़ने को है तैयार कविता

कोई उसे यदि दे छुट्टी

आसमान छूने की ललक रखती है |

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एक व्यंग्य :  मुजरिम हाज़िर हो 
आनन्द.पाठक पुत्र [स्व0] श्री रमेश चन्द्र पाठक साकिन अमुक परगना अलाना जिला फ़लाना वर्तमान निवासी गुड़गाँव.....हाज़िर हो"- अर्दली ने अदालत के बाहर जोर से आवाज़ लगाई ।
-’अबे ! शार्ट में नहीं बोल सकता  क्या..? पूरे खानदान को लपेटना ज़रूरी था ?-मैने विरोध जताया
’-आप ने 10-रुपया दिया था क्या ? भला मनाइए कि मैने 4-पुरखों तक नहीं लपेटा-
मैने 10-का एक नोट थमाया और बोला-" बेटा आगे से ध्यान रखना’
’ठीक है स्साब ! ’सलाम स्साब !
आनन्द पाठक, आपका ब्लॉग 
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जग की रीत   कुछ दुमदार दोहे 

बहती जलधारा कभी, चढ़ती नहीं पहाड़ 

एक चना अदना कहीं, नहीं फोड़ता भाड़ !

व्यर्थ मत पड़ चक्कर में !  

Sadhana Vaid, Sudhinama  
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सुख नामी चिड़िया 
झींगुर न जाने क्या गीत गाते हैं,
कुछ नए गीत लिख कर रखना,
जाते जाते श्वेतपर्णी
मेघ दल का है
ये कहना,  
खुली आँखों के ख़्वाब भरी दुपहरी
में आवारा घूमते हैं, बेवजह  
सारा मोहल्ला, कभी
कभी अच्छा
लगता
है 
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा :  
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और कितना 
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा,   
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प्रभाष जोशी जनसत्ता  और मेरा निडर होकर लिखना  ( संस्मरण ) मैंने लिखना किसी से नहीं सीखा बहुत अधिक किताबें भी नहीं पढ़ पाया। पहले दिल्ली में इंडियन एक्सप्रेस अख़बार पढ़ना अच्छा लगता था फिर जब फतेहाबाद हरियाणा आकर रहने लगा तब हिंदी में जनसत्ता अखबार शुरू हुआ दिल्ली से उस को पढ़कर इतना अच्छा लगने लगा कि नहीं मिलता तो जाकर बस अड्डे से खरीद लाता क्योंकि चैन नहीं आता था। पहले जनसत्ता की शुरुआत की कहानी बताना चाहता हूं रामनाथ गोयनका जी ने पहले 1932 में अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की शुरुआत की थी मगर हिंदी का अखबार निकालना उनको ज़रूरी तब लगा जब अपनी गांव की बहन के पति से इंदौर में मिले... 
Dr. Lok Setia, Expressions by Dr Lok Setia 
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मिलन की आरज़ू जगाए रखते हैं। 
पिछली दीदार के खूबसूरत लम्हों को  
आँखों में सजाए रखते हैं,
हम उनसे मुलाक़ात के इंतज़ार में  
अपनी पलकें बिछाए रखते हैं,
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आज का उद्धरण 
विकास नैनवाल 'अंजान', एक बुक जर्नल 
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आज के लिए बस इतना ही...।
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10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    प्रारम्भ बहुत अच्छा किया है |उम्दा लिंक्स से सजा है आज का चर्चामंच |
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद शास्त्री जी |

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय शास्त्री जी,
    सादर नमन
    आपकी पारखी दृष्टि बेहतरीन ब्लॉग लिंक्स का बख़ूबी चयन करने में सक्षम है। आज भी बेहतरीन लिंक्स के साथ मेरी पोस्ट को स्थान देना आपकी सदाशयता है।
    हार्दिक आभार सहित
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  3. अरे वाह ! सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चा मंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह लाजबाव अनेक रंगों से सजी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति। मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीय सर।
    सादर प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  6. विविध रंगों से सजा चर्चा मंच हमेशा की तरह मुग्ध करता है, सभी रचनाएँ अपनी अपनी जगह अद्वितीय हैं, मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति । बेहतरीन लिंक्स का संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
  8. मैंने उसी दिन देखा और पढ़ा था किन्तु टिपण्णी बॉक्स मिला नहीं था|

    हार्दिक आभार आपने मेरा नाम उल्लेखित किया |

    अक्षरवाणी संस्कृत समाचार पत्र सदैव आपका आभारी रहेगा |

    ||सादर नमन ||



    -आचार्य प्रताप

    प्रबंध निदेशक

    अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्रम्
    स्वरदूत - +91-8639-137-355
    अणुड़ाक- acharypratap@outlook.com

    जवाब देंहटाएं

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