शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ.सुशील कुमार जोशी जी।
सादर अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
विभाजन आज के समाज की विकट समस्या है। यह विभाजन व्यक्ति को सामूहिकता से विमुख करता हुआ पहले छोटे-छोटे समूहों में बाँटता है फिर और अधिक विभाजित होकर व्यक्तिगत स्तर तक ले जाता है न चाहते हुए भी व्यक्ति अकेलेपन के मांझे में उलझ जाता है तब उसे ज्ञात होता है कि मानव की प्रवृत्ति तो साझेपन में निहित है न कि अपनी-अपनी पसंद के समूहों में बँटते-बँटते सामाजिकता को तिलांजलि दे बैठना है।
-अनीता सैनी 'दीप्ति'
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आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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गीत "अपने शब्दों में धार भरो"
अब समय आ गया सुखनवरो!
अपने शब्दों में धार भरो।
सोई चेतना जगाने को,
जनमानस में हुंकार भरो।।
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कितना भी
कोशिश करें हम
शराफत पोतने की
दिख जाता है कहीं से भी
फटा हुआ
किसी छेद से झाँकता हुआ हमारा नजरिया
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बड़े बेरहम हैं ये रिश्ते-नाते
'गर लगी आग रहते दूर हैं
बड़े बेक़दर हैं ये रिश्ते-नाते
'गर लगी आँख लेते लूट हैं
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कुछ दिल ने कहा
अच्छे को अच्छे बोल देने मे क्या बुराई है
अच्छाई से आखिर हमारी क्या लड़ाई है
ये तो हर दिल को अजीज होती हैं
इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है ।
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ये क्या कि पत्थरों के शहर में
शीशे का आशियाना ढूंढ़ते हो!
आदमियत का पता तक नही
गज़ब करते हो इन्सान ढूंढ़ते हो !
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मन की ख़ुशी मन को मिले सब मन चाहा
तन बेशक है अब मुरझाया
मगर अब भी सुखी है वो काया !
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कॉलेज को छोड़े करीब
नौ साल बीत गये !
मगर आज उसे जब नौ साल बाद
देखा तो
देखता ही रह गया !
वो आकर्षण जिसे देख मैं
हमेशा उसकी और
खिचा चला जाता था !
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धडकन धडकन बनी बांसुरी ,
टेरे तुमको सांझ सकारे |
तुमको यह वन्दन न सुहाए |
स्नेह गंध सरसी कलियों के ,
हार युगल चरणों पर वारे |
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डिगिरी लैके बेटा दर दर भटकौ ना,
हवा भरौ बेँचौ गुब्बारा
उल्लू हौ।
इनका उनका रफीक का गोहरावत हौ?
जब उ चहिहैं मिले किनारा
उल्लू ह
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नेत्रपाल ने एक चाय ली और एक अखबार खरीदा ! मुखपृष्ठ पर बारामूला में दुश्मन के आतंकी हमले की घटना बड़े बड़े अक्षरों में छपी हुई थी ! नेत्रपाल के दिल की धड़कन बढ़ गयी ! बेचैनी से उसने पूरा समाचार पढ़ा ! इस हमले में अदम्य शौर्य और साहस का परिचय देते हुए कैप्टिन तीरथ सिंह और एक जवान करतार सिंह शहीद हो गये और तीन जवान बुरी तरह घायल हो गए ! तीरथ सिंह का मुस्कुराता चेहरा उसकी आँखों के सामने घूम रहा था ! इस समय नेत्रपाल की आँखों से आँसू और चिंगारियाँ दोनों एक साथ निकल रहे थे
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सुबह के साढे चार बजे थे, मैं हरिद्वार के स्टेशन पर अवाक सा देखता रहा दीवार पर बनाई गई इस पेटिंग को देखकर। कलाकार की गहराई और कार्य को देख रहा था, अकेला और बहुत अकेला। भीड बहुत थी, आवाजाही के बीच मैं बहुत अकेला था उस कलाकार की तरह जो उसे बना चुका था और जो उसे बनाते समय जिस एकांत में जी रहा होगा। सोच रहा था कि कलाकार किसी दीवार पर वृद्वा की पथराई आंखों में जब आंसुओं को उकेर रहा होगा तब उसका मन भीगा हुआ रहा होगा,
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यह कथा है एक कामचोर युवक की जो बिना परिश्रम किए विलासितापूर्ण जीवन जीना चाहता है तथा इसके निमित्त एक उद्योगपति की पुत्री को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उससे विवाह कर लेता है । उसकी सोच यह है कि अब घर-जमाई बनकर जीवन भर ससुराल वालों के धन के बल पर ऐश्वर्यपूर्वक रहना है । उसकी इस सोच को बल इस तथ्य से मिलता है कि उसकी बड़ी साली विवाह के उपरांत भी अपने पिता के घर में ही रहती है एवं उसका साढ़ू पहले से ही घर-जमाई बनकर ससुराल के घर ही नहीं ससुर के व्यवसाय पर भी अधिकार किए बैठा है । किन्तु उसकी स्वाभिमानी पत्नी की सोच यह नहीं है ।
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आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे
आगामी अंक में
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
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बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी दीप्ति जी।
आपका रचना चयन प्रशंसनीय है अनीता जी । मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार ।
जवाब देंहटाएंआभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति । सभी सूत्र अत्यंत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर चर्चा के लिए हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति सभी रचनाएँ लाजवाब है, सभी रचनाकारों को ढेरों बधाई हो, हार्दिक शुभकामनाएं, हार्दिक आभार अनीता जी
जवाब देंहटाएंसदा की तरह उम्दा चर्चा ! सभी स्वस्थ व प्रसन्न रहें
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार भूमिका सत्य कथन हैं अलगाववादी विचार समाज को मूल्य विहिन बना रहा है ।
जवाब देंहटाएंआज़ की प्रस्तुति बहुत शानदार रही सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए सादर आभार।
सादर
प्रशंसनीय चर्चा प्रस्तुति है अनीता जी.... मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबहुत आभार अनीता जी..। सभी लिंक गहरी रचनाओं वाले हैं...। आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत संकलन आज के चर्चामंच का सुन्दर सार्थक लिंक्स के साथ ! मेरी लघुकथा को इसमें सम्मिलित किया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा संकलन
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