आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
कल पहली अप्रैल है और कइयों की नज़र में यह मूर्खता दिवस है| वैसे मूर्ख होना इतना बुरा भी नहीं, कई बार तो यह समझदारी से ज्यादा बेहतर है, क्योंकि समझदार होकर एक अलग ही अहंकार घेर लेता है, जो ज्यादा खतरनाक है| निदा फाज़ली का एक शे'र है -
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है
सोच-समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला|
नादानी की यह माँग बताती है कि समझदारी से मासूमियत, भोलापन कहीं बेहतर है और मासूमियत ही आजकल मूर्खता है, मज़ाक का विषय है, इसलिए कोई मूर्ख बनाए तो मुस्करा देना क्योंकि अगर आप मूर्ख बने हैं तो ज़रूर आपमें दूसरों पर विश्वास करने का गुण है, आप अभी तक मासूम हैं, इसलिए मैं तो कहूँगा -
हैप्पी फ़ूल डे
चलते हैं चर्चा की ओर
चलते हैं चर्चा की ओर
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिलबाग भाई।
जवाब देंहटाएंआपको भी मूर्ख दिवस पर शुभकामनाएं ! वाकई अहंकारी होने से अच्छा है भोला होना। सभी रचनाकारों को बधाई, आभार मुझे भी चर्चा मंच में शामिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहैप्पी फूल डे की अहमियत को इतनी खूबसूरती से पेश किया है आपने । सच में ! सबकुछ खो जाए पर भोलापन नहीं खोना चाहिए किसी भी कीमत पर । सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रही आज की चर्चा।
जवाब देंहटाएंमूर्ख दिवस की बधाई हो।
आपका आभार आदरणीय दिलबाग सर।