शीर्षक पंक्ति: आदरणीया यशोदा अग्रवाल जी ।
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सादर अभिवादन।
शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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कुछ अपनी कुछ अपनों की छोटी-छोटी ख़्वाहिशें उँगली थामती हैं। क़दम-दर-क़दम मुस्कान को अपना बनाती हैं तब ज़िंदगी के मायने ही कुछ और होते हैं। न क़दम लड़खड़ाते हैं और न ही हौसले डगमगाते हैं,बस चलते ही जाने की आरजू अनवरत अनंत तक...
ज़िन्दगी जहाँ एक ओर जश्न है तो दूसरी ओर कड़वा घूँट भी है। कुछ पकड़ते और छूटते हुए के बीच जिसे साम्य मिल जाय वही ज़िन्दगी जीने के अंदाज़ का अनुभव करता हुआ अर्थपूर्ण इबारत लिखता रहता है।
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आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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मैं भगवा का समर्थक, मन का बहुत उदार।
आँख मूँद करता नहीं, नियम-नीति स्वीकार।।
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सच्चे मन से चाहता, करे भाजपा राज।
लेकिन सही सुझाव हैं, हों जनहित के काज।।
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आज की चाहतें और है
कल की ख़्वाहिशें और हैं
जो जीते है ज़िंदगी के पल-पल को
उसके लिये ज़िंदगी के मायने और है
हसरतें कुछ और हैं
वक़्त की इल्तज़ा कुछ और है
हासिल कुछ हो न हो
उम्र का फलसफ़ा कुछ और है
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उनकी किस्सों का, इक अंश हूँ अधूरा सा!
उन किस्सों में, अब भी हूँ थोड़ा सा!
मुकम्मल सा, इक पल,
उत्श्रृंखल सी, इठलाती इक नदी,
चंचल सी, बहती इक धारा,
ठहरा सा, इक किनारा!
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बादलों की ओट से मुझे चाँद दीदार करने दो,
आज की शाम जी भरके प्यार करने दो....
तुम ख़ामोश बैठें सिर्फ सुनते रहो,
इस एक पल में मुझे बातें हज़ार करने दो,
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सुबह
कोई हिचकी
गहरे समा गई
किसी
परिवार
की
आंखों से
छिन गया
सूरज।
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रात में सन्नाटे का शोर
दिन के शोर से ज़्यादा कानो में गूंजता है।
मै अनसुना भी करू तो
अपने ही साए सा पीछा कहा छोड़ता है।
मुझे अकेला नहीं छोड़ता है।
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गूढ़ विषय पर मंत्रणा तुम, बैठ अकेले तो नहीं करते
अथवा सबके साथ बैठकर, गुप्त बात भी फैला देते
जिसका साधन अति ही लघु है, किन्तु दीर्घ फल देने वाला
उस कर्म को शीघ्र तो करते, कर विलम्ब उसे नहीं टाला
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हैं ग्वालवाल
कदम तले ठहर
वाट जोहते
श्याम अधूरे
राधा रानी बिना हैं
शक्ति है राधा
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मुरली बजती सुन माधव की, सखियाँ यमुना तट दौड़ चली।
अखियाँ तरसे हरि दर्शन को, मन में पलती इक आस भली।
मन में बसते बस श्याम सखी,उनसे मिलना यह चाह पली।
दिन-रात बसे छवि नैनन में ,उनसे अनुराग विराग जली।
अब एक साल बाद जब कि हालात पहले से सौ गुने से भी ज़्यादा बदतर हो गए हैं हम आस्था की डुबकी के नाम पर अपने विवेक और अपनी बुद्धि को डुबकी लगवा रहे हैं.
पहले हम त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री बिप्लब देब के विप्लवकारी वक्तव्यों को सुन कर या उन्हें पढ़ कर, कभी-कभी अपना सर धुना करते थे.
लेकिन अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने अपने प्रलयंकारी और विस्फोटक उद्गारों से हमको नित्य ही अपना सर फोड़ने के लिए मजबूर किया है.
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गाँव-देहात में जो ब्याही गईं उनका जीवन तो और भी दुरूह था। पर बात ये है कि बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी ...जिजीविषा की लौ धीमी नहीं पड़ने दी। वे लड़ीं भी, पारिवारिक-राजनीतिक उठा-पटक की शिकार हो कभी हारीं तो कभी विजयी भी हुईं। कभी सही थीं तो कभी गलत भी सिद्ध हुईं बेशक ...लेकिन सलाम है उनको जो उस सबको लेकर कभी हारी नहीं, अवसाद में नहीं गईं। जो भी रास्ता मिला, वहीं से निकल लीं और अन्तत: उस जंजाल से मुक्त हो खिलखिला पड़ीं।
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भारत में कोरोना की पहली लहर 16 सितम्बर 2020 को अपने उच्चतम स्तर पर पहुँची और उसके बाद उसमें कमी आती चली आई। फिर फरवरी के तीसरे सप्ताह से दूसरी लहर आई है, जिसमें संक्रमितों की संख्या दो लाख के ऊपर चली गई है। यह संख्या कहाँ तक पहुँचेगी और इसे किस तरह रोका जाए? इस आशय के सवाल अब पूछे जा रहे हैं। अखबार द हिन्दू की ओर से पत्रकार आर प्रसाद ने गौतम मेनन और गिरिधर बाबू से इस विषय पर बातचीत की, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है: --
आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे
आगामी अंक में
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
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बहुत श्रम से आपने ब्ल़ॉगिस्तान से लिंकों के मोती चुने हैं।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी दीप्ति जी।
आपकी लगन व परिश्रम ने चर्चा मंच का स्वरूप ही बदल दिया है। इस आकर्षक प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया अनीता सैनी जी।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स आज के मंच की शोभा बढ़ा रही हैं |उनमें मेरी छोटी सी रचना को भी स्थान दिया है देख कर बहुत खुशी हुई |इस हेतु आभार सहित धन्यवाद अनीता जी |
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत बढ़िया...मेरी रचना को शामिल करने का बहुत शुक्रिया अनीता जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी 🙏🌹 सादर
जवाब देंहटाएंसुंदर सराहनीय चर्चा अंक प्रिय अनीता,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं के साथ बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी तरह से ये अंक आपने सजाया है, आभारी हूं आपका। मेरी रचना को स्थान देने के लिए साधुवाद।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी जहाँ एक ओर जश्न है तो दूसरी ओर कड़वा घूँट भी है।
जवाब देंहटाएंसत्य वचन अनिता जी।आपके इस अंक मैं भी मिश्री शहद नीम सभी रंगों से सजा हुआ शानदार संकलन है।
सादर
सुंदर तथा विविधतापूर्ण रचनाओं के सूत्र,तथा शानदार संकलन के लिए बधाई प्रिय अनीता जी, सादर नमन एवम वंदन ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं के साथ बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंमुग्ध करता शीर्षक, भूमिका के बारे में कोई शब्द नहीं कहने को बस लाजवाब!
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा सभी रचनाकारों को बधाई।
सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
श्रमसाध्य प्रस्तुति।
लाज़बाब आकर्षक रचनाएं।
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