सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आजकल चुनावी माहौल में
बज रही है नफ़रती दुदुम्भी,
सत्ता हथियाने के महाखेल में
गिरना ज़रूरी नहीं,सोचें सभी।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-
--
पहले लूटा था गोरों ने, अब काले भी लूट रहे,
धर्मभीरु भक्तों को, भगवाधारी जमकर लूट रहे,
क्षमा-सरलता नहीं रही, इन इंसानी भगवानों में।
--
सहेजकर रखे
खतों को पढ़कर
हिसाब-किताब करते समय
कहते थे
तुम्हारी तरह
चंदन
से महकते हैं
तुम्हारे शब्द ----
--
कुछ शब्दों की सुंदरता से, जीवन की
वास्तविकता बदल नहीं सकती,
यौन कर्मी कहो या नगरवधु,
जो परंपरागत शब्द है
उसका अर्थ नहीं
बदलता,
केवल
वास्तविकता बदल नहीं सकती,
यौन कर्मी कहो या नगरवधु,
जो परंपरागत शब्द है
उसका अर्थ नहीं
बदलता,
केवल
--
कैसे पानी से झाग बनाने हैं ?
उस झाग को कैसे मन पर पोतना है ?
कैसे शब्दों से एहसास चुराने हैं?
उनकी जगह डर को पेट में छिपाना है
सुविधानुरुप अनेक कहानियाँ गढ़ना
--
पानी बचाओ, झिन पानी बचाओ ।
कुंइया, तलैया खों फेर के जगाओ।।
मैके ने जइयो भौजी, भैया से रूठ के
भैया जू, भौजी खों अब ल्यौ मनाओ।।
--
मैं एक तिनका हूँ,
उड़ा जा रहा हूँ,
लम्बी यात्राएँ तय की हैं मैंने,
न जाने कहाँ-कहाँ होकर
यहाँ तक पहुंचा हूँ मैं.
--
जरा, इस मन को, सम्हालूँ,
न जाओ, ठहर जाओ, यहीं क्षण भर!
कुछ और नहीं, बस, इक अनकही,
मन में ही कहीं, बाँकी सी रही,
कई दिनों से...
अक्षरों के ढेरी से
तलाश रही हूँ
कुछ अनकहा सा..
जिसमें भावों की
मज्जा का अभाव न हो
संवेदनाओं के
वितान में..
--
टूटे मन को कहाँ जोड़ पाओगे
--
सुखद पल सलौने सपन तोड़ सोये।
लिखे छंद कोरे मसी में भिगोये।
घड़ी दो घड़ी मेघ काले भयानक
तड़ित रेख हिय पर गिरी है अचानक।
बहे कोर तक स्रोत उपधान धोये।।
लिखे छंद कोरे मसी में भिगोये।
घड़ी दो घड़ी मेघ काले भयानक
तड़ित रेख हिय पर गिरी है अचानक।
बहे कोर तक स्रोत उपधान धोये।।
--
बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक लिंक आपने दिए
अच्छे लिंक्स सहेजे हैं आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने हेतु सादर आभार।
सुन्दर प्रस्तुति। आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति । सभी लिंक्स बहुत सुन्दर । संकलन में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी,
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा पोस्ट लिंक्स के बीच में अपने पोस्ट की लिंक को पाना... वाकई बहुत सुखद अनुभूति का कारण बनता है।
बहुत-बहुत आभार आपका 🙏
हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
सभी लिंंक बहुत ही शानदार हैं रवींद्र जी..धन्यवाद
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंहर कलमकार बेमिसाल।
सभी को आत्मीय शुभकामनाएं, बधाई।
सब के मध्य मुझे स्थान देने के लिए हृदय तल से आभार।
सादर सस्नेह।
बहुत सुंदर सूत्र संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
आपको साधुवाद