रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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सत्य कहूँ तो हम चर्चाकार भी बहुत उदार होते हैं। उनकी पोस्ट का लिंक भी चर्चा में ले लेते हैं, जो कभी चर्चामंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं। कमेंट करना तो बहुत दूर की बात है उनके लिए। लेकिन फिर भी उनके लिए तो धन्यवाद बनता ही है जो निस्वार्थभाव से चर्चा मंच पर टिप्पणी करते हैं।
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देखिए पिछले 24 घंटे के कुछ अद्यतन लिंक।
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वो बहक गए वो बहक गए
महक गए
किसी और के आँगन में
मेरे उपवन में
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कंटक सीमांत के अतिक्रमण इक अजीब सा खिंचाव है ज़िन्दगी,
दूर जितना भी जाना चाहें, हम
उतना ही ख़ुद को मोह
जाल में उलझता
पाएं, मुक्त
करने
की
चाह में --
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रणनीति बदलने की जरूरत नक्सली और चरमपंथी रोजगार और आधारभूत ढांचे से वंचित स्थानीय लोगों से समर्थन जुटाते हैं। माओवादियों से निपटने के लिए तीन स्तरीय रणनीति पर काम हो सकता है: (1) आवश्यक सैन्य बल का इस्तेमाल (2) स्थानीय लोगों की बुनियादी मुश्किलों के समाधान के साथ ही आधारभूत ढांचे का समयबद्ध निर्माण (3) जमीनी स्तर पर स्थिति के नियंत्रित होने और सैन्य ऑपरेशन के कम होने के बाद स्थानीय लोगों की राजनीतिक मांगों को सुलझाने के लिए बातचीत की पहल। --
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कोरोना से जंग माना कि जिंदगी आजकल अधूरी है,
परन्तु जो है तो ,
कभी पूरी भी होगी।
बस संयम और संतुलन चाहिए,
टैस्ट, रैस्ट और वैक्स
तीनों मिलकर लगाएंगे बेडा पार।
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उभर आओ ना सिमटोगे, लकीरों में, कब तक!
झंकृत, हो जाएं कोई पल,
तो इक गीत सुन लूँ, वो पल ही चुन लूँ,
मैं, अनुरागी, इक वीतरागी,
बिखरुं, मैं कब तक!
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मेरा कमरा जानता है मेरा कमरा जानता है......
मैं कितनी भी लापरवाह रहूं पर
हर चीज को करीने से ही रखूंगी
कमरे का कोना कोना
बड़े ही प्यार से सजाऊंगी
मेरा कमरा जानता है.....
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किताबें मरती नहीं..! हाल ही में पहल संपादक जी ने डिक्लेअर किया कि वे अब अपनी पत्रिका नहीं छापेंगे...!
कारण जो भी हो भक्तों को काफी दुख हुआ। कुछ भक्तों को यह तक कहने लगी कि इस तरह पत्रिका का अवसान बेहद दुखद है !
दुख तो मुझे भी हुआ परंतु में ज्ञान जी की परिस्थितियों को समझता हूं। बेहतरीन एडिटर हैं ।
पिछले बार भी ऐसी ही कोई स्थिति उत्पन्न हुई थी एक पाठक के रूप में पत्रिका की गैरमौजूदगी दुख का विषय तो है। धर्मयुग साप्ताहिक हिंदुस्तान कादंबिनी आदि आदि कई सारी पत्रिकाओं का प्रकाशन किसी ना किसी कारण से या तो खत्म हो गया या बंद कर दिया गया ।
यहां किसी किताब के नियमित प्रकाशन ना हो पाने को उस किताब का अवसान होना पूर्णत: बाल बुद्धि का परिचय है। मित्र समझ लो किताबें कभी नहीं मरती। गिरीश बिल्लोरे मुकुल,
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तुम्हारा मन निर्लज्ज निमग्न होकर मन
देता है तुम्हें मूक निमंत्रण
और तुम निर्विकार,शब्द प्रहारकर
झटक जाते हो प्रेम अनदेखा कर
जब तुम्हारा मन नहीं होता...
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सरस्वती पूजा पर आज तो बस पुरानी यादें ही साथ हैं !! सरस्वती पूजा को लेकर सबसे पहली याद मेरी तब की है , जब मैं मुश्किल से पांच या छह वर्ष की रही होऊंगी और सरस्वती पूजा के उपलक्ष्य में शाम को स्टेज में हो रहे कार्यक्रम में बोलने के लिए मुझे यह कविता रटायी गयी थी ... शाला से जब शीला आयी , पूछा मां से कहां मिठाई । मां धोती थी कपडे मैले , बोली आले में है ले ले। मन की आशा मीठी थी , पर आले में केवल चींटी थी। खूब मचाया उसने हल्ला , चींटी ने खाया रसगुल्ला। --
अशोक
जीवन वाकई एक नदिया है, जिसके सुख व दुःख दो किनारे हैं।
बीते 27 मार्च को जब हमारे 'उत्सव भवन' में महिलाओं का 'होली मिलन समारोह' मनाया जा रहा था, जिसमें अशोक की पत्नी भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही थी, तब हम, अशोक, राजेश और लालू भैया (बाद में शान्तनु भी) बाहर ही खड़े थे। कितना खुशनुमा माहौल था। कार्यक्रम के अन्त में सभी महिलाएं, लड़कियाँ और बच्चे बाहर आकर गोलगप्पे और चाट खा रहे थे, तब अशोक ही हँसी-मजाक के साथ सबको एक-एक आइस्क्रीम थमा रहा था।
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आज के लिए बस इतना ही।
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शुभ प्रभात सर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स का चयन व शानदार प्रस्तुति, इस मःच की जीवंत व सार्थक बनारही है।
धी धीरे सारे लिंक्स पर जाकर पढूंगा दिन में।
आभार व साधुवाद ...
पटल को नमन।
शुभ प्रभात सर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स का चयन व शानदार प्रस्तुति, इस मंच की जीवंत व सार्थक बनारही है।
धी धीरे सारे लिंक्स पर जाकर पढूंगा दिन में।
आभार व साधुवाद ...
पटल को नमन।
सादर अभिनन्दन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद
सभी रचनाकारों को मेरा सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंसभी को हार्दिक बधाई। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत आभार आदरणीय 🌷
बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति । सभी सूत्र दिन में समय समय पर अवश्य पढ़ूंगी । लाजवाब प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय 🙏
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी प्रणाम, बहुत सुन्दर ब्लाग और रचनाओं को आप ने लिंक किया है, सभी काव्य मनीषियों को सादर अभिवादन , आप सब को साहित्य में रुचि लेने को प्रोत्साहित करते रहते हैं हार्दिक आभार आप का, मेरी रचना आज चांद का रंग कुछ बदला को भी स्थान दिए हर्ष हुआ ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, सादर प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंआज के सुंदर संकलन के सूत्रों का संयोजन तथा प्रस्तुतीकरण के श्रम साध्य कार्य के लिए आपको मेरा नमन एवम वंदन,सभी रचनाकारों को बधाई, मेरी रचना के चयन के लिए आपका कोटि कोटि आभार वयक्त करती हूं, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
विविध विषयों से सम्बद्ध लिंक्स का सुन्दर संयोजन है।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई तथा मेरे सृजन को भी स्थान देने के लिए आभार आदरणीय 🙏💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी कविता को स्थान देने के लिए
बेहतरीनव सार्थक लिंक। सभी रचनाकारों को मेरा प्रणाम। 🙏
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए एवं आपकी सहृयता के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
सही कहा शास्त्री जी आपने
जवाब देंहटाएंशायद चर्चाकार गीता के उपदेश में यकीन रखते हैं कि बस कर्म करो फल की इच्छा न करो
सभी चर्चाकारों को इसके लिए बधाई
आज की सुंदर चर्चा के लिए आपको भी बधाई
बेहतरीन लिंकों का चयन किया है। जितना श्रम ब्लॉगर करते हैं उससे कम आपका श्रम नहीं। साधुवाद
जवाब देंहटाएंलाजबाव चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को एक बार फिर से चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
जवाब देंहटाएंसभ पोस्ट बहुत ही शानदार हैं। आपने एक बहुत ही जानकारीपूर्ण लेख साझा किया है, इससे लोगों को बहुत मदद मिलेगी, मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप भविष्य में इसी तरह के पोस्ट लिखते रहेगें। इस उपयोगी पोस्ट के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और इसे जारी रखें। आप मेरे ब्लॉग से किसी भी प्रकार के उपवास, उत्सव, कथा, महापुरुषों, राजनेताओं, अभिनेताओं, क्रिकेटरों की जयंती, पुण्यतिथि और जन्मदिन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस आदि की जानकारी हिंदी में प्राप्त कर सकते हैं। Varuthini Ekadashi
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