सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी विज्ञजनों का पटल पर
हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
समय और इन्सान के कदम चलते रहें उतना ही अच्छा है मगर आज की विषम परिस्थिति में समय चलता रहे ताकि नई कोरोना मुक्त सुखद सुबह के दर्शन हो और इन्सान घर पर रूका रहे
जिस से वह कोरोना के दुष्प्रभाव से बचा रहे , यही सोच
उभरती है मन में । आप सबसे एक विनम्र गुज़ारिश- "घर पर
रहें सुरक्षित रहें , अपना व परिवार का ख़्याल रखें।" आज की
चर्चा प्रस्तुति की शीर्षक पंक्ति
आदरणीय जयकृष्ण राय तुषार जी की रचना से
है जो जीवन में आशा और सकारात्मकता के भावों का संचार करती प्रतीत होती है ।
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आइए अब बढ़ते हैं आज के अद्यतन सूत्र की ओर-
ग़जल -शरीफों के घरानों की (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दरक़ती जा रही हैं नींव, अब पुख़्ता ठिकानों की
तभी तो बढ़ गयी है माँग छोटे आशियानों की
जिन्हें वो देखते कलतक, हिक़ारत की नज़र से थे
उन्हीं के शीश पर छत, छा रहे हैं शामियानों की
बहुत अभिमान था उनको, कबीलों की विरासत पर
हुई हालत बहुत खस्ता, घमण्डी खानदानों की
***
गीत - टोकरी भरकर गुलाबी फूल लाऊँगा
हँसो चम्पा !
डरो मत
यह समय बीतेगा ,
आदमी
इस वायरस से
जंग जीतेगा ,
मैं -तुम्हारे
वायलिन
पर गीत गाऊँगा |
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गुण ग्राही संस्कार तालिका
आज टँगी है खूटी पर
औषध के व्यापार बढे हैं
ताले जड़ते बूटी पर
सूरज डूबा क्षीर निधी में
साँझ घिरी कलझाई में।।
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नाद भरा उड़ता जीवन देख
ठहरी निर्बोध भोर की चंचलता
दुपहरी में उघती उसकती इच्छाएँ
उम्मीद का दीप जलाए बैठी साँझ
शून्य में विलीन अहसास के ठहरे हैं पदचाप।
***
जो तन बीते वो तन जाने, क्या जानेगे मूर्ख-सयाने
चंद मनुष्यों की स्वार्थवादी निति जिसमे मनुष्यता के लिए कोई जगह नहीं....बस, एक लालसा विश्व पर राज करना। इतिहास गवाह है कि हर बार बस यही एक वजह होती है....एक पूरी मानव सभ्यता को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा करने की। एक बार फिर यही हो रहा है। पिछली गलतियों से सीख नहीं लेना और गलतियों पर गलतियां करते जाना, ये मनुष्य का आचरण बन गया है।
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गलियारे सत्ता के हैं
काजल की कोठारी जैसे
जिसने भी कदम रखा उसमें
रपटता चला गया |
उसके काले रंग में ऐसा रंगा
रगड़ कर धोने में ही
सारी अकल छट गई
समय की सुई वहीं अटकी रह गई |
***
पौराणिक कथाओं में एक कथा है महर्षि दधीचि की. संक्षेप में ये कथा इस प्रकार है: एक बार वृत्रा नामक असुर ने इंद्रलोक पर कब्ज़ा जमा लिया. इंद्र समेत सभी देवता इन्द्रलोक से निष्काषित कर दिए गए. इन्द्रलोक वापिस लेने के देवताओं के सारे प्रयास विफल हो गए. अब देवता ब्रह्मा के पास गए.
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गैरों सी जिंदगी
हमनवा मौत की बन
खीसें निपोरती
पल्ला झाड़कर
दूर खड़ी
अगूँठा दिखाती
आदमी से दूर होता आदमी
***
शून्य आंगन में बिखरे पड़े हैं सूखे पत्ते,
टूटे पड़े हैं बांस के घेरे, असमय का
पतझर कर चला है दूर तक
अरण्य को सुनसान,
धूम्रवत सा छाया
हुआ है हर
तरफ,
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जिस धरती ने हमें जीवन दिया
आज उस धरती पर
हमारी निगेटिव सोच ने ही
वायरस को जन्म देकर
हमें
पॉजिटिव और निगेटिव
के चक्रव्यूह में फंसा दिया
***
जब सींचोगे
पलूं बढूंगी
खुश हूंगी मै
तभी खिलूंगी
बांटूंगी
अधरों मुस्कान
मै तेरी पहचान बनकर
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श्री राम के वे गुण जिन्होंने राम को मर्यादा
पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम बनाया !
पौराणिक हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, आज के ही दिन भगवान विष्णु के सातवे अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म चैत्र मास की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में हुआ था।
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अँधेरे को चीरती हुई
पटरियों पर दौड़ी आ रही है
मुसाफ़िरों-भरी रेलगाड़ी,
उम्मीद जगाती उसकी रौशनी,
सन्नाटा दूर भगाती
उसकी तेज़ गड़गड़ाहट.
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आपका दिन मंगलमय हो..
फिर मिलेंगे 🙏
"मीना भारद्वाज"
उम्दा लिंक्स से सजी आज की प्रस्तुति |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद मीना जी |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी 🙏🙏 सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन,बेहतरीन रचनाएं। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।
जवाब देंहटाएं"आज की विषम परिस्थिति में समय चलता रहे इन्सान रूका रहे "
जवाब देंहटाएंतभी फिर से जीवन सम्भव होगा,सार्थक संदेश मीना जी,सभी रचनाएँ बेहतरीन है,उन्दा चर्चा अंक
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार मीना जी,सादर नमस्कार
"देह दान" को शामिल करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में रोचक तथा सुंदर सूत्रों के संकलन के लिए आपका आभार । श्रमसाध्य कार्य हेतु आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई आदरणीय मीना जी,
जवाब देंहटाएंसराहनीय भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु दिल से आभार।
सादर
बहुत शानदार संकलन मीना जी श्रमसाध्य चर्चा, भूमिका सार्थक उपयोगी।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई,सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
चर्चा में मेरे सृजन को
स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार।
सादर सस्नेह।
आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन
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