सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
भरी महफ़िलों में भी
तन्हाइयों का है साया,
कैसी अजब होती है
दर्द-ए-जिगर की माया।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
लीजिए अब पढ़िए विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ ताज़ा-तरीन रचनाएँ-
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चल पड़े हैं हम सफर में, कैमरा ले हाथ में।
कैद करने को नजारे, हमसफर है साथ में।।
कैद करने को नजारे, हमसफर है साथ में।।
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अंजान सी, राह ये, सफर अंजाना,
बस, चले जा रहे, बेखबर इन रास्तों पर,
दो घड़ी, कहाँ रुक गए!
कदम, दो चार पल, कहाँ थम गए!
ये किसने जाना!
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कांटों
के मन
में उठते
कोहराम के बीच
गुलाब
होना
और
गुलाब बने रहना
दुर्लभ चुनौती है।
के मन
में उठते
कोहराम के बीच
गुलाब
होना
और
गुलाब बने रहना
दुर्लभ चुनौती है।
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हर तरफ है उदासियों का दृश्यांतर,
आख़री सांसों में तैरते हैं कहीं
कुछ दिन और जीने की
एक अदम्य उत्कंठा,
प्रकृति अपना
महसूल
हर
हाल में करती है वसूल,
आख़री सांसों में तैरते हैं कहीं
कुछ दिन और जीने की
एक अदम्य उत्कंठा,
प्रकृति अपना
महसूल
हर
हाल में करती है वसूल,
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मधु रसा वो कोकिला भी
गीत मधुरिम गा रही।
वात ने झुक कान कलि के
जो सुनी बातें कही।
स्वर्ण सा सूरज जगा है
धार आभूषण खरे।।
गीत मधुरिम गा रही।
वात ने झुक कान कलि के
जो सुनी बातें कही।
स्वर्ण सा सूरज जगा है
धार आभूषण खरे।।
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जब कभी मैं किसी के भी माता पिता की बीमारी के
बारे में सुनती हूं और जब ससुराल वाले कहते हैं
क्या करोगी मायके जाकर जब देखो बीमार हो जाते हैं ?
सब केवल नौटंकी करते हैं नहीं जाना है वहां
मन इतना व्यथित हो जाता हैं कुछ समझ में नहीं आता
बगावत करने को दिल करता है सब कुछ छोड़ने को
हम स्त्रियाँ इतना सहती ही क्यों हैं ?
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आज चौबीस साल हो गए घर से निकलकर
कभी सोचा न था कोई और जगह भी घर होगा
इंसान खानाबदोश है पशु-पक्षियों के समान
दाने की खोज में निकल पड़ता है घर से बाहर
मैं साहसिक कार्य हेतु दुनिया की सैर पर निकली
ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव ने सब कुछ सीखा दिया
कभी सोचा न था कोई और जगह भी घर होगा
इंसान खानाबदोश है पशु-पक्षियों के समान
दाने की खोज में निकल पड़ता है घर से बाहर
मैं साहसिक कार्य हेतु दुनिया की सैर पर निकली
ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव ने सब कुछ सीखा दिया
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मैदानों में दौङ लगाते,
खेलते-कूदते,पढ़ते-लिखते
अपना मुकद्दर गढते बच्चे ।
हँसती-खिलखिलाती,
सायकिल की घंटी बजाती
स्कूल जाती बच्चियाँ ।
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शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,रवीन्द्र जी । चर्चा दिलचस्प है ।
जवाब देंहटाएंकुछ पढ़ा । कुछ शेष है ।
प्रत्येक रचना विशेष है ।
सभी रचनाकारों को बधाई और सुप्रभात ।
उपयोगी और पठनीय लिंकों के साथ सार्छक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
आभार आपका रवींद्र जी। बहुत अच्छे लिंक हैं। सभी रचनाकारों को मेरी ओर से खूब बधाई।
जवाब देंहटाएंचर्चामंच पर साझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद🙏💕। सभी साथियों को प्रणाम।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक हैं। सभी रचनाकारों को मेरी ओर से खूब बधाई।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद🙏💕
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंअतिसुंदर संकलन। सभी रचनाकारों को बहुत बधाई मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए बहुत आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसार्थक पंक्तियों से सहेजी भूमिका।
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक चयन,सभी रचनाएं बहुत आकर्षक पठनीय।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
सादर।
सुंदर एवम रोचक अंक,सभी रचनाकारों को बधाई,खूबसूरत प्रस्तुति के लिए सादर शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा संकलन
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