आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
कोई नेता हो, अभिनेता हो, खिलाड़ी हो जब वह लोगों का रोल मॉडल बन जाता है, तब उसकी व्यक्तिगत ज़िंदगी पर भी लोगों का अधिकार हो जाता है। ऐसे में सिर्फ़ उसका बोलना ही नहीं, अपितु पहरावा और अन्य क्रिया-कलापों पर समाज की नज़र रहती है। उस व्यक्ति विशेष का भी नैतिक दायित्व बनता है कि वह इस सबको समझकर ख़ुद को मर्यादित करे। फ़ेसबुक पर कुछ लोग किसी ख़ास व्यक्ति के आपत्तिजनक शब्द बोले जाने की यह कहकर सपोर्ट कर रहे थे कि ऐसे शब्द हर कोई बोल रहा है। यह सच है कि हमारी भाषा दूषित हुई है, लेकिन सामान्य और विशेष व्यक्ति के व्यवहार में अंतर तो होना चाहिए, तभी सुधार की संभावना बरकरार रहेगी। इस संदर्भ में साहित्य भी निराश कर रहा है। होना ये चाहिए कि सिनेमा साहित्य का अनुसरण करे, लेकिन हो ये रहा है कि साहित्य भी सिनेमा की टपोरी भाषा का अनुसरण कर रहा है । जब साहित्य की भाषा दूषित होगी, जब रोल मॉडल बन चुके लोगों की भाषा दूषित होगी, तो आम लोगों की भाषा को सुधारने का कोई उपाय नहीं बचेगा।
चलते हैं चर्चा की ओर
दिलबागसिंह विर्क
बहुत सुन्दर और उपयोगी लिंकों की चर्चा की है आपने।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय दिलबाग सिंह विर्क जी।
एक से बढकर एक बेहतरीन लिंक हैं।
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली भूमिका और सुंदर रचनाओं का चयन, आभार आज की चर्चा में शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा । कवि प्रदीप के विषय में पढ़ना मुश्किल हुआ । टेक्स्ट का बैक ग्राउंड ऐसा था कि अक्षर दिख नहीं रहे थे ।
जवाब देंहटाएंमहामारी के इस कठिन दौर में सब सुरक्षित व स्वस्थ रहें, यही कामना है
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक विभिन्न तरह की चर्चाओं के साथ सुंदर भूमिका।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
सभी रचनाकारों का सुंदर सृजन।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
बहुत खूब , बेहतरीन लिंक दिए हैं !
जवाब देंहटाएंआभार !