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Tuesday, April 20, 2021

"श्वासें"(चर्चा अंक 4042)

सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक और भूमिका आ. अनीता जी की रचना से)

"श्वासें कीमती हैं कितनी 

यह बात सिखा रहा है एक वायरस आज"


"अब भी जीवन को समझों और उसकी कद्र करों

अपनों के महत्व को समझों, उनके साथ और प्यार की कद्र करों"

समझा रहा है ये अनदेखा हमें बार-बार

मगर, हम ना-समझ अब भी ना-समझ ही है...

परमात्मा हम सब को सद्बुद्धि दे...

हमारी गलतियों को क्षमा कर हमारी रक्षा करें...

इसी कामना के साथ चलते हैं, रचनाओं की ओर....

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गीत "बूढ़ा पीपल जिन्दा है"  (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

अभी गाँव के देवालय में, बूढ़ा पीपल जिन्दा है।
करतूतों को देख हमारी, होता वो शरमिन्दा है।।
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बाबू-अफसर-नेता करतेखुलेआम रिश्वतखोरी,
जिनका खाते मालउन्हीं से करते हैं सीनाजोरी,
मक्कारी के जालों मेंउलझा मासूम परिन्दा है।
करतूतों को देख हमारी होता वो शरमिन्दा है।।

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विषधर 

वीण लेकर ढूँढ़ते हैं

साँप विषधर भी सपेरे

नाग अब दिखते नहीं हैं

विष बुझे मानव घनेरे।

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रात की कालिख लपेटे
शून्यता कहती कहानी।
फिर बिखरती आस पूछे
पीर यह कैसी पुरानी।
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रक्तरंजित बिसात 

प्राण फूंक दे या, ये हर ले प्राण!
ये राहें कितनी, हैं अंजान!
अति-रंजित सा दिवस,
या इक घात लगाए, बैठी ये रात!
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शांति विद्या फेलोशिप: 

इक्यावन 'तेजस्विनियाँ' 

वाराणसी । नारी अधिकारिता को समर्पित संस्था 'शांति तथा विद्या फाउंडेशन' 

ने अपने  शिक्षा-कार्यक्रम के तहत देश भर की इक्यावन प्रतिभा सम्पन्न किन्तु 

आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को 'तेजस्विनी फेलोशिप' से नवाजा है। 

प्रत्येक 'तेजस्विनी' का नामांकन शुल्क सहित पढ़ाई-लिखाई का खर्चा 

फाउंडेशन द्वारा सीधे  उनके शिक्षण संस्थान के खाते में किया जाता है।

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शर्तों पर प्रेम ? 
 किसी और से नहींअपने से जीतोकिसी और के लिए नहींअपने लिए जीतोकिसी और की दृष्टि में उठने से पूर्व अपनी दृष्टि में उठो । यह फ़िल्म सहज ही अनेक स्थलों पर मेरे हृदय को स्पर्श कर गईअपने संदेश को मेरे हृदय-तल पर ले जाकर उसे वहाँ सदा के लिए स्थापित कर गई ।--------------------एक अनौखी माँग 

विहान अपने माता पिता की इकलौती सन्तान है . पिता विनीत बैंगलोर में एक बड़ी कम्पनी में मैनेजर हैं और माँ नीलिमा एक पत्रिका में सम्पादक है .उनका छोटा सा सुखी व सम्पन्न परिवार है .अपने पांच साल के इकलौटे बेटे के लिये उन्हों ने हर तरह की सुविधा जुटाई है .---------------------मानवीयता रुआंसी है 

ये जीवन समर है

सब भाग रहे हैं

अंतहीन

दौड़

में

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शब्द नहीं साथ दे रहे | shabd nahi saath de rahe.
बहुत दिनों से कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ।
 लेकिन ना ही जज्बातों को महसूस कर पा रहा हूँ,
 ना ही शब्द साथ दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि
 सब कुछ शून्य हो गया है। वर्तमान बुरा है और भविष्य बदत्तर।
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मौत बे-रहम हो रही है...... 

मगर ज़िंदगी....  

फिर भी हार नहीं मानेगी... 

फिर रूप बदल आएगी..... 

अपनी अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने... 

एक और ज़िंदगी जीने..... 

"एक और ज़िन्दगी"

कहते हैं "शरीर मरता है मगर आत्मा अमर होती है"

और वो बार-बार नई-नई पोषक पहनकर पृथ्वी पर आना-जाना करती ही रहती है। इसे ही जन्म-मरण कहते हैं। अगर इस आने-जाने की प्रक्रिया से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आपको मोक्ष की प्राप्ति करनी होगी और मोक्ष प्राप्ति के लिए ईश्वर से लौ लगानी होगी। बहुत से लोग इस जन्म-मरण से छूटने के लिए ईश्वर की पूजा,तपस्या,साधना और भी पता नहीं क्या-क्या करते हैं। मगर मैं..."मोक्ष" नहीं चाहती...... 

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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें 

आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 

कामिनी सिन्हा 

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16 comments:

  1. रचनाओं का चयन सामयिक एवं प्रशंसनीय है माननीया कामिनी जी। मेरे आलेख को स्थान देने हेतु हृदय से आपका आभार।

    ReplyDelete
  2. अत्यंत सुंदर और विविधतापूर्ण प्रस्तुति। सभी रचनाएँ अनंदकर और पररणादायक हैं। हार्दिक आभार इस सुंदर रचना के लिए व आप सबों को प्रणाम।

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  3. बेहतरीन प्रस्तुति हेतु आदरणीया कामिनी जी को नमन।
    मुझे भी इस विविधताओं से भरे अंक में शामिल करने के लिए आभारी हूँ आपका।
    मंच को शत्-शत् नमन।
    शुभ प्रभात। ।।।।

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  4. उम्दा लिंक्स आज की |

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  5. सुंदर लिंक्स! आभार और बधाई!!!

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  6. सारगर्भित रचनाओं तक पहुँचाने का श्रमसाध्य प्रयास, सुंदर प्रस्तुति, आभार कामिनी जी !

    ReplyDelete
  7. श्रमसाध्य प्रयास, सुंदर प्रस्तुति,
    आभार कामिनी जी !

    ReplyDelete
  8. प्रभावी भूमिका के साथ
    अच्छी रचनाओं का चयन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    सादर

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  9. वाह सुंदर प्रभावी शीर्षक प्रभावी भूमिका, कामिनी जी आपने सुंदरता से सहेजा है चर्चा को ।
    सभी रचनाकारों को बधाई सभी रचनाएं बहुत आकर्षक पठनीय।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

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  10. बहुत धन्यवाद कामिनी जी ,मेरी रचना को शामिल करने के लिये . इसी बहाने सारे ब्लाग देख े. सभी की रचनाएं पढ़ीं . आपका चयन सुन्दर है .

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  11. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दी।
    सादर

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  12. बेहतरीन लिंक्स, सुंदर प्रस्तुति।
    मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार कामिनी जी।

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  13. आभारी हूँ कामिनी जी...। सभी को खूब बधाई

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति कामिनी जी । सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।

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  15. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद, आप की उपस्थिति हमें नई उर्जा प्रदान करती है,सादर नमस्कार आप सभी को

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  16. बहुत सुंदर सूत्रों का सृजन तथा शानदार प्रस्तुति ।सादर शुभकामनाएं प्रिय कामिनी जी ।

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