सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी विज्ञजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
आज की चर्चा का शीर्षक आदरणीया कामिनी सिन्हा जी की कविता 'तू मेरी लाडली' के कवितांश से लिया गया है ।
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आइए अब हम बढ़ते हैं आज के चयनित सूत्रों की ओर-
गुर्गे पूजा कर रहे, मुर्गे पढ़ें नमाज।
मूरख का होता नहीं, सम्भव कहीं इलाज।।
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अपने भारत देश में, आया कैसा दौर।
पंचायत में ज्ञान की, मूरख हैं शिरमौर।।
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हँसी-ठिठोली की उड़े, कनकइया चहुँ ओर।
मूरखता की हो रही, दुनियाभर में भोर।।
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चन्दा से मुखडें पे,सूरज सा तेज़ है।
कोमल तन और निर्मल सा मन है।।
आँखों में तेरे है,सपने सुहाने।
सितारों पे घर बनाने की रण है।।
पंख है छोटे,ऊंची उड़ान है।
हौसले बुलंद और दिल में उमंग है।।
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प्यारे भतिजो और भतिजियो, होली की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं. इस मौके पर ताऊ द्वारा एक मुशायरे में पढी गई रचना का आनंद लीजीये.
होली पर था रंगारंग कार्यक्रम
पहुंचें सभी कवि शायर कलाकार।
दो हरियाणवी रागिनी गायक भी
शिरकत करने हो तैयार।
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कील में अटके कुर्ते को निकालना
कुसे धागे को ठीक करते हुए कहना-
शुगर और बीपी ने किया बेजान है
मॉर्निग वाक की सलाह डॉ.की है
अनुदेश की अनुपालना अवमानना में ढली
उसके पदचाप आज-कल दिखते नहीं है।
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क्या रखा है
स्वप्नों की
उस दुनिया में
जिसमें ज़रा भी
सच्चाई न हो
है मात्र यह
कल्पना
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काश, पूछता कोई मुझसे, सुख-दुख में हूं, कैसी हूं?
जैसे पहले खुश रहती थी, क्या मैं अब भी वैसी हूं?
भीड़ भरी दुनिया में मेरा एकाकीपन मुझे सम्हाले
कोलाहल की सरिता बहती, जिसमें मैं ख़ामोशी हूं।
मेरी चादर, मेरे बिस्तर, मेरे सपनों में सिलवट है
लम्बी काली रातों में ज्यों, मैं इक नींद ज़रा-सी हूं।
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ऐसे ही लोगों की वजह से न जाने कितनी महिलाओं को छेड़छाड़ जैसी बेहूदा हरकतों से गुजरना पड़ता है, इसीलिए मैंने उसे अपनी आरक्षित सीट दे दी। क्योंकि ऐसे लोग हम महिलाओं के आस-पास न हों तो हमें आरक्षण की कोई खास आवश्यकता भी नहीं"।
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भोर की किरणें सुहानी
गा रही हैं गीत अनुपम।
ओस के इन आँसुओं से
भीग किसलय झूमते नम।
सुन हृदय की भावनाएँ
बोल क्या फिर से सुला लूँ?
दीप मन के.....
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बजता
रहा
एकतारा, अपनी जगह एकाकी, एक -
शून्य दराज़ के सिवा, कुछ न था
हमारे पास, उतर गए सभी
लबादे, बिम्ब करता रहा
दीर्घ अट्टहास। कौन
किसे ले डूबा
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सोचती हूं, इन्हीं के साथ रह जाऊं
यहीं सागर की तलहटी में एक नई दुनिया बनाऊं
घोंघों के अन्दर छुप जाऊं
नीले बैंगनी पौधों से बतियाऊं
खेलूं रंगबिरंगी मछलियों के संग
इनके रंग
अपने लगा लूं
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बुज़ुर्गों का महत्व वाया जामवन्त कथा-
मिले बुज़ुर्गों से सदा, नित्य लाभप्रद सीख।
साथ न इनका छोड़िए, बदल जाएं तारीख।।
जामवन्त के बोल से, महाबली हनुमान।
जा कर लंका कर सके, सीता का संधान।।
जिस घर में होता सदा, वृद्धों का सम्मान।
रहता है सुख भी वहां, रहता है धन-मान।।
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आपका दिन मंगलमय हो..
फिर मिलेंगे 🙏
"मीना भारद्वाज"
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उपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
रोचक और सारगर्भित सूत्रों से सजी चर्चा प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई आदरणीय मीना जी,आपके श्रम साध्य कार्य हेतु आपको मेरा नमन, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं, मेरा आपको सादर अभिवादन ।
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सजी चर्चा....
जवाब देंहटाएंउम्दा सजा आज का चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने हेतु दिल से आभार।
सभी को बधाई ।
मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं बहुत-बहुत आभार 🌹🙏🌹
यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है...
- डॉ शरद सिंह
मीना जी आप सदा की भांति चुन-चुन कर रचना पुष्प लाई हैं...बहुत सुंदर सजाया है मंच आपने....
जवाब देंहटाएंहार्दिक साधुवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
प्रिय मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंरंगपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
सदैव की भांति दिलचस्प पठनीय सामग्री की लिंक्स का बेहतरीन संयोजन किया है आपने... साधुवाद 🙏
मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु आपके प्रति हार्दिक आभार 🙏
उम्दा लिंकों से सजी बहुत ही श्रमसाध्य लाजवाब प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा में शामिल करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार मीना जी!
सुंदर सुभग चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं से सजी बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार मीना जी।
मेरी रचना को शीर्षक के रूप में मान देकर आपने जो मुझे खुशी दी है उसके लिए आभार और धन्यवाद शब्द भी बहुत छोटा है मीना जी,बस आप का स्नेह बना रहे यही कामना है, बेहतरीन प्रस्तुति बनाई है आपने, अभी जहां मैं हूं वहां नेटवर्क की बहुत समस्या है, जैसे ही अवसर मिला सभी लिंको पर जरुर जाऊंगी, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
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