सादर अभिवादन।
सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे,
रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी
और फूल-फलकर मैं मोटा सेठ बनूँगा
पर बंजर धरती में एक न अंकुर फूटा
बन्ध्या मिट्टी ने न एक भी पैसा उगला
सपने जाने कहाँ मिटे, कब धूल हो गये
मैं हताश हो बाट जोहता रहा दिनों तक
बाल-कल्पना के अपलर पाँवडे बिछाकर
मैं अबोध था, मैंने गलत बीज बोये थे,
ममता को रोपा था, तृष्णा को सींचा था।
छायाओं के पीछे भागे
जब सच से ही मुख मोड़ लिया,
जीवन का जो सहज स्रोत था
शुभ नाता उससे तोड़ लिया !
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चंद साँसों के लिए
दूध बिखरने के बाद रोने-चिल्लाने से कोई फायदा नहीं होता है
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हो रहा है
वही सब कुछ अनचाहा
जो न होता
तो यूँ पसरा न होता
दिन और रात के चरम पर
दहशत और तनाव का
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चेहरों
का
अपना कोई
समाज नहीं होता।
चेहरे
समाज होकर
गढ़ते हैं
कोई
वाद।
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ज़िन्दगी के खेल भी निराले हैं
अब ज़िंदा हैं तो मौत आनी है
रात है तो दिन को भी होना है
रोने वाला कभी हँसता भी है
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एक गाँव में एक जगह बहुत भीड़ दिखाई दे रही थी।
"ऐ रामू सुन ई भीड़ काहे की है..?"दीना ने पूछा।
"काका कोई नेता जी अपनी रैली लेकर इधर ही आ रहे हैं। लगता है चुनाव होने वाले हैं...?"
"अच्छा तू भीड़ में मत जइयो.. हमने सुना भीड़ में कोरोना होता है।तोये वायरस लग जाएगो..!"
"हओ काका.. नहीं जायेंगे..!"
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मैं बड़ा प्रयास कर रहा हूँ लेकिन जहाँ मैं हूँ वहाँ ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था दूर की कौड़ी है। अव्वल तो मेरे पास ही संसाधन कम हैं। मैं संसाधन जुटा लूँ और व्हाट्सएप्प वीडियो इत्यादि से काम चला लूँ तो अधिकाँश बच्चों के पास एंड्राइड फोन नहीं हैं। फोन है तो डेटा नहीं है बड़ी मुश्किल से तो 49 रूपये में 28 दिन की इनकमिंग कराई है
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वो फरवरी का महीना था....मौसम इश्क़ से सराबोर था । फागुन की मस्ती फि़जाओं में रंगों के साथ घुलने की तैयारी में थी। कोरोना का भय लगभग खत्म सा हो चुका था। सभी अपनों से गले भी मिलने लगे थे। हाँ....मास्क अभी भी चेहरों पर थे पर अपनों की नजदीकियों के साथ। फरवरी की जाती हुई ठंड दिल में सुकून को पसरने दे रही थी। उसी वक्त घर में एक सदस्य को कोरोना के लक्षण दिखाये दिये, जाँच करवाई और अनुमान सही निकला ...कोविड पॉजिटिव। ताबड़तोड़ घर के सभी सदस्यों ने कोविड टेस्ट करवाया। पाँच लोग पॉजिटिव आये। मैं और शगुन (बेटी) नेगेटिव थे जबकि शगुन के पॉजिटिव आने के पूरे चांसेज थे क्योकि वो उन सभी के लागातार संपर्क में थी । हमारे घर पर हम तीन लोगो में से सिर्फ पति ही पॉजिटिव थे
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंअच्छा सजा चर्चामंच आज |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
आज की चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभारी हूं। सुमित्रानंदन पंत की कविता ने दोबारा अतीत में पहुंचा दिया, बचपन सा सुख दे गई ये पंक्तियां लेकिन अब अर्थ अलग हैं...। अनीता जी बहुत बधाई आपको और सभी रचनाकारों को।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पढनीय लिंको से सुसज्जित सुंदर चर्चा अंक प्रिय अनीता। परमात्मा हम सभी की रक्षा करें हम शीघ्र-अतिशीघ्र समान्य जीवन में लौटे।
जवाब देंहटाएंसुमित्रानंदन पन्त की सुंदर रचना की भूमिका और पठनीय लिंक्स का संयोजन, कोरोना की भयानक त्रासदी से सभी की रक्षा हो इसी प्रार्थना के साथ आभार!
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर, भावपूर्ण और विविधता से भरी हुई प्रस्तुति । हर एक रचना सुंदर है और कुछ ना कुछ सिखाती है । भगवान जी हम सब की प्रार्थना सुन कर, इस महामारी का नाश करें और हम सब स्वास्थ रहें । हृदय से आभार सुंदर प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी 🙏🌹 सादर
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों से सजी बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति अनीता जी!सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।
हम सब पैसों के पेड़ ही तो उगा रहे हैं किसी में फल आ रहे हैं किसी में नहीं आ रहे हैं सब किस्मत की बात है|
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंंक...सभीएक से बढ़कर एक हैं अनीता जी, ग्रामीण क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा हो या कोविड काल में जीवन, कठपुतली और मुखौटे तो गजब ही हैं, वाह ...मेरी ब्लॉगपोस्ट को इस संकलन में शामिल करने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंपंत जी की सुंदर शिक्षाप्रद पंक्तियों से सुसज्जित भूमिका।
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक लिंको का चयन।
सार्थक चर्चा।
सभी रचनाकारों को बधाई।
सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
सादर सस्नेह।
Sundar sankalan, aapka behad shukriya meri rachana ko yahan shamil karne ke liye.
जवाब देंहटाएंSadar Naman!
Abhar!
बेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअनीता सैनी जी,
इन अतिविपरीत परिस्थितियों में चर्चा मंच की जीवंतता एवं आत्मीयता स्तुत्य है।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह