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बुधवार, अप्रैल 21, 2021

'प्रेम में होना' (चर्चा अंक 4043)

सादर अभिवादन। 

आज की प्रस्तुति में आदरणीय शास्त्री जी सर के अस्वस्थ होने के कारण मैं उपस्थित हूँ चयनित सूत्रों के साथ । इसी  कामना के साथ कि वे शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हो कर आपके लिए अपने चिरपरिचित अंदाज़ में चर्चाएं प्रस्तुत करें ।


आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ- 
 --

 नवदुर्गा "मैं देवी का हूँ उद्गाता" 

व्रत-पूजन में दीप-धूप हैं,
नवदुर्गा के नवम् रूप हैं,
मैं देवी का हूँ उद् गाता।
दया करो हे दुर्गा माता।
--
प्रेम की पराकाष्ठा कहाँ तक   
बदन के घेरों में   
या मन के फेरों में?   
सुध-बुध बिसरा देना प्रेम है   
या फिर स्वयं का बोध होना प्रेम है,   
अनकहा प्रेम भी होता है   
न मिलाप न अधिकार   
पर प्रेम है कि बहता रहता है   
अविरल अविचलित
--
भीगे पृष्ठतल पर सिर्फ रह जाते हैं कुछ
जलशब्द, लौट जाते हैं प्रवासी हंस,
सुदूर अपने देश, कुछ धूसर
मेघ के अतिरिक्त महा
शून्य सा रह जाता
है आकाश पथ,
उभरता है
रोज़
--
दर्द के शहर में दवा आयीं हैं,
तेरे घर से उड़ती हुई हवा आयीं है,

कैसी उम्मीद अब तो तस्व्वुर ज़िंदगानी है,
उम्र सारी जवानी,बचपन में ही लुटा आयी है
--

पाँव बादल पे उसी रोज़ पड़ गए होते.
पीठ पर हम जो परिन्दों के चढ़ गए होते.
 
जिस्म पत्थर है निकल जाता आग का दरिया,
एक पत्थर से कभी हम रगड़ गए होते.
--

ख्वाब है यह जिंदगी इक 

यह सुना है,

मत लगाना दिल यहां पर 

यह गुना है !


आएगी इक बाढ़ जैसी 

महामारी, 

था अंदेशा कुछ दिलों को 

त्रास भारी !

--

उम्र गुज़र रही थी वक़्त के साथ साँझा कर रहे थे 
तीस साल गुज़रा हुआ पल उठके सामने आगया 

कहीं से कोई उम्मीद या खबर उन दिनों की नहीं थी 
तस्वीरों से यादों के लड़ियों से वो पल याद दिलाये 
--
एक अकेली कोयल 
पेड़ पर बैठी कूक रही है,
किसी को फ़ुर्सत नहीं 
कि चुपचाप सुने उसका गीत,
अपने आप में व्यस्त हैं 
सभी के सभी
--
क्या है अंतर विरह और वेदना में
दौनों में पीड़ा तो होती है
तन को हो या मन को
 कम हो या ज्यादा
--
कभी रात के अंधेरे में  भी ,
जुगनू की रोशनी सी ,
घने जंगल में भी ,
टिमटिमाती हुई
एक आस रहती है ,
लगता है कोई है कहीं !!
--
मै हूँ खुली किताब सा तेरे लिए 
तुम मेरे लिए एक पहेली हो
मै वीरान कोई मकान पुराना
तुम एक अलीशान हवेली हो
--
बोला हूं मम्मी को अपनी
मुझे झिंगोला एक सिलाओ
ऊंची सी बनवा दो सीढ़ी
' मामा ' से चल मुझे मिलाओ
--
आज महामारी की स्थितियां विपरीत हो चुकी है। प्रतिदिन 2 लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री चुनाव प्रचार में व्यस्त है। हम एक ऐसी स्थिति में आ पहुंचे हैं कि, सरकारों के मन से जनता का भय समाप्त हो गया है और जब सत्ता में आना और सरकार बनाये रखना, देश की मूल भूत समस्या और आम जन के मुद्दे से अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है तो, जो आज हम अपने आसपास देख रहे हैं, वैसा ही होने लगता है। ताली थाली, दीया बाती, टीकोत्सव के तमाशे के बाद, अब खुदी कब्रें और जलती चिताएं दिख रही हैं। लखनऊ में गोमती नदी के तट पर जलती चिता हो या मध्य प्रदेश के शवदाह गृह के बाहर शवों की लंबी कतारें, देश के वर्तमान स्थिति की रोती हुई तस्वीर बयां कर रही है। 
--
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर मिलेंगे 
आगामी अंक में 

@अनीता सैनी 'दीप्ति' 

13 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    आज का च्र्चामंच सजा है उम्दा लिंकों से |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद अनीता जी |

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर लिंक संयोजन अनीता जी! सभी लिंक्स फुर्सत से पढ़ती हूँ । शास्त्री सर के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना । चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सार्थक चर्चा।
    अनीता सैनी जी आपका आभार।
    आप सबकी शुभकामनाओं से तबियत अब थोड़ी ठीक हुई है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात सर ।
      अत्यंत हर्ष हूआ आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।
      कल जिस तरह आपकी आवाज़ सुनी मन बहुत विचलित था।
      आप जल्द ही स्वस्थ हो इसी कामना के साथ।
      सादर प्रणाम

      हटाएं
    2. आदरणीय शास्त्री जी जल्द स्वस्थ हों प्रभु श्री राम और अम्बे मां सदा उनकी रक्षा करें , राधे राधे

      हटाएं
    3. अभी भी ज्यादा स्वस्थ नहीं हूँ।
      बस अपने कमरे में बन्द हूँ।

      हटाएं
  5. बेहतरीन संकलन अनीता जी।

    मै हूँ खुली किताब सा तेरे लिए
    तुम मेरे लिए एक पहेली हो
    मै वीरान कोई मकान पुराना
    तुम एक अलीशान हवेली हो

    वाह।
    ईश्वर शास्त्री जी को जल्दी स्वस्थ करे।इसी कामना के साथ।आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. शास्त्री जी को शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएं ! विविधरंगी सूत्रों का संयोजन, मेरी रचना को शामिल करने हेतु आभार अनीता जी !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर लिंक्स , अच्छी रचनाएं , खूब सजाया आपने चर्चा मंच को , मेरी बाल रचना चंदामामा कल ना आना .. को आप ने चुना चर्चा मंच पर आभार, शास्त्री जी शीघ्र स्वस्थ हों , मां अम्बे और श्री राम प्रभु सब को खुश और स्वस्थ रखें

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन लिंकों से सजा सुंदर चर्चा अंक प्रिय अनीता,शास्त्री सर का स्वस्थ पहले से बेहतर है ये जानकार बेहद ख़ुशी हुई,वो शीघ्र पूर्णरूप से स्वस्थ हो जाये यही कामना है,आप सभी को रामनवमी को हार्दिक शुभकामनायें एवं सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर चर्चा.मेरी रचना को शामिल करने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं

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