फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, अप्रैल 07, 2021

"आओ कोरोना का टीका लगवाएँ" (चर्चा अंक-4029)

 मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

--
गीत  "नवसम्वतसर मन में चाह जगाता है"  
गीत प्रणय के गाता उपवन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते गुंजन।।
--
आता है जब नवसम्वतसर,
मन में चाह जगाता है,
जीवन में आगे बढ़ने की,
नूतन राह दिखाता है,
होली पर अच्छे लगते हैं,
सबको नये-नये व्यंजन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते गुंजन।।
 उच्चारण 
--
--
राजस्थान डायरी भाग-3 
चित्तौड़ का किला घूमने के बाद हमारे अंदर ज्यादा दम नहीं बचा थी कि हम अगले दिन फिर एक और किला घूम सकें वो क्या है ना कि इतना चलने फिरने और घूमने की आदत नहीं है हमारी, पर क्या करते राजस्थान जाकर भी यदि किले ना देखे और ना घूमे तो राजस्थान यात्रा सफल नहीं होती।  
Pallavi saxena,  
--
मूर्ख-दिवस की बधाई 

 आजकल के बच्चों के पेट में मान्यवर की दाढ़ी से भी लम्बी दाढ़ी होती है.

पिछले छह दिनों से हमारी तीन वर्षीया नातिन इरा को 'अप्रैल फ़ूूल' बनाने का चस्का लगा हुआ है.
कभी वो अपने पापा को, तो कभी अपनी मम्मा को, तो कभी अपने भैया को अप्रैल फ़ूूल बना रही हैं. मूर्ख बनाने के बाद वो अपने शिकार को मूर्ख-दिवस की बधाई देना भी नहीं भूलतीं.
इसकी एक बानगी पेश है -
Ira - 'Look mummy ! there is a spider on your back.'
Mummy - 'O my God ! Where is it?'
Ira - 'Fooled you ! Fooled you !
Happy Foolantine Day Mummy !'
गोपेश मोहन जैसवाल, तिरछी नज़र  
--
--
उदासी की दस्तक .... 
छू कर मेरी उंगलियाँ
बस इतना ही कहा
आओ तुमको दिखाती हूँ
अपना हर एक ठिकाना !

मेरी बेबस सी उदासी ने झाँका
उसकी उदास आँखों में
तुमको खोजने और कहीं क्यों जाऊँ
तुम तो बसी हो मेरे अंतर्मन में
सुनो ! पहले मुझको तो मुक्त करो
फिर चल दूँ साथ तुम्हारे ! 
निवेदिता श्रीवास्तव, झरोख़ा 
--
बैठ आमने-सामने निहारे एक दूजे को, वक्त थम जाए सिर्फ यही चाहता मन 
  सुरमयी  लोहित  सांझ और अकेला मन,
  सुध नहीं  अपनी  तुझमें  ही  खोया  मन।

  रजनी  पसार  रही  नीरव  चादर  घनेरी,
  गहराती निशा और गूफ्तगू  करता  मन। 
--
आतंकवादी है ये छत्तीसगढ़ के बीजापुर में माओवादियों ने फिर साबित किया कि आतंकवाद की तरह खून और हिंसा के अलावा उनका कोई मानवीय उद्देश्य नहीं। पूरा देश शहीद और घायल जवानों के साथ है। करीब चार घंटे चली मुठभेड़ में 15 माओवादियों के ढेर होने का मतलब उनको भी बड़ी क्षति हुई है। साफ है कि वे भारी संख्या में घायल भी हुए होंगे। किंतु, 22-23 जवानों का शहीद होना वड़ी क्षति है। 31 से अधिक घायल जवानों का अस्पताल में इलाज भी चल रहा है। इससे पता चलता है कि माओवादियों ने हमला और मुठभेड़ की सघन तैयारी की थी। 
शिवम् कुमार पाण्डेय, राष्ट्रचिंतक  
--
--
क्या मर्द को दर्द नहीं होता? 
"मर्द को दर्द नहीं होता!" 
"मर्द होकर रोते हो?" 
"मर्द को डर नहीं लगता!" 
"मर्द होकर क्या औरतों की तरह रो रहे हो?" 
ऐसी बातें हजारों बार कही और सुनी जाती है। क्यों भाई, क्या मर्द पत्थर के बने हुए है? क्या मर्द के सीने में दिल नहीं है? क्या मर्द इंसान नहीं है? यदि मर्द इंसान है, तो उनको भी डर लग सकता है...उनको भी दर्द हो सकता है...! क्या सचमुच मर्द को दर्द नहीं होता?? आइए, जानते है क्या है सच्चाई...  
--
कोरोना काल 

यह भय का दौर है 

आदमी डर रहा है आदमी से 

गले मिलना तो दूर की बात है 

डर लगता है अब तो हाथ मिलाने से 

 घर जाना तो छूट ही गया था

 पहले भी अ..तिथि बन  

अब तो बाहर मिलने से भी कतराता है

--
--
--
--
--
भारत-अमेरिका और रूस के रिश्ते कसौटी पर 
भारत के अमेरिका के साथ रिश्तों के अलावा रूस के साथ रिश्ते भी इस समय कसौटी पर हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दो दिवसीय यात्रा पर सोमवार रात दिल्ली पहुंच गए। उनकी यह यात्रा तब हो रही है जब दोनों देशों के रिश्तों में तनाव के संकेत हैं। लावरोव के कुछ तीखे बयान भी हाल में सुनाई पड़े हैं। लावरोव की आज मंगलवार को विदेशमंत्री एस जयशंकर से मुलाकात हो रही है। इसमें तमाम द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा ब्रिक्स, एससीओ और आरआईसी (रूस, भारत, चीन) जैसे संगठनों की भावी बैठकों को लेकर भी चर्चा होगी। 
Pramod Joshi, जिज्ञासा  
--
इंसान के हौंसलें ही बुलंद होने चाहिए 

जीवन में कुछ ऐसी चीजें होती है जिनका हमारे सफलताओं से कोई लेना देना नहीं है जैसे इन्सान का रंग रूप छोटा होना, मोटा होना लम्बा होना ये सब कुछ मायने नहीं रखता है मायने रखता है तो सिर्फ उस इन्सान का आत्मविश्वास जिस इंसान में कुछ भी करने का आत्मविश्वास हो उसके होंसले बुलंद हो कुछ कर गुजरने का क्षमता हो तो ऐसे इन्सान के लिए हाइट या कोई भी शरीर कि बाहरी असुंदरता मायने नहीं रखती है और सिर्फ अपनी पॉजिटिव एनर्जी होनी चाहिए। क्योंकि आपकी सफलता और आपके सपनो के बीच यदि कोई खड़ा है, तो वह कोशिश करने की इच्छा और संभवता पर विश्वास ना होना है।

 
Sawai Singh Rajpurohit, AAJ KA AGRA  
--
भारतीय कार्य-संस्कृति और व्यवस्था की कड़वी सच्चाई 

जॉन अब्राहम द्वारा निर्मित तथा अभिनीत चर्चित हिन्दी फ़िल्म परमाणु को देखने का सौभाग्य मुझे तनिक विलंब से ही मिला जब इसे मेरे नियोक्ता संगठन भेल के क्लब में प्रदर्शित किया गया । फ़िल्म बहुत ही अच्छी निकली । मई १९९८ में पोखरण में किए गए परमाणु विस्फोट जिसने भारत को नाभिकीय शक्ति सम्पन्न देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया, की पृष्ठभूमि को इस फ़िल्म में फ़िल्मकार ने अपनी कल्पना का तड़का लगाकर मनोरंजक तथा प्रभावी स्वरूप में प्रस्तुत किया है तथा इसके माध्यम से वह दर्शक-वर्ग में राष्ट्रप्रेम तथा राष्ट्रीय कर्तव्य के प्रति निष्ठा की भावनाएं जगाने में भी सफल रहा है । फ़िल्म आद्योपांत दर्शक को बाँधे रखती है तथा उसके समापन पर वह अपने मन में राष्ट्र के सम्मान को सर्वोपरि रखने के ध्येय के साथ राष्ट्र के प्रति कर्तव्यपालन का भाव अनुभव करता है । फ़िल्म का तकनीकी पक्ष, अभिनय पक्ष तथा संगीत सभी सराहनीय हैं तथा कुल मिलाकर इसे निस्संदेह एक अच्छी फ़िल्म कहा जा सकता है । 

जितेन्द्र माथुर, 
--
आज के लिए बस इतना ही।
--

10 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बिल्कुल सच कहा आप ने शास्त्री जी, जब से फेस बुक पर साहित्यकार सक्रिय हुए और पेज भी वहां बनाने लगे ब्लाग को सजाने संवारने का काम रुक सा गया है , चर्चा मंच सराहना के योग्य है कम से कम इस दिन लोग एक दूजे के ब्लाग पर तो पहुंच कर कुछ रफ्तार देते हैं , आभार आप का मेरी रचना 'मुझको भी ले चल तू मुन्ना रंग बिरंगे सपनों में ' को स्थान देने के लिए, आभार और प्रणाम, राधे राधे
    सभी काव्य प्रेमी और साहित्य प्रेमी को सादर अभिवादन

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह, सदा की तरह एक से बढ़कर एक रचनाओं के सूत्रों से सजा चर्चा मंच, जो अपनी भूमिका से कभी भी पीछे नहीं हटता। आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर और विविधरंगी चर्चा प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग को चर्चा मंच में शामिल करने लिए आपक बहुत बहुत धन्यवाद आभार एवं आभार। 🙏🌻

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरे लेख को स्थान देने के लिए आपका आभार आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    सभी लिंक्स बहुत सुन्दर
    चर्चामंच पर मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  8. बढ़िया लिंक्स....
    बढ़िया चर्चा...

    समस्त रचनाकारों को साधुवाद एवं हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई,सभी की रचनाएं एक से बढ़कर एक,पढ़कर अच्छा लगा।मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर सराहनीय चर्चा

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।