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शनिवार, जून 12, 2021

'बारिश कितनी अच्छी यार..' (चर्चा अंक- 4093)

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीय
 विशाल चर्चित जी। 

सादर अभिवादन। 
शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

आज प्रस्तुति की शीर्षक पंक्ति व काव्यांश  आदरणीय विशाल चिर्चित जी की रचना से -
सोनू यार मोनू यार
बारिश कितनी अच्छी यार,
मम्मी बोली नहीं भीगना
छतरी कितनी छोटी यार...

चल कागज की नाव बनायें
पानी में उसको तैरायें,
तितली रानी को भी उसमें
बिठा के दोनों सैर करायें...

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

--
अरे देख तो वो है चींटा
चींटे पर चल मारें छींटा,
अच्छा बेचारे को छोड़
आ हम दोनों खायें पपीता..
--
ज्वार | कविता | डॉ शरद सिंह
पीड़ा, प्रेम
आकुलता, व्याकुलता
भावनाओं का ज्वार ही तो है
जो बहा लाता है
अपने साथ यादों को
जो बहा ले जाता है
अपने साथ वादों को

शुक्ल पक्ष की चाँदनी में

 भीगी रातें..,

जब होती हैं

अपने पूरे निखार पर

तब...

 रात की रानी 

मिलकर

 रजनीगंधा के साथ

टांक दिया करती हैं 

उनकी खूबसूरती और

मादकता में

चार चाँद ..

--

कैसी होगी बिना पानी दुनिया

एक पल के लिए सोचियेगा उन शहरों के बार में जहां पीने का पानी खत्म होने लगा है, उन शहरों के बारे में जिन्हें डे जीरो में सूचीबद्व कर लिया गया है....सोचियेगा कितना खौफनाक होगा वह समय जब पानी के लिए हम अपने अंदर रोज एक युद्ध लड़ रहे होंगे...

जिन पत्तों से तुम घिरे हो,

जिस डाल पर खिले हो,

जिस पेड़ से जुड़े हो,

सब होंगे एक दिन धराशाई,

कोई पहले,कोई बाद में. 

--

बंद अलमारी - -

काश ! तुम खोल पाते, महोगनी
से बनी वो अदृश्य अलमारी,
चाबियों का गुच्छा यूँ
तो था तुम्हारे
सामने
लेकिन तुमने कभी कोशिश ही न
की
मैं पुनर्जीवित होना चाहती हूँ   
अपने मन का करना चाहती हूँ   
छूटते संबंध टूटते रिश्ते   
वापस पाना चाहती हूँ   
वह सब जो निषेध रहा   
अब करना चाहती हूँ
वो जो अभी बैठा था महफ़िल में
बीच से उठ चला जाता है अचानक
मगर कहाँ और क्यों?
क्यों जरूरी है महफ़िलों को तेज़ाब से नहलाना?
क्यों जरूरी है हँसते चेहरों पर खौफ की कहानी लिखना?
क्यों जरूरी है मासूमों के सर से साया उठाना?
--अधूरी बात

रह जाती है अधूरी वो जरुरी बात
सोचकर कि कल कहूँगा आज नही
तैयारियां नाकाम हो जाती तेरे सामने
जैसे कि जज्बात तो हैं अल्फ़ाज नही

कुछ भी बदला नहीं

कुछ भी बदला
नहीं फलाने
सब जैसा का तैसा है
सब कुछ पूछो
यह मत पूछो
आम आदमी कैसा है
--
--
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर मिलेंगे 
आगामी अंक में 

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुति। मेरे सृजन को स्थान देने हेतु आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. अनीता जी बहुत ही गहन और सुंदर चयन। मेरे आलेख को स्थान देने ेके लिए आभारी हूं।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति । इस प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार अनीता जी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार।


    सुंदर संकलन
    सभी रचनाये प्रभावशाली

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी रचना 'सोनू यार-मोनू यार' को सम्मान देने के लिये अनीता जी एवं चर्चा मंच के प्रबंधन से जुड़े समस्त सदस्यों का हृदय से आभार एवं मंच की विशेष सफलता एवं यश-कीर्ति हेतु ईश्वर से विशेष प्रार्थना...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत शानदार रही आज की चर्चा , शीर्षक मन भावन।
    सभी सामग्री बहुत सुंदर सुखद, सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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