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गुरुवार, अगस्त 05, 2021

'बेटियों के लिए..'(चर्चा अंक- 4147)

शीर्षिक पंक्ति :आदरणीया अमृता तन्मय जी। 


सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।


आदरणीय दिलबाग जी सर कहीं व्यस्त हैं आज फिर आपके समक्ष मैं ही उपस्थित हूँ। 

 काव्यांश आदरणीया अमृता तन्मय 
की रचना से -

यदि सारी बेटियाँ अपने ही घर में बच जाएँगी
तो वे विरोध से नहीं बल्कि प्रेम से बढ़ पाएँगी
तब तो दो-चार ही क्यों अनगिनत पदकों का भी
अंबार लगाकर ढ़ेरों नया-नया इतिहास बनाएँगी .

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ- 

 --

Amrita Tanmay: उन भ्रूण बेटियों के लिए.........

क्यों बेटों के लिए बेटियों को कुचला जाता है ?
कोई क्यों बेटियों का ही भ्रूण हत्या करवाता है ?
घरेलू हिंसा की पीड़िता सबसे है पूछना चाहती 
क्या इस तरह ही समाज गौरवशाली बन पाता है ?
--
अचानक गाँवों में झिंगुर उड़़ने लगे हैं,
सायद कुछ दिन बाद चुनाव आने लगे हैं।
 
कल तक एक पत्ता तक नहीं हिल रहा था
आज पुरवा पछुवा एक साथ बहने लगे हैं।
--
इस शहर में कुछ ख़ास नहीं बदला,
पर अब यह शहर शहर नहीं लगता,
कितना ज़रूरी है शहर में शोर होना 
शहर को शहर बनाने के लिए.
--
हम
और तुम
साक्षी हैं
धरा पर बीज के
बीज पर अंकुरण के
अंकुरण पर पौधा हो जाने के कठिन संघर्ष के 
पौधे के वृक्ष बनने के कठिन तप के
उस पर गिरी बूंदों के
वाकिफ़ ज़माना रहा परदानशीन तेरे हुस्नों अंदाज़ से 
नज़रें मिलायी हटा हिज़ाब सिर्फ तूने दर्पण यार से 
आये तुम जब कभी इस अंजुमन की छावं में 
चाँद ईद का निकल आया जैसे अमवास रात में 
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कितने  किये टोटके कई बार
पर कोई हल न निकला
जीवन पर प्रभाव  भारी  हुआ
सुख की नींद  अब स्वप्न हुई |
--
कहीं आईना मिलता तो वह जरा अपनी सूरत भी देखती। घर से चलते समय उसने आईना देखा था। अपने रूप को चमकाने के लिए जितना सान चढ़ा सकती थीउससे कुछ अधिक ही चढ़ाया था। लेकिन अब वह सूरत जैसे स्मृति से मिट गयी हैउसकी धुँधली-सी परछाहीं भर हृदय-पट पर है। उसे फिर से देखने के लिए वह बेकरार हो रही है। वह अब तुलनात्मक दृष्टि से देखेगी,
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"मुझे नहीं पता था कि मेरे घर में भी विभीषण पैदा हो गया है..," सलाखों के पीछे से गुर्राता हुआ पिता अपने बेटे का गर्दन पकड़े चिल्ला रहा था।"बड़े निर्लज्ज पिता हो। जिस पुत्र पर गर्व होना चाहिए उसको तुम मार देना चाहते हो...," पिता के हाथों से पुत्र का गर्दन छुड़ाता हुआ पुलिसकर्मी ने कहा।
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बालों को ठंडे पानी का आखिरी रिंस देना क्यों जरूरी है? | आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल 

हर इंसान खूबसूरत दिखना चाहता है और खूबसूरत दिखाने में हमारे बाल अहम भूमिका निभाते है। लेकिन अक्सर अनजाने में हम बाल धोने का गलत तरीका अपनाते है जिससे हमारे बाल डैमेज हो जाते है। बालों की केयर करने के लिए लोग हेयर स्पा से लेकर बालों में अच्छी गुणवत्ता वाला शैंपू और कंडीशनर भी लगाते है। बालों को कैसे पानी से धोना चाहिए इस बात को लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहता है। यदि हम रूटीन में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखे तो बालों के टूटने और झड़ने संबंधी कई समस्याओं से निजात पा सकते है। आइए जानते है कि बालों को कैसे पानी से धोना चाहिए और बालों को ठंडे पानी का आखिरी रिंस देना क्यों जरूरी है? 

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मुझे गहन दुख होता है यह देखकर कि धार्मिकता का पाखंड करने वाले भी अनेक लोग सैडिस्ट अथवा परपीड़क स्वभाव के होते हैं जो लोकदिखावे के लिए रामायण (या अन्य धार्मिक ग्रंथ) का पाठ तो करते हैं लेकिन परोपकार के स्थान पर परपीड़ा में रुचि अधिक लेते हैं । ऐसे लोगों को मैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का प्रिय भजन स्मरण कराना चाहता हूँ - 'वैष्णव जन तो तैने कहिए जे पीर पराई जाने रे। पराई पीर को जान लेनेअनुभूत कर लेने में ही सच्ची धार्मिकता निहित हैईश्वर के प्रति सच्ची आस्था और श्रद्धा निहित है । मैं सम्पूर्ण रामचरितमानस चाहे न पढ़ पाऊं लेकिन गोस्वामी तुलसीदास के इस सनातन और कालजयी संदेश को मैंने जीवनभर के लिए हृदयंगम कर लिया है -
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आज का सफ़र यहीं तक 
फिर मिलेंगे 
आगामी अंक में 

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चर्चा. हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरे आलेख को स्थान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीया अनीता जी। आपका रचना-चयन समावेशी दृष्टिकोण लिए हुए है, वैविध्यपूर्ण है, प्रशंसनीय है।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेटियों के विषय में बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ लिखी हैं. हार्दिक आभार.

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  5. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, अनिता।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुंदर रचनाएं और उनका चयन। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर,सामयिक तथा वैविध्यपूर्ण रचनाओं का संकलन, आपको बहुत शुभकामनाएं प्रिय अनीता जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रमुखता से बेटियों की यह पुकार हर हृदय तक पहुँचाने के लिए हार्दिक आभार एवं सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर सूत्रों से सजायी चर्चा अनीताजी।

    जवाब देंहटाएं

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