Editor Blog-कान्हा आदर्शों की जिद हैं
वे श्रीकृष्ण होकर चंचल नहीं हैं, तब वे एक संगठित हैं, चरम हैं और श्रेष्ठतम होने के सर्वोच्च विचार जैसे सुखद...। उनका वो चेहरा, उनका श्रीकृष्ण हो जाना...हमारी राह प्रशस्त करता है, हमें सिखाता है...उस मौन को महसूस कर उस पथ पर अग्रसर होने की एक किरण दिखाता है। उनकी ये यात्रा हमेशा हमारे मन में गतिमान रहती है, हमारा मन उस यात्रा को महसूस करता है...वो परम की यात्रा...स्वर्णिम सी सुखद...।
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जिज्ञासा के गीत-नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा
गूँगी गुड़िया-भरे भादवों बळ मन माही
भरे भादवों बळ मन माही
बैरी घाम झुलसाव है
बदल बादली भेष घणेरा
अंबरा चीर लुटाव है।।
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देवकी संतान करेगा अंत उसका|
यही संताप रहता उसके मन में
जैसे ही गोद भरती बहिन की
मार देता उसके बच्चे को
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Adeebhindi-श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामानयें
छान्दसिक अनुगायन-एक गीत सामयिक-फिर बनो योगेश्वर कृष्ण
फिर बनो
योगेश्वर कृष्ण
उठो हे पार्थ वीर ।
हे सूर्य वंश के
राम
उठा कोदण्ड- तीर ।
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अग्निशिखा :निशांत पलों का पड़ाव - -
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बांग्ला के प्रसिद्ध कवि काजी नजरूल इस्लाम का जन्म 24 मई 1899 को हुआ था। निधन 29 अगस्त 1976 को हुआ। भगवान कृष्ण पर उनकी 5 प्रसिद्ध रचनाएं उनकी पुण्यतिथि पर आपके लिए…
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सुप्रभात आज का अंक कृष्ण से भर पूर |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार दहित धन्यवाद कामिनी गी |
आज भी कृष्ण का रंग चढ़ा है, सुंदर रचनाएँ, सभी रचनाकारों व पाठकों को शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंमेरे आराध्य भगवान श्री कृष्ण के रंग में रंगा है आज का चर्चामंच का ये रंगमंच । बहुत खूब कामिनी जी, आपकी मेहनत जबरदस्त है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी जी।
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंमनोहारी, उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन। सादर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम मेरी रचना को शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशामिल करने के लिए दिल से आभार।
सादर
बहुत सुंदर सारगर्भित तथा पठनीय सूत्रों का अनूठा संकलन, आपके श्रम को मेरा हार्दिक नमन, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंकृष्ण रंग में रँगी हुई सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार |सादर अभिवादन |
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