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मंगलवार, अगस्त 31, 2021

"कान्हा आदर्शों की जिद हैं"'(चर्चा अंक- 4173)

सादर अभिवादन 
आज  की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय संदीप जी की रचना से )
"कान्हा से भगवान श्रीकृष्ण हो जाना एक यात्रा है,
 एक पथ है, मौन का गहरा सा अवतरण।"

"कृष्ण" नाम अनेक,रूप अनेक 
उनको देखने का नजरिया भी अनेक 

संदीप जी ने बहुत अच्छी बात कही है "श्रीकृष्ण जीवन एक यात्रा है"
कान्हा का जीवन "आदर्शों की जिद हैं"
"श्रीकृष्ण जीवन" हमें समझाता है कि -कठिनाईयाँ तो भगवान के जीवन में भी थी 
जन्म लेते ही माँ से बिछड़े 
जिसे चाहा, उस प्रेयसी को ना पा सकें 
जनमानस का कल्याण करके भी कलंकित रहें। 
प्रतिकूल परिस्थितियाँ तो सबके जीवन में आती है 
महत्वपूर्ण ये है कि -उन परिस्थितियों में हमने प्रतिक्रिया कैसी दी। 


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Editor Blog-कान्हा आदर्शों की जिद हैं




वे श्रीकृष्ण होकर चंचल नहीं हैं, तब वे एक संगठित हैं, चरम हैं और श्रेष्ठतम होने के सर्वोच्च विचार जैसे सुखद...। उनका वो चेहरा, उनका श्रीकृष्ण हो जाना...हमारी राह प्रशस्त करता है, हमें सिखाता है...उस मौन को महसूस कर उस पथ पर अग्रसर होने की एक किरण दिखाता है। उनकी ये यात्रा हमेशा हमारे मन में गतिमान रहती है, हमारा मन उस यात्रा को महसूस करता है...वो परम की यात्रा...स्वर्णिम सी सुखद...।


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जिज्ञासा के गीत-नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा




नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा
जसुदा माँ का राजदुलारा

जनम लिया वो कारागर में
काली आधी रात प्रहर में
सुंदर नैना वर्ण है कारा

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गूँगी गुड़िया-भरे भादवों बळ मन माही




 भरे भादवों बळ मन माही 

बैरी घाम झुलसाव है 

बदल बादली भेष घणेरा 

अंबरा चीर लुटाव है।।

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देवकी संतान करेगा  अंत उसका|


यही संताप रहता  उसके मन में


जैसे ही गोद भरती बहिन  की 


 मार देता उसके बच्चे को 



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Adeebhindi-श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामानयें




कदम्ब के वृक्ष को देख के सोचा  
कितना मनमोहक है ये
कृष्ण इसी फर झूलते होगें
इसके तले ही घूमते होगें 
गइया चराने जाते होगें 
अनेक लीलाए दिखाते होगें


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छान्दसिक अनुगायन-एक गीत सामयिक-फिर बनो योगेश्वर कृष्ण





फिर बनो

योगेश्वर कृष्ण

उठो हे पार्थ वीर ।

हे सूर्य वंश के

राम

उठा कोदण्ड- तीर ।



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अग्निशिखा :निशांत पलों का पड़ाव - -





आँखों में था एक जागता हुआ उपवन,
फिर भी अशेष ही रहा स्वयं से
कथोपकथन। कभी शिखर
पर चढ़ते ही, एक ही
पल में शून्य
पर थी


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बांग्ला के प्रसिद्ध कवि काजी नजरूल इस्लाम का जन्म 24 मई 1899 को हुआ था। निधन 29 अगस्त 1976 को हुआ। भगवान कृष्ण पर उनकी 5 प्रसिद्ध रचनाएं उनकी पुण्यतिथि पर आपके लिए…

अगर तुम राधा होते श्याम।
मेरी तरह बस आठों पहर तुम,
रटते श्याम का नाम।।
वन-फूल की माला निराली


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आज का सफर यही तक 
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 

कामिनी सिन्हा 

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात आज का अंक कृष्ण से भर पूर |
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार दहित धन्यवाद कामिनी गी |

    जवाब देंहटाएं
  2. आज भी कृष्ण का रंग चढ़ा है, सुंदर रचनाएँ, सभी रचनाकारों व पाठकों को शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरे आराध्‍य भगवान श्री कृष्‍ण के रंग में रंगा है आज का चर्चामंच का ये रंगमंच । बहुत खूब काम‍िनी जी, आपकी मेहनत जबरदस्‍त है।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर और सार्थक चर्चा।
    आपका आभार कामिनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. मनोहारी, उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद मैम मेरी रचना को शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
    शामिल करने के लिए दिल से आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर सारगर्भित तथा पठनीय सूत्रों का अनूठा संकलन, आपके श्रम को मेरा हार्दिक नमन, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..

    जवाब देंहटाएं
  9. उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं

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