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रविवार, अगस्त 08, 2021

"रोपिये ना दोबारा मुट्ठी भर सावन"(चर्चा अंक- 4150)

 सादर अभिवादन 

आज  की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 

(शीर्षक और भूमिका आदरणीय संदीप जी की रचना से )

रोपिये ना दोबारा

मुट्ठी भर सावन

इस धरा में

मुट्ठी भर

रिश्ते

अपनों के बीच

और 

मुट्ठी भर 

यादें बचपन की

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सावन सिर्फ रिमझिम का महीना नहीं है.... 

जुड़ा है इससे......प्रेम, भक्ति, समर्पण और श्रंगार भी 

यदि सावन फीका......तो सब फीके पड़ जायेगे 

आईये, आज कविताओं के माध्यम से ही सही सावन को याद कर लें.....

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रोपिये ना दोबारा मुट्ठी भर सावन




उसके घर में कदम रखते ही

सफल हो जाता था

सावन का आना

भादो में ढल जाना।

रिश्तों  के मर्म में देखो 

अब कहां है

और कितना है

सावन


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"टेढ़ी मुस्कुराहट"


सुनो ! - अचानक अपने पीछे से आवाज सुन पीहू ने पलट कर देखा ।

- वो अंकल जो सामने खड़े हैं उन्हें बोलो मैं बुला रहा हूँ

उनको .., देखो धीरे से कहना कोई सुने नहीं ।

- आपके हाथ में मोबाईल है ..आप बात क्यों नहीं कर लेते ।

हाजिर जवाब पीहू का मूड नहीं था संदेश वाहक बनने का ।

कुछ देर इधर-उधर अपनी हमउम्र रिश्तेदार लड़कियों के साथ


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लोरी



”माँ...।”

और नंदनी मौन हो गई।

” हूँ ...बोल! न लाडो।”

माँ नंदनी के मुख से पल्लू हटाती है।

”मैं तुम्हारे सर का ताज हूँ।” 

यह नहीं कहा।

और नंदनी अपने आकुल मन को सुलाने लगती है ।

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वही पुरवाई




भरमाती, संग चली आई, वही पुरवाई!

कितनी ठंढ़ी सी, छुवन,
जागे, लाख चुभन,
वही रातें, वही सपने, फिर लिए आई,
भरमाए पुरवाई!


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धूप-छाँह 

बारिश 

हर मौसम में खिलते हैं ।

जंगल के

फूल कहाँ

जूड़े में मिलते हैं ।


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इस बेरहम संसार में |

कितने यत्न किये मैंने तुम्हें रिझाने में

अपनी ओर झुकाने में  

पर तुम स्वार्थी निकले

एक निगाह तक न डाली मुझ पर  |

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निर्बंध एहसास - -



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सावन की कजरी


सखी री ! सावन में अइलै बलमुआ,
जिया हरसे री सखी।
सखी री ! रिमझिम बरसे सवनमा,
जियरा हरसे थी सखी। 

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  • आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें 

    आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 

    कामिनी सिन्हा 


12 टिप्‍पणियां:

  1. सभी लिंक्स अच्छे।आपका हृदय से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत आभारी हूँ कामिनी जी...। आपने रचना को मान दिया...। साधुवाद...। सच सावन बिसराया जा रहा है... शायद इसलिए आदमी की पीर तेजी से सूखने लगी है...।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने के लिए |उम्दा अंक आज का |

    जवाब देंहटाएं
  4. विविधरंगी प्रस्तुति । सुन्दर सूत्रों से सजे संकलन में सृजन को सम्मिलित करने हेतु आभार कामिनी जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति कामिनी दी।
    मुझे स्थान देने हेतु दिल से आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय कामिनी जी, विविधरंगी रचनाओं से सज्जित रोचक एवम पठनीय अंक,लगभग सभी रचनाओं पर गई । लाजवाब चयन और प्रस्तुति, शुभकामनाएं एवम बधाई ।

      ReplyDelete

      हटाएं
  7. मंच पर उपस्थित होने के लिए आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं

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