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शुक्रवार, अगस्त 27, 2021

"अँकुरित कोपलों की हथेली में खिलने लगे हैं सुर्ख़ फूल" (चर्चा अंक- 4169)

सादर अभिवादन ! 

शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन ! 

आज की चर्चा का शीर्षक आ.अनीता सैनी जी की कविता "विश्वास के मुट्ठी भर दाने" के कवितांश से लिया गया है ।

--

आइए अब बढ़ते हैं आज की चर्चा के सूत्रों की ओर-

गीत "पाक से करना युद्ध जरूरी है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

दुशमन को अब सबक सिखाना, भारत की मजबूरी है

अपने हक के लिए पाक से, करना युद्ध जरूरी है

दशकों से हमने झेला, आतंकी कुटिल-कुचालो को

पूर्णविराम लगा देंगे अब, उठते हुए सवालो को

***

विश्वास के मुट्ठीभर दाने

धूप दहलीज़ पर बैठ 

दिनभर करती है रखवाली

अँकुरित कोपलों की हथेली में 

 खिलने लगे हैं सुर्ख़ फूल।

***

ग्रैफिटी | कविता | डॉ शरद सिंह

ग्रैफिटी 

ज़िन्दा कर देती है

मरी हुई दीवारों को

मरी हुई भावनाओं को

***

गाँव की लड़की

गाँव की वह छोटी-सी लड़की

बहुत उदास हो जाती है,

जब माँ-बाप को कहते सुनती है,

‘काश,हमारे यहाँ बेटा पैदा होता.’

***

मौसम में मधुमासी

रिमझिम बूँदों की बारातें

मौसम में मधुमासी जागी।

मलय संग पुरवाई लहरी

जलती तपन धरा की भागी।

***

रचना बेसुरी

ना स्वर मिले न ताल  

कैसा है  संगीत सोच हुआ बेहाल  

शब्द विन्यास भी खोखला

मन में पीड़ा का दंश चुभा |

***

एक दिन हो जाना है राख

ये तेरा है ये मेरा है

लड़ते रहे बनी ना बात,

खून जिस्म में कमा के लाते

फिर भी सुनते सौ सौ बात

***

आराम चाहिए......

मुश्किलें तो नजर आती हैं सबको बड़ी-बड़ी,

स्वयं कुछ कर सकें, ऐसी हिम्मत नहीं पड़ी ।

सब ठीक करने वाला, अवतारी आये धरा पर,

नर तनधारी कोई "श्रीकृष्ण या श्रीराम" चाहिए।

**

क्षणिक बिलगाव - -

पंखुड़ियों के नाज़ुक परतों पर हैं अभी

तक तितलियों के स्पर्श

 बाक़ी,

अन्तःगंध है सीमाहीन

***

नदिया तू तो अम्मा जैसी

अपनों के सह व्यंग बाण,

जब उनके हिय लग जाऊँ ।

सागर की धारा में जैसे,

बूंद बूंद घुल जाऊँ ।।

***

दूर और पास 

दूर से सूरज की आभा में 

 नीला पर्वत लग रहा था मोहक 

और उसके नीचे फैला हरा

मैदान बुला रहा था

***

अपना व अपनों का ख्याल रखें…,

आपका दिन मंगलमय हो...

फिर मिलेंगे 🙏

"मीना भारद्वाज"




       


9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात सभी को 🙏🙏🙏
    विविध प्रकार की रचनाओं से सजा बहुत ही सुंदर चर्चामंच!
    बहुत ही शानदार प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।
    मेरी पोस्ट को चर्चा नें लेने को लिए
    आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति।
    शीर्षक मेरी रचना की पंक्तियाँ देख अत्यंत हर्ष हुआ आभारी हूँ स्थान देने के लिए।
    दिल से आभार आदरणीया मीना दी जी इस बेहतरीन संकलन हेतु।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात ! पठनीय लिंक्स से सजी सुंदर चर्चा, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. सारे सूत्र बहुत ही सुंदर और सारगर्भित हैं,साथ ही मेरी रचना को मान और स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । बहुत शुभकामनाएं मीना जी🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी लिंक बेहतरीन मीना जी ।
    शीर्षक लुभा रहा है पूरी रचना पढ़ने को गहन सृजन!
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  7. उम्दा लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति... मेरी रचना को चर्चा में सम्मिलित करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी!

    जवाब देंहटाएं
  8. सराहनीय प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद मीना जी |

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर चर्चा। मेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं

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