सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
ऑलाम्पिक खेलों का कल समापन हो गया। भारत के खिलाड़ियों ने तीनों तरह के पदक जीते।
पदक जीतनेवाले खिलाड़ियों को राज्य सरकारों ने पुरस्कार राशि यथाशक्ति देने की घोषणा की।
भारत की खेल-नीति अजीब है कि पहले मेडल जीतो फिर सरकारी कृपा के हकदार बनो...
-अनीता सैनी 'दीप्ति '
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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ईंधन पर अब हो गयी, मँहगाई की मार।
देखो डीजल कर गया, सत्तर रुपया पार।।
जिनको मत अपना दिया, वो ही हैं अब मौन।
जनता के दुख-दर्द की, बात सुने तब कौन।।
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ठक! ठक! ठक!
कृपया गरिमा बनाए रखें!
कृपया मर्यादा बनाए रखें!
अन्यथा सख्त कार्यवाही होगी
हमारे हर एक, झुठफलाँग-उटपटाँग सा
भ्रांतिकारी-क्रांतिकारी, क्रियाकलापों का
हमारे ही, कलह-क्लेशी कुनबे के, कटघरे में
तुरत-फुरत वाली, आँखों देखी, गवाही होगी!
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हम तलाशते फिरेंगे अपना
बिखरा हुआ अस्तित्व
फ़र्श के कोनों में,
कांच के
चौकोरों को बांध रखा है हमने सुरभित
काठ के फ्रेमों में।
बिखरा हुआ अस्तित्व
फ़र्श के कोनों में,
कांच के
चौकोरों को बांध रखा है हमने सुरभित
काठ के फ्रेमों में।
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दु:ख के प्रतिमान बदले
भय भयंकर छा रहा
बीतना कितना कठिन पर
काल बीता जा रहा
कष्ट का हँसता अँधेरा
बादलों के पार तक।।
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तुम और मैं
अक़्सर अब शब्दों में
मिलने लगे
विचारों में टटोलने लगे हैं
एक-दूसरे को
अपनेपन की दीवारों पर
कड़वाहटों की दरारें
उभर आईं हैं
जरूरत है इनको मरम्मत की !
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वो तो विश्वास की ठोकर से बस
लड़खड़ा कर था गिरा
और ये दुनिया समझती है कि
वो वक्त पर संभला नही
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कुछ धुंधली सी यादों में,
कुछ खुली किताबों में ।
कुछ ढुंढता रहता हूँ,
कुछ अनसुलझे से सवालों में ।
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किस्मत वाला हूँ,
एक नयी पिटारी,
लाल-पीले,
चटख रंगों से रंगीं,
घनी घेवर से भरी,
चलते चलते,
पा गया हूँ, राह में।
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कुछ यादे हैं जो गुदगुदाया करती हैं
कभी अधरों पर बन मुस्कुराहट
तो कभी आँखों में बन बदली
छा जाया करती हैं,
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सितम्बर, 1942 की एक शाम का वाक़या था.
शेख कुर्बान अली ने अपनी हवेली में कोतवाल हरकिशन लाल की बड़ी आवभगत की और उनको विदा करते वक़्त उनकी जेब में चुपके से एक थैली भी सरका दी. शेख साहब की हवेली से वैसे भी कोई सरकारी मुलाज़िम कभी खाली हाथ नहीं जाता था पर आज कुछ ख़ास ही बात थी. कोतवाल साहब की रुखसती के बाद से शेख साहब को उदासी और फ़िक्र ने घेर लिया था. कोतवाल साहब ने उन्हें ऐसी ख़ुफ़िया खबर सुनाई थी कि उनके होश फ़ाख्ता हो गए थे.
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धर्मोन्मादिता हर धर्म के कुछ लोगों में दिखाई देती है, किसी में ज़्यादा तो किसी में कम! शायद ऐसे लोग दूसरे धर्मावलम्बियों की भावनाओं को आहत करने को ही अपनी और अपने धर्म की जीत मानते हैं। वह नहीं जानते कि ऐसा कर के वह अपराध ही नहीं, बल्कि महापाप कर रहे हैं। ऊपर वाला (ईश्वर/अल्लाह) सोचता अवश्य होगा ऐसे जाहिलों की हरकतें देख कर कि कैसे नारकीय जीवों को उसने इन्सान बना कर धरती पर भेज दिया है।
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आज हरियाली अमावस्या है। हमारे हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहते हैं। इसे विशेष तिथि के रूप में माना जाता है। इस दिन लोग पूर्वजों के निमित्त पिंडदान एवं दान-पुण्य के कार्य करने के साथ ही जीवन में पर्यावरण के महत्व को समझते हुए वृक्षारोपण करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सारे दुःख-दर्द दूर होते हैं तथा सुख-समद्धि का वास होता है। इस दिन किसान भी अपने खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं और ईश्वर से अच्छी फसल होने की कामना करते हैं।
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सुन्दर संकलन. मनमोहक शीर्षक- कृष्ण संवारो काज.
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ।
हटाएंसादर नमस्कार
सभी रचनाएँ अपना माधुर्य बिखेरती हुई - - चर्चा मंच को आकर्षक बना रहीं हैं - - श्री कृष्ण को गुहार लगाती जनता जन्माष्टमी का इंतज़ार कर रही है , नमन सह अनीता दी।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंमंच पर आपकी मौजूदगी संबल है मेरा।
आप जैसे उत्कृष्ट साहित्यकार द्वारा मेरे लिए ”दी” शब्द गौरवान्वित करने वाला है आपका दिल से अनेकानेक आभार।
सादर नमस्कार
भारत की खेल-नीति अजीब है कि पहले मेडल जीतो फिर सरकारी कृपा के हकदार बनो... आपने सही कहा अनिता जी। बल्कि मुझे तो लगता है कि जितना पैसा सरकार मेडल जीतने के बाद खिलाड़ियों पर खर्च करती है, उतना होनहार खिलाड़ियों को तैयार करवाने में लगाए तो हमारे देश में और भी पदक आ सकते हैं। प्रतिभा की कमी नहीं है। इस विशाल जनसंख्या वाले देश में क्या पचास लोग भी पदक जीतनेवाले ना होंगे ? पर उनके पास संसाधनों की कमी है, जानकारी व प्रशिक्षण का अभाव है।
जवाब देंहटाएंअब तीज त्योहारों का महीना है। उत्साह व उल्लास के दिनों का इंतजार है। सुंदर प्रस्तुति, बेहतरीन अंक।
दिल से आभार दी...निशब्द हूँ आपने मेरे भाव समझे।
हटाएंअच्छे से कह नहीं पाई।
सादर नमस्कार
बहुत ही खूबसूरत सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को भी स्थान दिया आपकी हृदय से आभारी हूँ अनीता जी ! सभी रचनाएं बहुत सारगर्भित एवं पठनीय ! तहे दिल से शुक्रिया ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना 'जाहिलाना हरकत' को इस सुन्दर चर्चा-अंक का हिस्सा बनाए जाने के लिए आभारी हूँ आदरणीय अनीता जी! चयनित सभी रचनाओं ने मन मोह लिया। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरी ब्लॉगपोस्ट चर्चा मंच में शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स मिले । आभार ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद् !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय,सामयिक तथा सारगर्भित अंक,सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत शुभकामनाएं प्रिय अनीता जी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार एवं हार्दिक प्रेम आपके लिए । अति सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंThanks for giving me space here.
जवाब देंहटाएंAll thoughts are awsome. Thanks again.
बहुत सुंदर चर्चा! विविधता समेटे उत्कृष्ट लिकों का चयन, प्रतिष्ठित ब्लाग्स के साथ आज कुछ नये प्रतिभाशाली ब्लाग पढ़वाये आपने प्रिय अनिता, बहुत अच्छा लगा बहुत शानदार अंक।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई, मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सस्नेह सादर।