सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
8 अगस्त 2021 को संपन्न होने जा रहे
ऑलम्पिक खेलों में
कल भारत की बेटी पी.वी.सिंधु ने
बैडमिंटन (महिला वर्ग ) में
कांस्य पदक
जीतकर इतिहास रचा।
दो ऑलम्पिक पदक जीतनेवाली वे पहली भारतीय महिला हैं।
हमारी ओर से ढेरों शुभकामनाएँ।
आइए पढ़ते हैं ब्लॉग जगत में रची गईं कुछ ताज़ा रचनाएँ-
"डूबा नया जमाना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
भूल गये हैं हम उनको,
सब हुए मगन
ठुमक रहे
नृत्य संगीत पर
लहरा रही
सतरंगी चूनर
ओढी गोरी ने
मौसम सुहावना
कोई न रहा
उससे अनछुआ
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वसुंधरा के उद्दाम ललाट पर
सूरज की ललाम आशा
प्रातः की कवित्त विरुदावली है या
मेरी कविता की अभिलाषा !!
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भय की इक चट्टान पड़ी थी
रोक रही थी प्रेमिल धारा,
राह उसी की चला दो कदम
टूटी अंतर की हर कारा
!
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पर मेरी उधाड़ी जुगाड़ी कोशिशों को भाँपकर
बरबादी की ऐसी सत्यानाशी सनक से काँपकर
अपनी ही रूह की होती मौत देख बेचारी कविता
सिर धुनती हुई बन गई रूई का फाहा
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बारिश लगती है दुश्मन-सी ,
टूटा जब छप्पर होता है।
उनका लहजा ऐसा समझो ,
जैसे इक नश्तर होता है।
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एक शाम मैंने उसे सब पाते देखा
नहीं देखा कि लगा उसमें
जीवन नहीं
एक ज़माना
ख़ून-पसीना
आँसू-वासू
बस के धक्के
ट्रेन के डिब्बे
बरसात की रातें
गर्मी के दिन
सर्दी की छाँव
थके से पाँव
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ओढ़ उपरना उस वेला में, सुंदरता प्रतिमान हो
शब्द-शब्द अक्षर-अक्षर में, विदित प्रेम का भान हो।
द्रवित चक्षु के ऊष्ण नीर को, पावन कर आवाज़ से
तुम्हीं दिखाती रहीं राह, निस्तब्ध हृदय को साज़ से।।
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क्या हम ख़ुद की तरह उनका दर्द भी महसूस कर सकते हैं? अगर बचाये रखनी है मानवता इस धरती पर तो हमें अपने बच्चों में अभी से संवेदना के बीज रोपने होंगे..
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
सुप्रभात
ReplyDeleteआभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए|उम्दा अंक आज का |
सुप्रभात, मीरा चानू और पी वी सिंधु की उपलब्धि पर आज हर महिला को गर्व है, सुंदर प्रस्तुति, आभार!
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा, सभी लिंक असरदार हैं!! बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं!मेरी रचना को स्थान दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद एवं अभिवादन रवीन्द्र जी!
ReplyDeleteदेश का नाम ऊँचा करने वाली बेटियों को देशवासियों का सलाम !
ReplyDeleteसुंदर संकलन
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
ReplyDeleteजब एक महिला भी सिर को गर्व से ऊंचा कर देती है तब सभी लड़कियों को अधिक से अधिक मौक़े मिलें तो जाने कितने पदक हमारे देश में आ सकते हैं। सभी लिंक बहुत ही अच्छे हैं। मंच पर हमारे वीडियो को भी स्थान देने के लिए सादर आभार।
ReplyDeleteयह एक प्रयास है छोटे छोटे बच्चों में संवेदना के बीज बोने की ताकि वे भविष्य में संवेदना के धरातल पर कमजोर न पड़ें।
सादर
Yes ma'am .
DeleteI agree with you🙏
सुंदर चर्चा प्रस्तुति,सभी रचनाएँ सारगर्भित, मेरी सभी को शुभकामनाएँ एवं बधाई।
ReplyDeleteचुनिंदा संकलन बेहद खूबसूरत और आकर्षक है । हार्दिक शुभकामनाएँ एवं आभार । सिंधु ने गौरव क्षण में सबों को सहभागिता दी है । उसके लिए भी बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर सराहनीय अंक ।
ReplyDeleteसभी लिंक समय मिलते ही पढ़ूंगी।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
विविध रंगों से सुसज्जित अंक मुग्ध करता है - - मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीय रवींद्र जी।
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