मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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गीत "लगा रहे हैं पहरों को"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक गीत- रख गया मौसम सुबह अंगार फूलों पर
रख गया
मौसम
सुबह अंगार फूलों पर ।
वक्त पर
लम्बे-घने
तरु भी हुए बौने,
रेत
नदियों में
पियासे खड़े मृगछौने,
ताक में
अजगर
शिकारी नदी कूलों पर ।
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अहमद मसूद क्या कर पाएंगे पंजशीर घाटी में तालिबान का मुकाबला?
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"कन्यादान कौन करेगा..?" नेहा और नितिन की शादी के समय पण्डित जी ने कहा। दोनों की शादी मन्दिर में हो रही थी..।
"आप अनुमति दें तो मेरा दोस्त दीपेन कन्यादान करना चाहता है और वह अपनी पत्नी के साथ यहाँ उपस्थित भी है..। सामने आ जाओ दीपेन..," वर नितिन ने कहा।
सबके सामने दीपेन के आते ही उपस्थित लोगों में खलबली मच गयी। दबे आवाज में कानाफूसी शुरू हो गयी तथा वधू नेहा और उसकी माँ भौंचक दिख रहे थे। क्योंकि दीपेन और नेहा एक दूसरे के जेरोक्स कॉपी लग रहे थे।
"यह तुम्हारा ही अंश है देवकी... जो हमें तुम्हारे सेरोगेट मदर के रूप से दान में मिल गया था..," दीपेन की माँ यशोदा ने कहा।
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झील में चंदा 1 नदिया- तीरे झील में उतरता हौले से चंदा 2 बहती नदी आँचल में समेटे जीवन सदी Sapne (सपने )
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सुनो
मैंने चांद की
पीठ पे कुछ लिख
छोड़ा है
और
छोड़ आई हूं
चांद की आंखों में
अपनी दोनो आंखें
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लहराती बल खाती
मंद वायु के झोंकों संग
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निज गाँव आना है
संसृति को निहारा
ध्यान अब जगाना है
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क्या लड़कियां इतनी गिरी हुई है?
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हम जो हैं जैसे हैं, उसे पूर्ण रूप से स्वीकार करना होगा, क्योंकि चुनाव करने वाला मन या बुद्धि अभी स्वयं ही बंटे हुए हैं, उनके द्वारा लिया गया निर्णय अनिर्णीत ही रह जायेगा. जब मन पूर्ण विश्रांति में होगा, भीतर शुद्ध चेतना का आविर्भाव होगा. जहाँ कोई दूसरा नहीं होता ऐसी स्थिति में स्वयं को स्वयं की अनुभूति होती है. वहाँ कोई अस्वीकार नहीं है, सब कुछ एक से ही प्रकट हुआ है, ऐसी स्पष्ट प्रतीति है. ऐक्य की उस अवस्था में स्वयं को तथा जगत को वे जैसे हैं वैसे ही स्वीकारने की क्षमता प्रकट होती है.
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नज़र के इशारे नकाबों ने खोले ...
न महफ़िल न किस्से न बातों ने खोले.सभी राज़ उनकी निगाहों ने खोले. शहर तीरगी के मशालों ने खोले,कई राज़ मिल के सितारों ने खोले.
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Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून--
आज के लिए बस इतना ही।
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वंदन
जवाब देंहटाएंअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
अनेक उम्दा लिंक्स पढ़ने को मिले
श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने के लिए आज के अंकमें
भावपूर्ण प्रस्तुति | |
बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत शानदार प्रस्तुति, सुंदर लिंक चयन सभी रचनाएं बहुत आकर्षक पठनीय,सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर।
चर्चा मंच पर आपको पुनः सक्रिय देखकर ख़ुशी हो रही है, पठनीय सूत्रों के चयन से आज का अंक सुंदर बन पड़ा है। हृदय से आभार मुझे भी इसका हिस्सा बनाने के लिए शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका आदरणीय।सभी लिंक्स अच्छे।
जवाब देंहटाएंसुन्दर एवं रोचक सूत्रों का संकलन एवं प्रस्तुतिकरण । हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स से सजी चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए और मेरी रचना का शीर्षक चर्चा अंक को देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर सारगर्भित सूत्रों का संकलन संयोजन,आदरणीय शास्त्री जी आपको मेरा सादर अभिवादन ।
जवाब देंहटाएंCab NRC Full form
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका सर।सभी लिंक्स अच्छे।
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