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शनिवार, नवंबर 06, 2021

'शुभ दीपावली'(चर्चा अंक 4239)

 सादर अभिवादन। 

आज की प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

 शीर्षक व काव्यांश आ.पी.सी.गोदियाल "परचेत " जी की रचना 'शुभ दीपावली' से -

मुल्क़ मे हाकिमों के हुक्मों की गहमा़गहमी़ है।
'दीया' खामोश है और रोशनी सहमी़-सहमी़ है।
डर है, दम घुटकर न मर जाएं, कुछ 'मीं-लार्ड्स',
'भाग' से ज्यादा जीने की, कैंसी गलतफहमी़ है?

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
--

 "भइया-दोयज पर्व पर, हर बहना को गर्व" 

रोली-अक्षत-पुष्प का, ले पूजा का थाल।
बहन आरती कर रही, मंगल दीपक बाल।।
--
एक बरस में एक दिन, आता ये त्यौहार।
अपनी रक्षा का बहन, माँग रही उपहार।।
"दीपमालिका करन आई
व्रज वधू मन हरनि
कंचन थाल लसत कमलन कर।।१।।
मुल्क़ मे हाकिमों के हुक्मों की गहमा़गहमी़ है।
'दीया' खामोश है और रोशनी सहमी़-सहमी़ है।
डर है, दम घुटकर न मर जाएं, कुछ 'मीं-लार्ड्स',
'भाग' से ज्यादा जीने की, कैंसी गलतफहमी़ है?
--
महारजत के वसन अनोखे 
दप-दप दमके कुंदन काया
आधे घूंघट चंद्र चमकता
अप्सरा सी ओ महा-माया
कणन-कणन पग बाजे घुंघरु
सलिला बन कल-कल लहराई।।
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लड़ियाँ लगाय,  
दूँगी कलश भराय,
सखी दियना जलाय,
पूरे अवध को साजेंगे ।
--

ज्योति जले ज्यों हर घर-बाहर 

गलियाँ , सड़कें, छत, चौबारे, 

मन में प्रज्ज्वलित स्नेह प्रकाश 

रहें सदा दिल मिले हमारे !

हाइकु

शुभ शगुन
गणपति विराजे
कलश साजे !
दीपावली का पर्व हैं... 
मन का दीप जगमगाईये ।
 नैतिकता का तेल डाल...
 भारत को स्वर्ग बनाइये।।
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 आपूर्ति-पक्ष उपाय- राजस्थान जैसे राज्यों जिनमें  पानी की कमी है और वहांं पानी नहरों से पहुंचाने के बजाय पाइप लाइन से पहुंचाया जाना चाहिए जाए! जिससेेे वाटर का वेपर कम बनेगा और पानी रिस रिस कर जमीन में कम जाएगा ! जिससे बिना बर्बाद हुए  वहां पहुंंच जाएगा जहाँ जरूरत है और खर्चा भी होगा! 
और भी बहुत से कारण और समाधान के उपाय बताये गये हैं जो बहुत लागू भी होने वाले हैं! 
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जरायम पर रची एक सार्थक कृति है ,'धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे'। आज अपराध की जो दुनिया है, उसकी कोई पूर्ण विकसित निजी भाषा नहीं है, कोई कला प्रविधि नहीं है, यहाँ उस्ताद और शागिर्द की कोई परंपरा नहीं है ।

अपराध ,अपने देश में , कला, विद्या और इष्टसिद्धि से जुड़ा रहा आया है। इस देश में ही तो हुये थे दुनिया के सबसे जर्री कातिल, जिन्हें 'ठग' कहा जाता था और जो खुद को देवी भवानी की संतान मानते थे। यहाँ पिंडारी, मलंग, नट, कंजर और बावरिया हुये, जिन्होंने अपने पेशे को जोग, तंत्र, टोटके,जड़ी, मंत्र, भभूत आदि से जोड़ कर देखा। यहाँ अपराध और अभिचार एक दूसरे से जुड़ कर विकसित हुये। 

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10 टिप्‍पणियां:

  1. भाई दूज के अवसर पर बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति !
    आपका बहुत-बहुत आभार अनिता सैनी जी!
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को भाई दूज की बधाई हो|

    जवाब देंहटाएं
  2. भाई दूज के अवसर पर बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति !
    आपका बहुत-बहुत आभार अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को भाई दूज की बधाई हो|

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    भाई दूज की शुभ कामनाएं|आभार सहित धन्यवाद आज के अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात !
    अनीता जी सुंदर सराहनीय अंक सजाने के लिए आपका आभार और अभिनंदन, उन्हीं के मध्य मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद । शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह 🙏🙏💐💐

    जवाब देंहटाएं
  5. भाईदूज के पावन पर्व की शुभकामनायें ! प्रकाश और मिठास के रंगों से सजी सुंदर रचनाओं के सूत्र देता चर्चा मंच ! आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. सराहनीय, आभार आपका अनीता जी, भाई दूज की मंगल कामनाओं संग।🙏

    जवाब देंहटाएं
  7. सरहनीय प्रस्तुति,त्यौहार के दिनों में वक़्त निकाल कर इतने अच्छे अंकों का चयन करने का काम काबिले तारीफ है! मेरे लेख को सामिल करने के लिए आप का तहेदिल से धन्यवाद🙏💕
    भैयादूज की हार्दिक सुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  8. सभी मित्रों को दीपावली एवं विगत सभी पंच पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं।
    सुंदर सुनियोजित अंक।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं

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