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बुधवार, नवंबर 10, 2021

"छठी मइया-कुटुंब का मंगल करिये" (चर्चा अंक-4244)

 मित्रों!

आस्था के पर्व छठ-पूजा की 

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ

प्रस्तुत है बुधवार की चर्चा!

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दोहे "छठपूजा त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

छठपूजा का आ गया, फिर पावन त्यौहार।
माता जन-गण के हरो, अब तो सभी विकार।।

लोग छोड़कर आ गये, अपने-अपने नीड़।
सरिताओं के तीर पर, लगी हुई है भीड़।। 

उच्चारण 

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मन चातक सा तकता रहता 

सागर के तट पर बैठा हो  

फिर भी कोई, प्यासा ! कहता, 

जीवन बन उपहार मिला है 

मन चातक सा तकता रहता !

मन पाए विश्राम जहाँ 

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छठ 

 छठ के पावन पर्व की शुभकामना पूजा बिहार की मनभावन। छठ व्रत सुहाग का अति पावन।। माँ कुटुंब का मंगल करिये। अखण्ड सुख से झोली भरिये।।

काव्य कूची 

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एक ग़ज़ल- उसको तो बस वृन्दावन तक जाना है 

फूल,तितलियाँ, खुशबू सिर्फ़ बहाना है

तुमसे ही हर मौसम का अफ़साना है

नींद टूटने पर चाहे जो मंज़र हो

आँखों को तो हर दिन ख्वाब सजाना है 

छान्दसिक अनुगायन 

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नर्मदा परिक्रमा के रास्ते में आने वाले गाँवों के नाम 

 हमारे जातीय बंधु भाई अवधेश कानूनगो जी के गांव में निवास करने वाले पैदल परिक्रमा पथ 
नर्मदा परिक्रमा के गांव के श्री जगदीश भाई ने 99 दिनों में पूर्ण की। जगदीश भाई ने श्री अवधेश जी को बताया कि वे जिस मार्ग से गुजरे उस को  दूरियों कितनी हैं । कृपया जो स्थान आपके अनुसार महत्वपूर्ण हो उन्हें इसमें जोड़ कर अपनी सुविधानुसार उपयोग कर सकते हैं। 

साझेदारी The Partnership 

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ऋतु 

झरोख़ा 

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इस साउथ स्टार को 'किक' करने पर 1001 का इनाम! 

Vijay Sethupathi File

तमिल स्टार विजय सेतुपति को 2 नवंबर को बेंगलुरु एयरपोर्ट पर लात मारने की हुई थी कोशिश, विजय पर थेवर समुदाय की सम्मानित हस्ती के अपमान का आरोप..देशनामा 

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ऐसे बनाएंगे तो बहुत कम तेल पियेंगे वेज कटलेट 

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झूठे वादे

यूँ तो कोई

वादे नहीं करते

यदि वादे कर लिए

 पूरे नहीं करते |

कभी उनको निभाने का

 नाम न लेते  

यह झूटी बातें किसलिए

किसे बहकाने  के लिए | 

Akanksha -asha.blog spot.com 

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क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर आज फिर थाम लिया है माँ ने,
छोटी सी सुपली में,
समूची प्रकृति को।
सृष्टि-थाल में दमकता पुरुष,
ऊंघता- सा, गिरने को,
तंद्रिल से क्षितिज पर पच्छिम के,
लोक लिया है लावण्यमयी ने,
अपने आँचल में। 
विश्वमोहन उवाच 

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लखीमपुर खीरी हिंसा: सीजेआई बोले - जांच से हम संतुष्ट नहीं, एक आरोपी को बचा रही यूपी सरकार 

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नथिंग एल्स मैटर्स - विश धमीजा 

लव सिंह ने सपने भी नहीं सोचा था कि बिछड़ने के इतने सालों बाद उसे जोया वापिस दिखेगी।  लव ने जोया को भुलाने की कोशिश की थी लेकिन खुद को ऐसा करने में असफल ही पाया था। और आज जब जोया उसे बीस साल बाद दिखी तो उसके अंदर की सभी भावनाएँ बाहर आ गईं।  

एक बुक जर्नल 

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वाग्दत्ता- मंजू मिश्रा 

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अमृत है हर बूंद 

बूंद एक टपकी गगन से ।
बूंद एक टपकी नयन से ।।
बूंद का हर रूप मानव, 
को परिष्कृत कर गया।।

बूंद गिरती जब सुमन पे ।
बूंद गिरती जब तपन पे ।।
बूंद का प्रारूप प्रकृति को
सुसज्जित कर गया ।। 

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

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क़यामत की रात क़यामत की रात कैसी होती है, उसमें क्या-क्या होता है, इसके बारे में हज़ारों डरावनी कहानियां हमने सुन रखी हैं लेकिन मैं गारंटी के साथ कह सकता हूँ कि क़यामत की रात, 8 नवम्बर, 2016 की बिना आधार कार्ड की इस ऊंची सोच वाली रात से ज़्यादा डरावनी नहीं हो सकती. तिरछी नज़र 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    वैविध्यपूर्ण तथा सार्थक रचनाओं से परिपूर्ण अंक ।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन आदरणीय शास्त्री जी ।
    छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  2. छठ पर्व के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ, पठनीय रचनाओं के सूत्र देती सुंदर प्रस्तुति, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ... रोचक रचनाओं से सुसज्जित चर्चा..

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    आभार सहत धन्यवाद आज के अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  5. छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ... मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छे पठनीय लिंक्स सर।आपका हृदय से आभार।

    जवाब देंहटाएं

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