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शनिवार, दिसंबर 25, 2021

'रिश्तों के बन्धन'(चर्चा अंक 4289)

सादर अभिवादन ! 

शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है ।

 शीर्षक व काव्यांश प्रिय मनीषा जी की रचना 'जिम्मेदारियों के बोझ तले कहीं दरियादिली न दब जाए'  से -


बढ़ती उम्र के साथ 
मेरी बैचेनी बढ़ती जाती है|
मैं भी न हो जाऊ बाकियों सी 
ठोड़ी निर्दयी व स्वार्थी ? 
ये बात हरपल सताती है|
सब कहते हैं मुझ से, 
बढ़ी होकर तू भी 
अपने कामों में व्यस्त हो जाएगी, 

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

 --

दोहे "अटल बिहारी के बिना, सूना संसद नीड़" 

अटल बिहारी हों भले, अन्तरिक्ष में लीन।
पुनर्जन्म लेंगे यहाँ, सबको यही यकीन।।
--
देशभक्ति-दलभक्ति के, संगम थे अभिराम।
अमर रहेगा जगत में, अटल आपका नाम।।
रिश्तों के बन्धन में बंधकर, 
सबकी तरह मैं भी स्वार्थी न बन जाऊँ? 
जाने दो, हमसे क्या मतलब'  
कहीं इस महा भयानक मानसिक रोग 
से मैं भी ग्रसित न हो जाऊँ? 
जिस रोग से मनुष्य आधा मर जाता है, 
कहीं मैं भी न मर जाऊँ? 
सभा नहीं थी वो वीरों की
चारों और शिखण्डी बैठे
तीर धनुष सब झुके पड़े थे
कई विदूषक भंडी बैठे
लाल आँख निर्लज्ज दुशासन
भीग स्वेद से खौल रहा था।।
हार की लड़ियाँ मचलती
सुन प्रणय की आज धुन।
रैन आ देहरी पर बैठी
चूड़ियों का साज सुन।
क्यों हृदय की धड़कनों में 
आज शहनाई बजे?
पूछते.....
हार की लड़ियाँ मचलती
सुन प्रणय की आज धुन।
रैन आ देहरी पर बैठी
चूड़ियों का साज सुन।
क्यों हृदय की धड़कनों में 
आज शहनाई बजे?
पूछते.....
दादा जी
जो जिंदा है बस
वो थके जीवन में  फिर जी उठेंगे ....
वृद्धावस्था अंतिम सीढ़ी  सफर  की
समझें ये पीढ़ी जतन से
जब जीर्ण शीर्ण काया मे
क्लान्त शिथिल हो जाये मन
तब अस्ति से नास्ति
का जीवन  बड़ा कठिन ।

शीत
धूप का पहाड़ा
कठिन हो चला है
शीत की गिनती
उंगलियों पर है
ठिठुरन बन के...
तन्‍हां छोड़ जाती है वो.....
 ना जाने किस – किस रंग में
दिल को छल जाती है वो ।
कभी ख्‍वावों कि तितली बन तो
कभी ख्‍यालों में मिल जाती है वो ।
तन्‍हाई में दर्द बनकर
आंधियों सी गुजर जाती है वो ।
--

“मुझे नहीं रहना व्यवहारिकता के साथ..,इस के साथ मुझे अच्छी वाइब्स नही आती।” - स्वाभिमान कुनमुनाया ।

“तुम्हारी उच्छृंखलता पर अंकुश लगाने के लिए बहुत जरूरी है तुम्हारा इसके साथ होना…, इसके साथ रह कर कुछ सीखो।” आवेश में परम्परा चीखी ।

“मेरा दम घुटता है इसके साथ ।” स्वाभिमान बहस के

 मूड में था।

--

कहीं बहुत देर ना हो जाए

वर्तमान ! हारी-बिमारी को छोड़ दें, वह तो अल्प कालीन है ! उसके अलावा समय बड़ा कठिन या कहें तो अराजक चल रहा है ! हर जगह असंतोष, दिशा हीनता, अज्ञानता, लिप्सा, अमानवीयता का बोलबाला होता चला जा रहा है ! चली आ रही मान्यताओं, परंपराओं, आस्थाओं को बिना उनकी उपयोगिता समझे-जाने दर किनार किया जा रहा है ! विज्ञों, चिंतकों, विद्वानों को देश के भविष्य की चिंता सताने लगी है ! वर्षों पहले की छेड़-छाड़ के बीजारोपण का असर अब सामने आने लगा है !  

--

 पुस्तक समीक्षा - 'कासे कहूँ' 

प्यार और मनुहार से अधरों में मुस्कान अर्पण कर 'कासे कहूँ , हिया की बात' तक  विविधता भरी संवेदना के चरम को छूती पूरी इक्यावन कविताओं का संग्रह  ब्लॉग जगत के स्थापित हस्ताक्षर एवं जाने -माने साहित्यकार पेशेवर इंजीनियर आदरणीय 'विश्वमोहन जी' के द्वितीय संग्रह 'कासे कहूँ'  के रूप में साहित्य जगत के लिए अनमोल भेंट है।बहुमुखी प्रतिभा के धनी आदरणीय विश्वमोहन जी एवं उनकी पुस्तक के विषय में विभिन्न शिक्षाविद् भाषाविद् एवं प्रतिष्ठित साहित्यकारों के आशीर्वचन  पुस्तक को और भी आकर्षक बना रहे हैं।प्रस्तुत संग्रह की प्रथम कविता 'सपनों का साज' ही मन को बाँधकर सपनों की ऐसी दुनिया में ले जाता  है कि पाठक का मन तमाम काम-धाम छोड़ इसकी अन्य सभी रचनाओं के आस्वादन के लिए विवश हो जाता है।

आज का सफ़र यहीं तक .. 

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट रचनाओं से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति..
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु दिल से आभार प्रिय अनीता जी!
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर सूत्रों का संकलन। वाजपेयी जी की स्मृतियों को श्रद्धांजलि और क्रिसमस की शुभकामनाएं🌹🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
  3. विविध रचनाओं से सजी बहुत ही उम्दा प्रस्तुति!
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए और शिर्षक के रूप में चुनने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद और आभार प्रिय मैम🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर सराहनीय सूत्रों का चयन किया है आपने अनीता जी, उसी के मध्य मेरी रचना को रखने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं, आपको और चर्चा मंच को भी मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  5. शीर्षक काव्यांश से अंतिम लिंक तक एक शानदार प्रस्तुति, अनिता जी को इस श्रमसाध्य कार्य के लिए हृदय से साधुवाद ।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सस्नेह सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. लाजवाब चर्चा प्रस्तुति सभी लिंक्स बेहद उम्दा
    मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद अनीता जी!
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. लाजवाब चर्चा प्रस्तुति
    आदरणीया अनीता सैनी दीप्ति जी।
    क्रिसमस की बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी।

    जवाब देंहटाएं

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