शीर्षक पंक्ति: आदरणीया आशा लता सक्सेना जी की रचना से।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं आज की चुनिंदा रचनाएँ-
दोहे "नवसम्वत से चमन का, सुधरेगा परिवेश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
*****
पुरुष-हृदय को स्त्री-हृदय की स्वतंत्रता की भावनाएँ अखरने लगीं। वह मुक्त होने का स्वप्न देखने लगी! उसी दिन से पुरुष-सत्ता क्षीण होने लगती है।
पेड़ की शाख़ पर बैठा पुरुष-हृदय छोटी-छोटी टहनियों से स्त्री-हृदय को स्पर्श करते हुए, स्वार्थ में पगी उपमाएँ गढ़ने का प्रयास करता है वह कोमल से अति कोमल स्त्री-हृदय गढ़ने का प्रयास करता है त्याग के नाम पर सम्पूर्ण जीवन माँग लेता है।
*****
मैं गलत नहीं हूँ जानती हूँ
तभी हर बात किसी की
आँखें बंद कर मानती नहीं
यही कमीं रही मुझ में
*****
थक हार कर जब कभी
हताश हो कर बैठोगे
धीरे धीरे दबे कदमों से
पास तुम्हारे आऊँगी ,
तुम गाओ प्रेम गीत
विरह गीत मैं गाऊँगी।
*****
मनवा मारे इ गजबे के धार गोरिया।
छोड़ नखड़ा, ना रुस, न रार गोरिया।
हम गइनी इ हियवा अब हार गोरिया।
*****
*****
चाहे वो जितना भी विकट है,
पर उससे ज्यादा वो जीवट है,
न तो कभी किसी से डरता है,
और न वो कभी मरता है।
*****
बारूदी दहक में पसीजते मासूम आँखों से आँसू,
ये हैं भला यूँ भी कैसे तरक्क़ी पसंदों के क़वायद .. शायद ...
किसी की माँ या बहन या पत्नी होती है औरत,
बनने से पहले या बनने के बाद भी वो तवायफ़ .. शायद ...
वो तेरे बिन कहे लफ़्ज़ों के मायने समझ जाता था मैं
जब अनसुने होंगे शब्द भी तेरे तब याद करोगे तुम मुझे
बे वजह छोड़ा था तुमने मुझे देख मेरी मुफ़लिसी को
जब पैसा होगा पर प्यार नहीं तब याद करोगे तुम मुझे
*****
अच्छी चर्चा प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी|
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को सौम्रवारीय अंक में स्थान देने के लिए |
चर्चा में सम्मलित होने वाले रचनाकारों को हार्दिक बधाई व मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए अतिशय आभार🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन। बधाई और आभार!!!
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार महोदय
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएं'पेैबंद लगा पुरुष-हृदय'को स्थान देने हेतु हृदय से आभार आदरणीय रविंद्र जी सर।
सादर
सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा प्रस्तुति, सभी लिंक पठनीय आकर्षक।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई ।
सादर।
जी ! नमन संग आभार आपका .. आज की अपनी प्रस्तुति में मेरी बतकही को जगह देने के लिए .. वो भी दो-दो मंचों पर ...
जवाब देंहटाएं