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रविवार, अप्रैल 10, 2022

"शुभ सुमंगल वितान दे..." (चर्चा अंक-4396)

सादर अभिवादन 
रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय बलबीर राणा अडिग जी की रचना से) 


अधिष्ठात्री जगत जननी,
सर्वमंगल मांगल गान दे।
सुख शांति हो वतन हमारा ,
शुभ सुमंगल वितान दे।

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आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें 

माता रानी और राम जी हम सभी पर अपनी कृपा बनायें रखें 

हमारे देश में सुख,शांति, समृद्धि,आरोग्यता और खुशियों का वास हो 

इसी कामना के साथ चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की ओर.....

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दोहे "गाय-भैंस को पालना, नहीं सरल है काम" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')



जगतनियन्ता का करोसच्चे मन से ध्यान।

बिना वन्दना के नहींमिलता है वरदान।।

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जीवन में होता नहीं, कामनाओं का अन्त।

जो इनसे निर्लिप्त है, वही कहाता सन्त।।

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माँ दुर्गा अराधना




वत्स वत्सला चित्तरूपा,
चित चैतन्य नव निर्माण दे।
पा सकूं चितवृति निरोध,
सत्यपथ संज्ञान दे।।

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माता महागौरी


अष्टम तिथि की दिव्यता,पूज्य शिवा में ध्यान हो।
मातु महागौरी सदा,भक्तों का कल्याण हो।।

जन्म हिमावन के यहाँ, मातु पार्वती ने लिया।
शंकर हों पति रूप में,बाल काल से तप किया।।

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                                     आडावाळी



मरू देश री आडावाळी 

विधणा री हिळकोरी है।।

दादी बणके भाग जगायो

काळजड़े री लोरी है।।


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कर्मफल



मानव योनी की प्राप्ति के लिए

घूम चुका चौरासी लाख  योनियों में

कहाँ नहीं भटका कितने रूप धरे

तब जाकर मानव तन मिला |

है सबसे अलग मिलना श्रेष्ठ योनी का  

यदि मन से स्वीकार किया हो  

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एक ग़ज़ल-मौसम में भी



झुलसाती हुई ग्रीष्म है,बरसात कहाँ है

मौसम में भी मौसम की तरह बात कहाँ है


इक जंग छिड़ी और वो रुकती भी नहीं है

दुनिया को बचाने की करामात कहाँ है

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टूटे हुए मेहराब - -



दूर बहुत दूर तक फैले हुए हैं यादों के
खण्डहर, न जाने क्या चाहते हैं
मुझसे, वो टूटे हुए मेहराबों
से झांकते, अर्ध स्मित
चेहरे, प्राचीन
मठ का
कोई
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लघुकथा- बेबस और निरीह जानवर



वास्तव में मोहन ने एक बुजुर्ग महिला का चित्र बनाया था। 
"मैं ने वो ही तो बनाया है!" मोहन ने गर्दन नीची कर धीरे से कहा। 

"क्या मतलब है तुम्हारा?" 

"सर, ये मेरी दादी माँ का चित्र है। मेरे दादाजी के देहांत के बाद मेरे मम्मी-पापा ने उन्हें दाने दाने को मोहताज कर दिया है। मैं ने इसके पहले किसी को भी इतना बेबस और निरीह नहीं देखा। इसलिए..." 

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मनुष्य से पहले: G से Giants

अर्जेंटीनोसौरस सबसे बड़े थलजीवों में से एक माना जाता है। लेकिन चूँकि इसके सभी हिस्से नहीं मिले हैं इसलिए इसके आकार का अंदाज सटीकता से लगाना मुश्किल है। यह जीव 9.6 से 9.2 करोड़ साल के बीच में धरती पर मौजूद था। ऐसा माना जाता है कि यह 100 से 130 फीट तक लंबा और 50 हजार किलो से लेकर 1 लाख किलो तक वजनी हुआ करता था। यह एक शाकाहारी जीव था जो कि आज के अर्जेंटीना में पाया जाता था। 

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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे 
आपका दिन मंगलमय हो 
कामिनी सिन्हा 




9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सार्थक और सुंदर चर्चा प्रस्तुति|
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी|

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद कामिनी जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. हार्दिक आभार आपका कामिनी जी।रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।सभी लिंक बेहतरीन।

    जवाब देंहटाएं
  4. जय माँ सिद्धिदात्री, आप सभी माँ सरस्वती की उपासकों को चैत्र नवरात्री, रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं, माँ अधिष्ठात्री और भगवन मर्यादापुरुषोतम श्री राम आपके मनोरथों को पूर्ण करें .
    सुन्दर लिंकों का संयोजन, वेहतरीन चर्चा, आभार और धन्यवाद आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, आपने मेरी कलम को इस पवन दिवस पर सम्मान दिया कृतज्ञ हूँ .

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

    जवाब देंहटाएं
  6. विविधतापूर्ण रचनाओं से सज्जित सुंदर अंक ।
    रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  7. मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर सराहनीय संकलन।
    मेरे सृजन को स्थान देने हेतु हृदय से आभार।
    सभी को बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा... आभार...

    जवाब देंहटाएं

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