सादर अभिवादन रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
दोहे "23 अप्रैल-पुस्तक दिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
तुम आए और बिना द्वार पर दस्तक दिये…
खामोशी से ही अलविदा कह लौट भी गए ।
रुकते तो जीवन राग सप्त सुरों में गा उठता ॥
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पयोगशाला की
परखनली में गर्माती राजनीति
अब गलियों के नुक्कड़ पर
घुलने लगी है साहेब!
दो वक़्त की रोटी की फ़िक्र में
भटकती देह
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आस का वातावरण फिर, इक नया विश्वास लाया
शूल से आगे निकल कर,
शीर्ष पर पाटल है खिलता ।
रात हो कितनी भी काली,
भोर फिर सूरज निकलता ।
राह के तम को मिटाने,
एक जुगनू टिमटिमाया ।
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आज कल हम रिश्ते इतने जल्दी बना लेते हैं कि बाद में हमें पछताना पड़ता है सिर्फ अपनों के होने से कुछ नहीं होता बल्कि उन अपनों में अपनेपन का एहसास भी होना बहुत जरूरी है आजकल हम लोग रिश्ते इस तरीके से बनाते हैं जब तक काम हो उनका उसके बाद वह आपको छोड़ कर चले जाते हैं जीवन में अधिकतम हमने ऐसा ही देखा है शायद ऐसा मेरे साथ हुआ है ओर शायद आपके साथ भी हुआ होगा।
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एक ग़ज़ल-मोहब्बत के ख़तों से
तमाशा देखिएगा आप भी सरकार अच्छा है
मैं जैसा हूँ, मेरा नाटक,मेरा किरदार अच्छा है
जो दरपन सच दिखाता है मुझे अच्छा नहीं लगता
मेरी तारीफ़ करता जो वही अख़बार अच्छा है
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कहानी संग्रह 'गरीबी में डॉक्टरी' का प्रकाशन
इस कहानी संग्रह में गरीबी में डॉक्टरी मेरी मुख्य कहानी है। लेकिन इसे यदि कहानी के स्थान पर 'संघर्ष गाथा' कहेंगे तो अधिक उचित होगा। क्योंकि इसमें एक ऐसे कंगाली में जीते बच्चे की संघर्ष गाथा है, जिसने अपने बचपन से देखते आये 'डॉक्टर बनने के सपने' को अपनी घोर विपन्नता, अधकचरी शिक्षा, रूढ़िवादी सोच, सामाजिक विडंबनाओं और तमाम सांसारिक बुराइयों को ताक में रखकर शासन-प्रशासन तंत्र के व्यूह रचना को भेद कर अपने कठोर परिश्रम, निरंतर अभ्यास, सहनशील प्रवृत्ति और सर्वथा विकट परिस्थितियों में अदम्य साहस व दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर साकार कर दिखाया।
---------------------मनुष्य से पहले: S से Six Prehistoric animals that were not dinosaurs
इस शृंखला की पोस्ट अगर आप पढ़े तो कई बार उन्हें पढ़ते हुए यह मुगालता भी हो सकता है कि मनुष्यों से पहले धरती पर डायनोसॉरों का ही अस्तित्व था लेकिन असल में ऐसा नहीं था। दूसरे प्रकार के जीव भी उस वक्त रहते थे लेकिन क्या करें डायनोसॉर अपने आकार और अपने रूप के कारण आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। यही कारण है कि बीच-बीच में मैं ऐसे जीवों का जिक्र भी करता हूँ जो कि डायनोसॉर से इतर थे।-----------------------------चलो कुछ बात करें लेखिका मृदुला प्रधान जी से संग्रह समीक्षा:)
चर्चा मंच पर पोस्ट बहुत ही शानदार लेख लेकर आए हैं आप बहुत ही शानदार पोस्ट पर हमारी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत दिल से आभार और धन्यवाद आदरणीय कामिनी जी
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लिंक्स।सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंपठनीय लिंकों के साथ
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा में सम्मिलित करने हेतु दिल से आभार एवं धन्यवाद कामिनी जी !
सुन्दर सार्थक सूत्रों से सजी प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंउत्तम रचनाओं से भरा गुलदस्ता
जवाब देंहटाएंमंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे सृजन को स्थान देने हेतु हृदय से आभार।
सभी को बधाई।
सादर
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार...कामिनी जी 🙏
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