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रविवार, अप्रैल 03, 2022

"सॄष्टि रचना प्रारंभ दिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा".(चर्चा अंक-4389)

सादर अभिवादन 
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय सवाई सिंह राजपुरोहित जी की रचना से)

भारतीय नववर्ष एवं चैत्र नवरात्री की आप को सपरिवार ह्रदय से बधाई एवं शुभकामनाएं।
माता रानी आपको और आपके पूरे परिवार‌ को सुख , समृद्धि,व खुशियों से भर दें।

सॄष्टि रचना प्रारंभ दिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा

भारतीय नव वर्ष का सनातन धर्म में विशेष ही महत्व है 
आज ही के दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी 
और हम अपने ही सनातन धर्म को भूल कर गैरों की परम्परा को अपनायें बैठे है 
मगर,अब वक़्त आ गया है हमें अपनी धर्म, अपनी संस्कृति और सभ्यता को महत्व देना ही होगा वरना,हम अपनी मूल से पूरी तरह अलग जायेगे 
इस संकल्प के साथ चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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दोहे "वन्दन है अनिवार्य" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')



पथ दिखलाने के लिए, आते हैं नवरात्र।
उनका ही सत्कार हो, जो आदर के पात्र।।
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जग को देता ऊर्जा, नभ में आकर नित्य।
देवों में सबसे बड़ा, कहलाता आदित्य।।

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 भारतीय नववर्ष एवं चैत्र नवरात्री की बधाई एवं शुभकामनाएं...




सॄष्टि रचना प्रारंभ दिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
सनातन धर्म में भारतीय नववर्ष का अपना अलग ही महत्व है। सुगना फाउंडेशन आप सभी से आग्रह करता हूँ कि अपनी संस्कृति एवं परम्पराओं से जुड़े एवं इस दिन को ऐतिहासिक बनाएं....


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मुखर हो हास


 नव संवत्सर 
 हों स्वर मुखर 
 आशा के
 प्रार्थना के
 साहस के
 सद्भाव के ।

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समय समयांतर



असमय समय मार गया
कोड़े लगा लगा, धिक्कार गया 
अनजानी हवा का झोंका
सर्प की फूँक सा फुफकार गया ।।


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पतवार



ठहरे धार में, पतवार क्या करे?
ठहर, ऐ नाव मेरे,
वक्त की पतवार ही, इक धार लाएगी,
बहा ले जाएगी, तुमको,

आंहें क्यूँ भरे!

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संपूर्ण समर्पित कर के



इति वदति प्रात, संध्या, निशि

उदकं उच्छृंखल लहरें,

ज्ञातव्य रूप तव प्रेयसि

लोचन पर डाले पहरें।।


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पानीपत की चौथी लड़ाईपानीपत में हुई 1526, 1556 और 1761 में हुई तीन विकट लड़ाइयों के बारे में कौन नहीं जानता? पानीपत के ही पड़ौस में कुरुक्षेत्र है जहाँ पर कि महाभारत हुआ था. यहाँ से कुछ ही दूर पर तराइन है जहाँ पर कि पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी आपस में दो बार भिड़े थे और यहाँ से करनाल भी कोई ख़ास दूर नहीं है जहाँ पर कि नादिरशाह ने मुगल फ़ौज को करारी शिकस्त दी थी.
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मनुष्य से पहले #1: A से आरंभ



 एक रोचक बात बताता हूँ, कहते हैं लगभग 12 लाख साल पहले धरती पर मनुष्यों की जनसंख्या 18000 से 26000 तक हो गई थी,  डेढ़ लाख वर्ष पहले एक बार स्थिति ऐसी आई थी कि मनुष्यों की जंसख्या केवल 600 के करीब रह गई थी। वहीं कुछ सत्तर हजार वर्ष पहले जनसंख्या 1000 से 10000 वर्ष के बीच रह गई थी। इस जनसंख्या से फिर हम अब दोबारा 8 अरब के करीब पहुँच गए हैं। यही हमारी जीवटता को दर्शाता है। 

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पुस्तक समीक्षा :- तब गुलमोहर खिलता है


मन की बंजर भूमि पर,

कुछ बाग लगाए हैं ।

मैंने दर्द को बोकर,

अपने गीत उगाए हैं


दर्द के बीजों से उगे गीत पढ़ने या सुनने की चाह संम्भवतः उन्हें होगी 

जो संवेदनशील होंगे भावुक होंगे और कुछ ऐसा पढ़ने की चाह रखते होंगे

 जो सीधे दिल को छू जाय । यदि आप भी ऐसा कुछ तलाश रहे हैं 

तो यकीनन ये पुस्तक आपके लिए ही है ।

 श्रृंगार के चरम भावों को छूती इस पुस्तक का नाम है 'तब गुलमोहर खिलता है ' ।


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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे 

आपका दिन मंगलमय हो 

कामिनी सिन्हा 



11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति|
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी|

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात !
    विविध रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक ।
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार कामिनी जी।
    सादर शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय कामिनी जी मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए।
    सुन्दर चर्चा आज की

    जवाब देंहटाएं
  4. नूतन संवत्सर की प्रथम प्रतिश्रुति.आज की चर्चा.
    साथ लेने और विविध विधाओं में उत्कृष्ट रचनाएँ पढने का अवसर देने के लिए हार्दिक आभार. यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे. गुलमोहर खिलता रहे.

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब चर्चा..मेरी समीक्षा को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  6. आज सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. नूतन वर्ष का हार्दिक अभिनन्दन, सभी साथियों को नव सम्वत्सर शुभता प्रदान करें।
    शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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