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शनिवार, अप्रैल 23, 2022

'पृथ्वी दिवस'(चर्चा अंक-4409)

सादर अभिवादन। 

शनिवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 

भूमिका में आदरणीय शास्त्री जी के दो दोहे -

माता सी पावन धरादेती प्यार-अपार।

संचित है सबके लिएधरती में भण्डार।

हरितक्रान्ति से ही मिटेधरती का सन्ताप।

पर्यावरण बचाइएबचे रहेंगे आप।

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

--

22 दोहे, 22 अप्रैल "धरती है बदहाल" 

धरा-दिवस पर कीजिएयही प्रतिज्ञा आज।
भू पर पेड़ लगाइएजीवित रहे समाज।1।
--
हरितक्रान्ति से ही मिटेधरती का सन्ताप।
पर्यावरण बचाइएबचे रहेंगे आप।2।
--
आओ ,आज सब मिलकर 
माँ ,धरती का सम्मान करें 
 आभारी हों ,दिल से ...
  भूल गए हैंं शायद .
  अपने स्वार्थ में हो गए हैं 

अब छोड़कर जा रहा हूँ 

मैं यह मकान, यह शहर ,

पर जब शाम होने लगे,

तो घर में दिया जला दिया करना. 

--

लापता सूत्र - -

पृथ्वी के उस पार
भी है जीवन
का एक
भाग,
दिन के उजाले में नहीं डूबते अंधेरों के
चिराग़ ।

आस का वातावरण फिर, 
इक नया विश्वास लाया ।
सो रहे सपनों को उसने,
आज फिर से है जगाया ।
वृक्ष की फुनगी से
टुकुर-टुकुर पृथ्वी निहारती
चिड़िया चिंतित है
कटे वृक्षों के लिए...।
हाँ
पृथ्वी
जननी
संरक्षिणी
सर्व दायिनी
है आधार श्वास
हवा पानी प्रकाश ॥
 विश्व पृथ्वी दिवस का उदेश्य अपनी पृथ्वी के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हम सब को प्रेरित करना है।
इस पूरे  ब्रह्मांड में पृथ्वी ही एक ऐसा एकमात्र ग्रह है जहाँ आज तक जीवन संभव है। इसलिए, पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए, पृथ्वी को बचाना परम आवश्यक है। 
कुछ दिनों पहले मुझे एक समारोह शिरकत करने का मौका मिला ! मैं जब वहाँ पहुंचा तो मंच पर एक दिव्य पुरुष की वाणी से उम्रदराज होने का नुस्खा अवतरित हो रहा था ! वक्ता, महानुभाव कुछ ज्यादा ही दिव्य होने की कोशिश में थे ! वे बाजार में उपलब्ध सारे उम्र बढ़ाऊ टोटकों का घालमेल कर बनाए गए नुस्खे पर अपने नाम का ठप्पा लगा, सामने लंबी उम्र की आकांक्षा में बैठे मूढ़ श्रोताओं के कानों में उड़ेले जा रहे थे ! लोग ऐसे भाव विभोर हो सुन रहे थे जैसे हॉल से निकलते ही उनकी उम्र तीस साल बढ़ जाएगी ! भाषण तो कुछ देर बाद खत्म हो गया पर उपकृत लोग अपनी तालियां रोके ना रोक पा रहे थे ! उनके बाद ही मुझे उवाचना था !
-- 
आज का सफ़र यहीं तक 
@अनीता सैनी 'दीप्ति'

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    पृथ्वी दिवस पर पृथ्वी को निहारती, उसकी चिंतना में रचित रचनाओं की सार्थक प्रस्तुति । मेरे पिरामिड को शामिल करने के लिए आभार प्रिय अनीता जी ।
    मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत उपयोगी चर्चा प्रस्तुतिकरण|
    आपका आभार अनीता सैनी 'दीप्ति' जी

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!सुंदर चर्चा प्रस्तुति प्रिय अनीता । मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. यदि "पृथ्वी दिवस" को सच्चे दल से मनाना है तो एक संकल्प सभी को करना होगा "एक पौधा अपने नाम का उसे देना होगा" जैसे बच्चे के जन्म दिन के दिन पर हम केक काटते है। तभी हमारा पृथ्वी दिवस मनाना सार्थक हुआ वरना ये आम दिनों की तरह आएगा और जायेगा,जैसे वन दिवस मना तो लिया मगर वन को जलने से नहीं बचा रहें है।बेहतरीन लिंको से सुसज्जित आज का चर्चा अंक प्रिय अनीता,सभी को हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर चर्चा.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. उत्कृष्ट लिंकों से सजा लाजवाब चर्चा मंच...
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी !
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहद सारगर्भित,सुंदर,महत्वपूर्ण विषयों के सूत्रों से सुसज्जित बहुत बेहतरीन अंक।
    मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार अनु।

    जवाब देंहटाएं

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