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शनिवार, अप्रैल 09, 2022

"हे कवि! तुमने कुछ नहीं देखा?" (चर्चा अंक-4395)

 मित्रों स्नेहिल अभिवादन! 

शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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देखिए फटाफट चर्चा में कुछ लिंक!

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रामनवमी 

चैत्र का महीना

यही समय तो बताया था ना

राजवैद्य ने तुम्हारे शुभागमन के लिए !

अपने अंतर के सारे द्वार खोल

मैं आतुर हो उठी हूँ तुम्हारे स्वागत के लिए

तुम्हें अपनी चिर तृषित बाहों में

झुलाने के लिए 

Sudhinama 

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माँ कालरात्रि 

माता कालरात्रि
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कालरात्रि की अर्चना,सप्तम तिथि को कीजिए।
काल विनाशक कालिका,शुभंकरी को पूजिए।।

रक्त बीज संहार जब,जन्म हजारों रक्त का।
दानव का संहार कर,कष्ट हरा फिर भक्त का।। 

काव्य कूची 

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दोहे "ऋषियों की सन्तान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

माता के अस्तित्व से, जीवित देश-समाज।
माँ की पूजा से बनें, सबके बिगड़े काज।।
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नकल विदेशों की करें, ऋषियों की सन्तान।
चित्रगीत को हाइगा, बतलाते नादान।।
 
भूल गये अपनी विधा, छन्दों का विज्ञान।
क्षणिकाओं को भूलकर, रहा हाइकू ध्यान।।

उच्चारण 

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गूँगी गुड़िया : हे कवि! 

बगुला-भक्तों की मनमानी 

कब विधाता की लेखनी ने जानी? 

गौण होती भविष्य की रूपरेखा 

हे कवि! तुमने कुछ नहीं देखा?

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एक चिरैया गौरैया 

हमने सुनाई जब आपबीती 
गौरैया की महिमा बखानी
तब एक नौजवान ने ठानी

नन्ही चिरैया से बतियाने की.. 

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स्कूल चलो अभियान 

स्कूल चलो, स्कूल चलो
स्कूल चलो अभियान ।
ध्यान रहे हर घर तक पहुँचे 
शिक्षा प्रावधान ।। 

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

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एक चिड़िया अकेली 

 एक चिड़िया अकेली

खोज रही दाना पानी

अपने नन्हें मुन्ने

चूजों के लिए

Akanksha -asha.blog spot.com 

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लाखों की फीस लगती है, चोरी की कला सीखने के लिए यहां इंजीनियरिंग या एम.बी.ए. की तरह भारी-भरकम फीस लेकर बच्चों को  चौर्य कला में पारंगत किया जाता है ! ये बच्चे वहां अपहरण या फुसला कर नहीं लाए जाते बल्कि बच्चों के माँ-बाप अपने बच्चों को खुद वहाँ दाखिला दिलवाते हैं, अच्छी-खासी, भारी-भरकम रकम अदा कर के ! यहां छोटी उम्र से ही बच्चों को अपराधों की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी जाती है। इनके भी बाकायदा कोर्स होते हैं ! शुरूआती तरकीबों के लिए दो से तीन लाख और पूरे कोर्स के लिए पांच लाख रुपये तक देने होते हैं ..... 

 
कुछ अलग सा  गगन शर्मा

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अध्यात्म और मानवीय संवेदनाओं के कवि जितेंद्र कमल आनंद 

श्री जितेंद्र कमल आनंद जी का जन्म 5 अगस्त,1951 को बरेली-उ0प्र0 में हुआ था। आनंद जी शिक्षक/प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्ति पाकर जनपद रामपुर में स्थायी रूप से बस गए हैं।श्री आनंद जी का अधिकांश साहित्य पढ़ने का अवसर मुझे प्राप्त रहा है।हिंदी काव्य साहित्य की लगभग सभी विधाओं में शिल्प ,भाव और कथ्य की दृष्टि से श्रेष्ठ सर्जन उन्होंने किया है। आनंद जी की कुछ प्रमुख काव्य कृतियाँ निम्नवत हैं--
       आनन्द प्रवाह 
       जय बाला जी
       हनुमत उपासना
       गीत आनंद के
      राजयोग महागीता (घनाक्षरी-संग्रह)     आदि

मेरा सृजन 

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मनुष्य से पहले: F से Fossil  पिछली पोस्ट में हमने यूकैरियोटिक कोशिका की बात की थी और यह बताया था कि कैसे यह कोशिका एक तरह से धरती पर मौजूद सभी बहुकोशकीय जीवों का पूर्वज कहला सकते हैं। जब हम मनुष्य से पहले मौजूद चीजों की बात करते हैं तो एक विचार मन में आये बिना नहीं रह सकता है कि जब मनुष्य उस वक्त मौजूद नहीं था तो वह अपनी उत्पत्ति से पहले धरती पर पैदा होने वाले और विचरण करने वाले जीवों के विषय में कैसे जान सकता है? 

दुई बात 

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हसरतों की हवा चली ! 

मन में एक आशा पली ,
#हौसलों ने हुकार भरी ,
कदमों ने वह डगर पकड़ी ,
जिसमें #मंजिल थी खड़ी । 

मेरी अभिVयक्ति 

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माले मुफ्त, दिले बेरहम की राजनीति देश के लिए घातक 

 

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रिटायरमेंट के बाद का दिन 

सुबह नींद खुली,

तो देखा, वह सो रही थी,

उसके चेहरे पर मुस्कान थी,

मासूम-सी लगी वह मुझे. 

कविताएँ 

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इन्टरनेशनल बुकर प्राइज़ 2022 की शॉर्ट लिस्ट हुई जारी 

अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ 2022 ट्रॉफी

वर्ष 2022 के अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ (International Booker Prize) की शॉर्ट लिस्ट जारी की जा चुकी है। यह शॉर्ट लिस्ट 7 अप्रैल 2022 को जारी की गई। इस शॉर्ट लिस्ट में लॉन्ग लिस्ट के लिए चयनित की गई 13 पुस्तकों में से छः पुस्तकों ने जगह बनाई है। 

शॉर्ट लिस्ट की घोषणा लंदन बुक फेयर में चयन समिति के अध्यक्ष फ्रैंक विन (Frank Wynne) द्वारा की गई। इस बार शॉर्ट लिस्ट में शामिल हर एक किताब अलग अलग भाषा से अनूदित की गई है। वहीं इन किताबों के लेखक भी अलग अलग देशों से आते हैं। इसके अलावा इस बार की शॉर्ट लिस्ट में महिला कथाकारों की संख्या ज्यादा है। वहीं पहली बार हिंदी से अंग्रेजी में अनूदित किताब ने शॉर्ट लिस्ट में जगह बनाई है 

एक बुक जर्नल 

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तुम चाहो तो तुम्हें मैं दे सकता हूँ  

तुम चाहो तो तुम्हें मैं 

दे सकता हूँ
इस गर्म मौसम में 
सख्त धूप।
तुम्हें दे सकता हूँ
चटकती दोपहर
और 
परेशान चेहरों वाला समाज।

पुरवाई 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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11 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात, शास्त्री जी । चर्चा को अभी सिर्फ़ सरसरी नज़र से देखा है । पढ़ने की उत्सुकता प्रबल है । पर फिलहाल पूजा का समय है । ऐसे मंगल दिवस पर चर्चा में स्थान पाकर मन प्रसन्न है । धन्यवाद, शास्त्री जी । सबका मंगल हो । नमस्ते ।

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  2. आदरणीय शास्त्री जी, सादर नमस्कार !
    बहुत सुंदर लिकों से सजी चर्चा प्रस्तुति ।
    मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति। आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं सभी पाठकों को ! आज की चर्चा में बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन ! मेरी रचना को स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही प्रभावशाली और सार्थक चर्चा,वाह वाह वाह।सभी सहभागियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ🙏🙏🌷🌷

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  6. आदरणीय , मेरी प्रविष्टि के लिंक की चर्चा , इस चर्चा मंच शामिल करने के लिए , बहुत धन्यवाद और आभार ।
    सभी संकलित रचनाएँ बहुत उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत शुभकामनायें एवं बधाइयाँ ।
    सादर ।

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  7. माँ की कृपा सब पर बनी रहे ! मुझे सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार

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  8. सराहनीय रचनाओं से सुसज्जित चर्चा !

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  9. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी पोस्ट्स को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार...

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  10. चर्चा मानो गागर में सागर. इस गागर में एक बूँद हमारी तलैया की भी.
    यानी चिड़ियों के लिए पानी भरे मिट्टी के बर्तन की भी.
    आभार शास्त्रीजी का. सबकी तलैया भरी रहे. चिड़ियों को दाना - पानी मिले.
    सबको बधाई ! सबको नमस्ते. माँ मंगल करें.

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  11. आभार आपका शास्त्री जी...। मुझे शामिल करने के लिए साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं

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