मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
--
बालकविता "लू से कैसे बदन बचाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') कल तक रुत थी बहुत सुहानी।
अब गर्मी पर चढ़ी जवानी।।
चलतीं कितनी गर्म हवाएँ।
लू से कैसे बदन बचाएँ?
--
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और महाविद्यालयों की समस्याएँ
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मूल विषयों के साथ-साथ तीन माइनर विषयों को शामिल करना विद्यार्थियों के लिए भी और महाविद्यालय प्रशासन के लिए एक तरह की परेशानी का कारण बनता दिख रहा है. जल्दी-जल्दी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू तो कर दिया गया मगर उन महाविद्यालयों का ध्यान नहीं रखा गया जहाँ संकाय की कमी है, प्राध्यापकों की कमी है, मूलभूत संसाधनों की कमी है. इसमें कहीं कोई दोराय नहीं कि वर्तमान शिक्षा नीति में विषयों को लेकर, विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर एक सकारात्मक सोच प्रदर्शित की गई है मगर इसके फलीभूत होने में अभी समय लगेगा.
--
संकट सिर पर है खड़ा, रहिए ज़रा सतर्क।
बचा हुआ है अब कहाँ, मिट्टी से सम्पर्क।।
हरियाली पानी हवा, पृथ्वी के उपहार।
हर प्राणी के वास्ते, जीवन का आधार।।
--
क्या मैं अवैध हूँ?
नहीं, अवैध गरीबी होती हैं,
तुम तो बुलडोजर हो|
--
ORGASM... हंगामा है क्यों बरपा?
ऑर्गेज्म यानी चरमोत्कर्ष... यह शब्द कुछ दिनों से फेसबुक पर ट्रेंड में है। और टारगेट में हैं लेखिका सह पत्रकार अणुशक्ति सिंह। हालांकि इसके अर्थ के बारे में हम यहां कोई चर्चा नहीं करेंगे। जिज्ञासा शांत करने के लिए आप गूगल से लेकर यूट्यूब तक पर सर्च कर भरपेट जानकारी ले सकते हैं। अंग्रेजी में बेहतर ढंग से परिभाषित कंटेंट मिल जाएंगे।--
हमारा मूल स्वभाव प्रेम है, लेकिन उस तक हमारी पहुँच ही नहीं है. जिस देह-मन के साथ हमने तादात्म्य कर लिए है, वह इसके विपरीत है. मन बटोरना चाहता है, वह सदा भयग्रस्त रहता है, वह अन्यों से तुलना करता है. मन प्रकृति का अंश है, जो सदा बदलती रहती है, इसलिए मन के स्तर पर बने सम्बन्धों में स्थायित्व नहीं होता, वे कभी प्रेम तो कभी क्रोध से भर जाते हैं. मन जिस स्रोत से प्रकटा है, वह आत्मा सदा एक सी है, वह आकाशवत निर्द्वन्द्व एक असीम सत्ता है, वहाँ अनंत आनंद व अनंत प्रेम है. उसका ज्ञान होने पर तथा उसके साथ तादात्म्य करने पर हमारा सारा भय खो जाता है, हम लोभ, क्रोध, मोह आदि विकारों के शिकार नहीं होते. हम मन की माया के पार चले जाते हैं. अपने आप से मुलाकात होती है. प्रह्लाद का जन्म होता है और विकारों की होली जलती है, तब जीवन में रंग ही रंग भर जाते हैं.--
शून्य भाव में डूबी माँ, दर्द पीड़ा प्रेम इन शब्दों के अहसास से ऊपर उठ चुकी है।बस एक शब्द है, गृहस्थी ; जिसे वह खींचती रहती है। पारुल के पैरों में पड़े छालों पर मेहंदी का लेप लगाते हुए, स्वयं के जीवन को दोहराती कि कैसे जोड़े रखते हैं, रिश्तों की डोर? माँ परिवार शब्द से बाहर नहीं निकली, इसी शब्द में डूब चुकी है। कभी-कभी तो माँ के हाथों से छूट चेहरे से चिपक जाती है थकान, परंतु माँ है कि बोलती नहीं है। बस एक ही शब्द हाँकती है कुटुंब । यह शब्द पारुल के लिए नया है, तभी चुभती है मोजड़ी।
--
मन ही दर्पण मन ही दर्शन
मन ही राग वैराग तपोवन
मन से ही संगीत सुहाना
समस्त कामना जीवन है मन.
जहां तहां करता मन विचरण
प्रयत्न शील रहता है क्षण-क्षण
बंधन मोक्ष का बनता कारण
खुद ही मन करता अवलोकन.
भारती दास ✍️
--
प्रबुद्ध नारी
समझे है जग को
न कहो 'ना री' !1
***********
खुलीआँखों से
देखतीं हैं सपने
सच भी करें ।2
***********
--
सिडनी डायरी--1 मैं इसे अपनी पहली विदेश यात्रा ही मानती हूँ . दो साल पहले मन्नू और नेहा के साथ भूटान गई थी पर वहां तो विदेश जैसा कुछ लगा ही नहीं . न बीज़ा न पासपोर्ट न कोई विशेष जाँच . सिक्किम और भूटान भौगौलिक रूप से एक से ही हैं . भवन निर्माण कला के अलावा दोनों में कोई खास अन्तर नहीं है . सिडनी एयरपोर्ट पर तमाम देशी विदेशी लोगों के साथ लम्बी लाइन में लगे मैं बैंगलोर और ग्वालियर को याद कर रही थी . सोच रही थी कि लोग रहने के लिये विदेश क्यों और क्यों चुन लेते है . कैसे आत्मसात् कर पाते हैं . कुछ दिन के लिये जाना रहना तो ठीक है . पर स्थाई रूप से बस जाने के पीछे धनार्जन और सुख सुविधाओं के अलावा क्या है . मानसिक शान्ति और सच्ची खुशी तो शायद नहीं . Yeh Mera Jahaan
--
अशर्फी लाल मिश्रचरित्र देखना है,
नशे में देखिये.
धन का नशा हो,
तब चरित्र देखिये.
ओहदे का नशा हो,
बेनक़ाब चरित्र देखिये.
शराब का नशा हो
असली चरित्र देखिये.
--
राणा, राज्य-रक्षा के लिए और अकबर राज्य-विस्तार के लिए लड़े
असलियत यह है कि राणा प्रताप अपने राज्य की रक्षा के लिए लड़ रहे थे और अकबर अपने राज्य के विस्तार के लिए। न राणा प्रताप का मकसद हिन्दू धर्म की रक्षा करना था, और न ही अकबर का मकसद इस्लाम की रक्षा करना था। अगर ऐसा होता तो राणा प्रताप के साथ मुसलमान न होते और अकबर के साथ हिन्दू न होते।
--
जीवन में सबसे मुश्किल चीज है, वैराग्य..
और जिसे सच्चा वैराग्य प्राप्त हो जाता है, उसका जीवन धन्य है।
बीकानेर जिले के कपुरीसर गांव के मुरली मनोहर सारस्वत एक अच्छी कंपनी मे जाँब करते थे, लेकिन प्रभु की ऐसी लग्न लगी कि घर परिवार कुटूम्ब कबीले से मोहभंग होकर वैराग्य पथ पर चल पडे, सन्यास ग्रहण के काफी वर्षों बाद अब श्री माधवदास अपनी माँ के हाथो भिक्षा लेने गांव पहुंचे तो समस्त ग्राम वासियो ने पलक पावडें बिछा दिए.......
भिक्षा लेकर विदा होते समय जिस स्कूल मे पढे थे उस स्कूल के बच्चों ने भी अदभुत सम्मान दिया । बहुत ही भव्य रूप से गुरु महाराज का स्वागत कियाAAJ KA AGRA
--
एलन मस्क ने क्यों किया ट्विटर पर कब्जा?
यह आलेख जब नवजीवन में प्रकाशित हुआ तब उसका शीर्षक था ‘एलन मस्क ने क्यों की ट्विटर पर कब्जे की कोशिश?’ जिज्ञासा--
अखिल भारतीय काव्यधारा रामपुर का लखनऊ में साहित्यिक अनुष्ठान संपन्न
--
मिट्टी हर पल ही उपयोगी होती
चाहे जिस रूप में भी हो
बहुआयामी होते इसके करतब
जहां उपयोग की जाती
अपना महत्व दर्शाती |
--
आज के लिए बस इतना ही..!
--
इस परिचर्चा में सम सामयिक विषयों जैसे लू की तपन एवं नई शिक्षा नीति विशेष उल्लेखनीय हैं. अन्य संकलन भी सराहनीय.
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह!सामयिक विषयों पर सुंदर और सार्थक परिचर्चा🙏🙏👌👌🌷🌷
जवाब देंहटाएंबढ़िया संयोजन , हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबढ़िया संकलन धन्यवाद आदरणीय
जवाब देंहटाएंइतने सारे विषयों पर आधारित रचनाओं की जानकारी एक ही मंच पर मिल जाये ऐसा केवल चर्चा मंच पर ही सम्भव है, बहुत बहुत आभार मेरी रचना को भी आज के अंक में सम्मिलित करने हेतु !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा मंच की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं