मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
--
शीर्षक
अशर्फी लाल जी के ब्लॉग
काव्य दर्पण से
--
“जहरीला पेड़:A Poison Tree” (अनुवादक:डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') A Poison Tree
a poem by William Blake काव्यानुवादयह चमक उस सेव की मानिन्द है
रात के तम में चुराया था
जिसे इक शत्रु ने
उल्लसित मेरा हृदय
यह हो गया है देखकर
आज चिर निद्रा में
खोया है हमारा मित्रवर
छाँव में विषवृक्ष कीWilliam Blake
(1757 - 1827)उच्चारण
--
शिवाजी की सेना में हजारों मुसलमान सैनिक, मुगलों के साथ मराठा सरदार
राजा, राजा होता था, हिन्दू या मुसलमान नहीं। शिवाजी ने जब मुगलों के व्यापार केन्द्र सूरत पर हमला किया तो शिवाजी के सैनिकों ने वहाँ चार दिनों तक हिन्दू व्यापारियों के साथ जमकर लूटपाट की। सूरत के मशहूर व्यापारी वीरजी बोरा थे जिनके अपने जहाज थे। उस समय उनकी सम्पत्ति अस्सी लाख रुपये थी। शिवाजी के सैनिकों ने वीरजी बोरा को भी जमकर लूटा। औरंगजेब ने सूरत की सुरक्षा के लिए सेना भेजी। उसने तीन साल तक व्यापारियों से चुंगी न वसूल करने का हुक्म भी जारी कर दिया।
--
दिनकर उगल रहा है आग.
पशु पक्षी सब ढूढ़े छाया,
सभी लगाये भागम भाग..
--
कण-कण में जो देखे उसको हम जिस वस्तु, व्यक्ति अथवा परिस्थिति का हृदय से सम्मान करते हैं, उससे मुक्तता का अनुभव करते हैं अर्थात उनके अवाँछित प्रभाव या अभाव का अनुभव नहीं करते। सम्मानित होते ही वे हमारे भीतर लालसा का पात्र नहीं रहते। यदि हम सभी का सम्मान करें तत्क्षण मुक्ति का अनुभव होता है. इसीलिए ऋषियों ने सारे जगत को ईश्वर से युक्त बताया है. अन्न में ब्रह्म को अनुभव करने वाला व्यक्ति कभी उसका अपमान नहीं कर सकता, भोजन में पवित्रता का ध्यान रखता है. शब्द में ब्रह्म को अनुभव करने वाला वाणी का दुरूपयोग नहीं करेगा। स्वयं को समता में रखने के लिए, वैराग्य के महान सुख का अनुभव करने के लिए, कमलवत जीवन के लिए आवश्यक है इस सुंदर सृष्टि और जगत के प्रति असीम सम्मान का अनुभव करना। डायरी के पन्नों से अनीता
--
एक गीत - वही बनारस जिसमें रोली-चन्दन टीका है
चित्र साभार गूगल |
अब वह
काशी नहीं
पढ़ रहा हूँ उसका अनुवाद।
--
बिना कचौड़ी गली
यहाँ का
मौसम फीका है,
वही बनारस
जहाँ घाट पर
चन्दन टीका है,
--
--
दौड़िए स्वस्थ रहने को, स्वस्थ रहें ,मस्त रहें। खेल जीवन में इस तरह जुड़ा रहेगा कल्पना नहीं की थी। मैराथन पांच किलोमीटर।
--
वो पल थे अविस्मरणीय, जो खुले आकाश
के नीचे बिखर गए, अवाक थे तुम
और मैं भी निःशब्द, सिर्फ़
चल रहे थे अंतरिक्ष
में सितारों के
जुलूस ! अग्निशिखा :
--
सफलता बदला लेने का सबसे अच्छा तरीक़ा है
रतन टाटा चाहते तो बिल फोर्ड का अपमान कर बदला ले सकते थे, लेकिन वे चुप ही रहे। वे लकीर छोटी करने के बजाए बड़ी लकीर खींचने में यकीन रखते थे। अगर किसे ने अपमान किया हो तो बेहतर है कि पहले से भे बेहतर मनुष्य बन जाइए। यही उस व्यक्ति को सबसे अच्छा जवाब है। कहते हैं, आम लोग अपमान का बदला तत्काल लेते हैं, पर महान उसे अपनी जीत का साधन बना लेते हैं। रतन टाटा के इस केस में यह कहावत चरितार्थ हुई कि ‘सफलता बदला लेने का सबसे अच्छा तरीक़ा है’।
--
विवैक्सिया का जीवाश्म, स्रोत: डायनोपीडिया |
--
--
--
--
आधे-आधे प्रतिशत 'मल्टीग्रेन' वाले ... ( भाग - १). एक सभ्य समाजसेवी होने के,चंद बच्चों को किसी 'स्लम एरिया' के चंद 'पैकेट्स' 'बिस्कुट' के बाँटते हुए या फिर कुछ उन्हीं में से या फिर सभी मैले-कुचैले गरीब बच्चों को पास बैठा के पुचकारते हुए बस ... 'ऑन' रहने तक सामने किसी 'कैमरे' के .. शायद ...
--
लक्ष्मी '' रमेश के पास दो रास्ते थे ,या तो अपनी किस्मत को ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार करे ,या जीवन भर मायूस रहे | उसने मुस्कुराते हुए पूछा ,''दीदी सुगंधा ठीक है न ? और हाँ दीदी इस बच्ची का नाम हमने लक्ष्मी तय किया है |'' डॉक्टर दीदी को अब रमेश और सुगंधा पर गर्व हो रहा था !!
--
भास्कर एक्सक्लूसिव : किसान को जमीन का मुआवजा नहीं देना भी संविधान से खेलना : सुप्रीम कोर्ट पवन कुमार, नई दिल्ली
--
आज के लिए बस इतना ही...!
--
बहुत ही शानदार आज की प्रस्तुति एक से बढ़कर एक लिंक
जवाब देंहटाएंजी ! सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. इस मंच पर अपनी आज की बहुआयामी प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान प्रदान करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंसुप्रभात तथा आभार मान्यवर हमारी रचना को इस मंच पर प्रकाशित करने के लिए।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! सराहनीय रचनाओं के लिंक्स से सजा चर्चा मंच! आभार!
जवाब देंहटाएंआभार और धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों के साथ मेरी रचना को स्थान दिया ह्रदय से धन्यवाद शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंइस परिचर्चा में साहित्य के विविध आयामों के दर्शन, जो सभी सराहनीय हैँ. इस परिचर्चा में 'मयंक ' जी का संकलन कौशल परिलक्षित होता है. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका।सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंरूपचन्द्र जी, चर्चामंच पर मेरे बिमल मित्र वाले आलेख को जगह देने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं