सादर अभिवादन।
शनिवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
शीर्षक व भूमिका में Robert Browning की कविता Life in a Love के हिंदी अनुवाद से, जो आदरणीय शास्त्री जी सर द्वारा 'जिंदगी में प्यार'से लिया गया है -
मन कहता है उठो
जिन्दगी को
फिर से पकड़ लो
प्यार को
पाश में जकड़ लो
दूरियों की परवाह मत करो
धूल और अन्धेरों से
कभी मत डरो
जल्दी मत करो
मैंने
जो बून्द बोई है
आशा की
वह एक न एक दिन
नया आकार अवश्य लेगी
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
--
"जिन्दगी में प्यार-Life in a Love"
मैं तुम्हें
कभी नही भुला पाउँगा!
जब तक
मैं! मैं हूँ
और तुम
तुम हो!
अमर रहेगा मेरा प्यार!
ले कर हिय में एक
अगाध तृषा, जबकि कुछ बूंद
ही प्रयाप्त हैं जीने के
लिए, टूटे हार की
तरह अक्सर
हम ढूंढते
है एक
रेशमी डोर,
सद्गुरु का आलोक जगा है
मन में आया परम प्रकाश,
हर दुःख को हँस कर सह लेते
चिंता का नहीं अवकाश !
--
तेरी आवाज़ से छिलजाती हूं
सुनो !
अपनी आवाज़ से कहो
कुछ मुलायम भी रहें...
ताप सहन करना मुश्किल झुलस रहे हैं पेड़ पालो
तन को मिले तनिक न चैन चाहे जितनी बार नहा लो
शुष्क सा हरदम रहे हलक जल चाहे ठंडा कण्ठ में डालो
तर करती नहीं लस्सी भी,आइसक्रीम कुल्फी जो भी खा लो,
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बहुत है कोलाहल
जीवन में,
शब्दों और ध्वनियों का
सघन समुच्चय
फिर भी मन के
निर्वात परिसर में
पसरी हुई निःशब्दता
करती है प्रतीक्षा
---
कुछ है लेना छूटना कुछ
जो मिला वो है बहुत कुछ,
भार सा सिर पर लदा है
कर निछावर दूँ सभी कुछ,
हूँ तनिक न अनमनी मैं
दूँ तुझे प्रासाद भरकर ।।
वो इंटर की बचकानी बातें
वो प्रिन्सिपल से डर
वो स्कूल से ट्यूशन
और ट्यूशन से घर|
उन्नति के चढ़कर शिखर,प्रीत न जाना भूल।
प्रीत बिना चढ़ती सदा,रिश्तों पर फिर धूल।
रिश्तों पर फिर धूल,चिढ़ाए पल पल मन को।
अपनों के ही संग,मिले हर सुख जीवन को।
फोटो देखने के बाद आप भी कहेंगे यह तो अपनी मौत को दावत दे रहा है ऐसा ही कुछ हमारे जीवन में भी होता है कई बार हम ऐसे लोगों से पंगा लेने की सोचते हैं जिनके बारे में हमें बिल्कुल भी अनुभव नहीं होता बिना कुछ सोचे समझे किसी और के बहकावे में आकर हम ऐसे छोटे-मोटे कार्य करने की सोच लेते हैं और बाद में जब अंजाम आता है तब कहा जाता है यार उसने मेरे साथ ऐसा कर लिया अरे भाई किसी के साथ कुछ कर रहे हो तो उससे पहले उसके बारे में पूरा इतिहास तो पता करो।
आज का सफ़र यहीं तक
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!
बहुत सुंदर सराहनीय अंक। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर आज के चर्चा मंच की पोस्ट एक से बढ़कर एक लिंक
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को स्थान दिया ह्रदय से धन्यवाद आदरणीय अनीता जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति प्रिय अनीता, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर अभिवादन 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंउन्नति के चढ़कर शिखर,प्रीत न जाना भूल।
प्रीत बिना चढ़ती सदा,रिश्तों पर फिर धूल।
रिश्तों पर फिर धूल,चिढ़ाए पल पल मन को।
अपनों के ही संग,मिले हर सुख जीवन को।
वाह अनुपम चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी।
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