सादर अभिवादन
आज की विशेष प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
आज की प्रस्तुति समर्पित है हमारे ब्लॉग जगत की एक ऐसी रचनाकार के नाम जो तब से इस घर में है जब से मुझे तो इसका अता-पता भी मालूम नहीं था। इस परिवार की सबसे खास और अनुभवी रचनाकार, चर्चाकार और यकीनन बेहतरीन टिप्पणीकार भी।
जिनकी शुरूआती दिनों के रचनाओं पर तो सौ से भी ज्यादा टिप्पणियां है, इतनी प्रतिक्रियाओं की तो हम आजकल के रचनाकार कल्पना भी नहीं कर सकते।
रचनाएँ भी ऐसी की एकबार को मन सोचने पर मजबूर हो जाता है कि इतने गहरे भाव आते कहाँ से है।इनकी अधिकांश रचनाओं में मन के जद्दोजहद से उत्पन्न हुए कई सवाल होते हैं कुछ खुद से, कुछ समाज से,कुछ प्रकृति से और कुछ विशेष पौराणिक पात्रों से भी...
कवियत्री के शब्दों में
कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
और उनके बारे में मैं कहती हूँ
आप जो लिखती है हर दिल को छू जाता है और वो उसे गुनगुनाना चाहता है।
आईये मिलते हैं हर दिल अजीज हमारी आदरणीया संगीता स्वरूप दी से
मेरे नजरिये से उनकी रचनाओं का विश्लेषण करना यानि सूरज को दीपक दिखाना होगा इसलिए वो हिमाक़त तो मैं नहीं कर सकती। बस,ये मेरा खुद की नज़र से एकबार उन्हें देखने का प्रयास भर है।
संगीता दी,जिनसे मैं तो काफी दिनों बाद मिली।जिस वक़्त मैं इस घर की सदस्य बनी थी तब, शायद वो कुछ समय के लिए कही और भ्रमण कर रही थी। लेकिन जब से मिली हूँ मैंने देखा है कि वो हर किसी को अपनी मनमोहक शब्दों के मोहपाश में बांध रखी है। घर की बड़ी सदस्य की तरह उन्होंने सभी को एक समान स्नेह दिया। उनकी नजरों से खुद को देखना बेहद सुखकर होता है। हमारी प्रशंसा में कहे उनके शब्दों से हमारा मनोबल कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है। इस ब्लॉग जगत परिवार में वो हम सभी के लिए आदरणीय तो है ही प्रिय भी है। इनकी अनगिनत अनमोल रचनाओं में से कुछ को चुनना बेहद दुस्कर कार्य है। तो मैं आप सभी के लिए उनकी वो खास रचनायें लेकर आई हूँ जो शुरूआती दिनों के है
और उनमे से कुछ तक आप अभी पहुँच नहीं पाए है।
तो प्रस्तुत है उनमे से मेरी पसंद की चंद रचनायें......
मधुसूदन
मोहब्बत में कोई लेन-देन हो ही नहीं सकता और वो मोहब्बत अगर परमात्मा से हो...?
मोहब्बत
पाने से ज्यादा
देने की चाहत होती है
इसीलिए
कभी तेरे सामने
मैंने अपना हाथ
फैलाया नहीं।
अपने आप से मिला करती हूँ
और अंधेरे सायों में
अपने आप से बात किया करती हूँ।
याद आते हैं वो
बचपन के दिन
मैं खुश हूँ बहुत
मेरा आस्तित्व आ चुका है
बस प्रादुर्भाव होना बाकी है।
माँ ! मुझे जन्म दो / रचयिता सृष्टि की
तुम्हारी ही संरचना हूँ , तुम्हारी ही सृष्टि हूँ।
माँ ! मुझे जन्म दो, हे माँ ! मुझे जन्म दो
नृत्यांगना ---
जीवन के संगीत पर
थिरकती रहतीं हैं स्त्रियाँ
नही होती ज़रूरत
किसी साज़ की
या कि किसी सुर ताल की ,
मन और सोच की
जुगलबंदी
नचाती रहती है उसे
अपनी थाप पर ।
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हर पीढ़ी में एक माँ अपनी बेटी से ये वादा करती है और
यकीनन इसी का परिणाम है आज की नारी.....
मैं तुम्हारे हर ख्वाब
चुन लुंगी
अरमानो का खून
नहीं होने दूंगी
आँख से कतरा
नहीं बहने दूंगी
ये वादा है मेरा तुमसे
एक माँ का वादा है
जिसे मैं ज़रूर
पूरा करुँगी.
हर घड़ी चला करते हैं
कुछ स्वयं आ जाते हैं सामने
तो कुछ हम खुद चुन लिया करते हैं
और जो बचते हैं वो
हम पर थोप दिए जाते हैं ।
और मान लिया जाता है कि
ज़िंदगी के इम्तिहान में
हमें सफल होना है ।
विज्ञान का विस्तार कर
जा रहे हो कौन पथ पर
देखो ज़रा तुम सोच कर।
कौन राह के पथिक हो
कौन सी मंजिल है
सही डगर के बिना
मंजिल भी भटक गई है।
क्या आपके मन में भी कभी ये विचार आता है कि-
एक मुलाक़ात ...शहीद की आत्मा से
एक विचित्र बात हो गयी
स्वप्न में भगत सिंह की
आत्मा से
मेरी मुलाकात हो गयी
बहन संगीता स्वरूप जी मेरी बहुत पुरानी ब्लॉगर मित्र हैं|
जवाब देंहटाएंआज कामिनी सिन्हा द्वारा उनके बारे में और उनकी रचनाओं के बारे में चर्चा मंच पर यह विशेष अंक देखकर एक सुखद अनुभूति हुई|
संगीता स्वरूप जी को बहुत-बहुत बधाई हो और आपका बहुत-बहुत आभार कामिनी सिन्हा जी|
चर्चा मंच का यह विशेष अंक अतुलनीय है, संगीता जी की रचनाएँ वर्षों से पढ़ती आ रही हूँ, कुछ आरम्भिक रचनाएँ छोड़कर शायद सभी पढ़ी हैं। उन्हें पढ़ना सदा ही सुखद आश्चर्य से भर जाता है।
जवाब देंहटाएंBahut hi Shandar aaj ke Charcha Manch ki post.... aadarniy Sangeeta ji ke blog ke bare me padhakar bahut Achcha Laga
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा संगीता जी की रचनाओं के माध्यम से भावनाओं और विचारों का मंथन करती है. संगीता जी के लेखन को एक रचनाकार की दृष्टि से समझने का अनुभव सुखद
जवाब देंहटाएंरहा. दोनों का अभिनन्दन.
आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार
जवाब देंहटाएंक्षमा चाहूँगी कामिनी कि आज की विशिष्ट चर्चा मेरे नाम थी और मैं अब आ पाई हूँ ।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो इस दुष्कर कार्य के लिए हृदय तल से आभार । आज अपनी ही रचनाओं को पुनः पढ़ना मन को पुलकित कर गया है ।
रूप चंद शास्त्री जी का आभार , उनके शब्द 14 साल पीछे ले गए हैं । अनिता जी का हार्दिक धन्यवाद कि आज भी नियमित रूप से मेरे ब्लॉग पर आती हैं और जैसा भी उल्टा सीधा लिखती हूँ सराहती हैं ।
इतने प्यारे और भावुक कर देने वाले शब्दों से मुझे नवाज़ा है कि कुछ लिखते नहीं बन रहा ।
एक बात जरूर है कि मुझे ब्लॉग जगत में सच ही बहुत प्यार और सम्मान मिला है । इसके लिए मैं अपने पुराने और अभी जिनसे परिचय हुआ सभी ब्लॉगर साथियों का आभार प्रकट करती हूँ ।
आपसे अनुमति ले कर यह चर्चा फेसबुक पर शेयर कर रही हूँ ।।
धन्यवाद ।
कामनी आपको बहुत सारा स्नेह ।।
आ. संगीता जी के उत्कृष्ट लेखन को शेयर करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद आ. कामिनी जी! हालांकि मैं देर से आई हूँ व्यस्तता और अस्वस्थता के चलते नियमित नहीं रह पाती ...पर आज सौभाग्य से आना हुआ और सौभाग्य से आपको पढना हुआ... आपकी रचनाओं में यथार्थ और जीवन अनुभव भरा रहता है ...मैने आपको बहुत देर से जाना इसलिए बहुत रचनाएं अभी अछूती हैं मुझसे...पर हर सम्भव प्रयास है कि आपको पढूँ और आपसे सीख लूँ...शत-शत नमन आपको एवं आपकी प्रभावशाली लेखनी को।🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंप्रिय सुधा जी ,
हटाएंआप अपनी सेहत का ध्यान रखें । आप जैसे पाठक मुश्किल से मिलते हैं । मेरे और मेरी रचनाओं का अहोभाग्य कि आप की सार्थक प्रतिक्रिया मिली ।
आभार ।।
संगीता जी फिर वही दिन जीने का मन करता है।
जवाब देंहटाएंरेखा जी ,
हटाएंमन तो सच में करता है कि बीते दिन जैसा फिर से माहौल हो लेकिन रास्ते में चलते हुए बहुत से साथी रास्ता बदल चुके हैं । नए साथियों के साथ जितना भी सफर पर किया जाए बेहतर है ।।आभार
पर / पार *
हटाएंव्वाहह..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
अंक..
सादर..
मेरा भी सौभाग्य रहा कि शुरू से जुड़ा हूँ और पढ़ने का अवसर मिला है।
जवाब देंहटाएंमेरा भी सौभाग्य रहा कि शुरू से जुड़ा हूँ और पढ़ने का अवसर मिला है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सच लिखा है कामिनी जी ने। मेरा वास्ता कुछ ही वर्षों से है ब्लॉग की दुनिया से और Sangeeta Swarup जी से…परन्तु इतने कम समय में भी उनसे अभिन्न मित्रता का अहसास हुआ। उनके अन्दर एक विचारक, कवि नजर आता है । किसी भी विषय पर बात करने पर उनकी स्पष्टवादी व सुलझी हुई विचारधारा दृष्टिगोचर होती है।इसके अतिरिक्त उदारता , बुद्धिमत्ता के साथ-साथ दृढ़ता व अच्छे मित्र के दर्शन हुए। उनके अन्दर सम्वेदनशीलता के साथ गम्भीरता भी है। कविताएं तो जैसे उनके स्वच्छ ह्रदय का दर्पण हैं। गद्य और पद्य दोनों में कमाल लिखती हैं हमारी मित्रता भी इसी तरह एफ बी पर मैसेज करते- करते हो गई थी कभी। कामिनी जी आपको बहुत साधुवाद जो आपने आज उन पर लिखा और संगीता जी को ढेर सा प्यार और शुभकामनाएँ 🌹
जवाब देंहटाएंजो सबकी चर्चा में सहायक हैं, उनकी चर्चा का महती कर करने के लिए साधुवाद। ब्लॉगिंग के प्रारंभिक दिनों से ही उनका साथ रहा है। स्वयं सर्वोत्तम लेखन कर ने के बावजूद नए रचनाकारों का अपनी टिप्पणीयो द्वारा प्रोत्साहन कर आगे बढ़ाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
जवाब देंहटाएंदेर से ही सही आप सभी की उपस्थिति और आशीर्वाद पाकर बेहद खुशी हुई। मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए हृदयतल से धन्यवाद आप सभी को 🙏
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