मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
--
देखिए कुछ अद्यतन लिंक
--
बालगीत "ककड़ी लम्बी हरी मुलायम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
स्वाभिमान का टूटता दरख़्त
”मौत कभी पृष्ठभूमि बनाकर नहीं आती,दबे पाँव कहीं भी चली आती है।”
कहते हुए सुखवीर उठकर बैठ जाता है।
”खाली रिवॉल्वर से जूझती मेरी अँगुलियाँ! उसका रिवॉल्वर मेरे सीने पर था। नज़रें टकराईं! कमबख़्त ने गोली क्यों नहीं चलाई?”
--
देखो लग गए हैं पंख
मेरे सपनों को
थिरकने लगे हैं मेरे पाँव
और फ़ैलने लगे हैं
पानी के ढेर सारे
छोटे बड़े वलय मेरे चहुँ ओर
--
--
मैं साँस ले रहा हूँ,
चल-फिर रहा हूँ,
खा-पी रहा हूँ,
सब कुछ कर रहा हूँ,
पर मेरा दिल है
कि ढूंढने पर भी मुझे
मिल ही नहीं रहा है.
--
नीति के दोहे मुक्तक सुख -शांति जिस घर गुस्सा वासना, मन में लालच होय. उस घर नहि हो सुख शांति, यह जानत सब कोय.. शुभ काम मर्यादित रखो भाषा, घर में हो शुभ काम. आचरण रखो संयमित, खर्चो कुछ भी दाम..
--
चौपाई - जो समझ आयी .. बस यूँ ही ...
--
आज हम बात करेंगे कि शेयर बाज़ार में Future & Options कैसे सीखें? Future & Options को short में FnO भी कहा जाता है। जो भी शेयर आपको FnO में मिलेंगे, साधारणतया: उनमें जबरदस्त price action देखने को मिलता है, आज 199 कंपनियों को शेयर FnO में trade hote हैं। इसे Derivatives भी कहा जाता है।
Future & Options के बारे में आपको नेट पर बहुत सारा ज्ञान उपलब्ध है, इसलिये हम उस पर बात नहीं करेंगे, अगर आपको जानना है तो कमेंट में बताइयेगा, हम उसे भी explain कर देंगे।
--
प्रत्येक पेशे का एक निश्चित ड्रेस कोड होता है जो एक पेशे से जुड़े हुए लोगों की पहचान से गहरा ताल्लुक रखता है. यही ड्रेस कोड आम जनता में सफेद शर्ट, नेक बैंड और काले कोट पहने व्यक्ति के लिए तुरंत कानूनी पेशे से जुड़े व्यक्तित्व का परिचय देता है. जहां यह ड्रेस कोड अधिवक्ताओं को आम जनता में " ऑफिसर ऑफ द कोर्ट" के रूप में पहचान देता है वहीं यह ड्रेस कोड अधिवक्ताओं में आत्मविश्वास और अनुशासन को भी जन्म देता है. कानूनी ज्ञान
--
रसोई गैस की बचत के लिए आजमाएं ये 10 टिप्स और बने स्मार्ट गृहिणी!
--
मैंने चाँद बनकर धरा को देखा
लहू से सराबोर
लोगों को झूमते गाते देखा
संग बहते हुए हवाओं के
इक बूँद श्वास के लिए तरसते देखा
--
चंदा मामा कभी उतरकर, धरती पर आ जाओ ना !
चंदा मामा कभी उतरकर
धरती पर आ जाओ ना !
कैसे मामा हो मामा तुम ?
नाता कुछ तो निभाओ ना !
Nayisoch सुधा देवरानी
--
फहराया आनंद प्लावित श्यामघन ध्वज
नव वर्ष का हुआ सहर्ष सादर सत्कार
चिङिया संप्रदाय गा उठा समवेत स्वर
करतल ध्वनि कर रहे मगन नव पल्लव
नदी के शांत जल की लयबद्ध कल कलनमस्ते namaste नूपुरं
--
दक्षिण एशिया में उम्मीदों की सरगर्मी
--
--
पायस पत्रिका अप्रैल मास 2022 में प्रकाशित
--
--
मनुष्य से पहले: P से Pteranodon
क्या होते थे टिरैनोडॉन (Pteranodon)?
--
क्यों किसी को दिल दिया
प्यार किस चिड़िया को कहा
अब तक अर्थ न समझा |
|दूर के ढोल सुहाने होते
कहावत सही नजर आई
--
प्राण ऊर्जा बहे अबाध जब आयुर्वेद के अनुसार शरीर के सभी अंगों में प्राण-ऊर्जा का प्रवाह वैसे तो चौबीस घण्टे होता है,पर हर समय एक सा प्रवाह नहीं होता. प्रायः जिस समय जो अंग सर्वाधिक सक्रिय हो उस समय उससे सम्बन्धित कार्य करने से हम उसकी पूर्ण क्षमता का उपयोग कर सकते हैं. प्रातः तीन बजे से पांच बजे तक फेफड़ों में प्राण ऊर्जा का प्रवाह सर्वाधिक रहता है, इसी कारण ब्रह्म मुहूर्त में उठकर खुली हवा में घूमने अथवा प्राणायाम आदि करने से शरीर स्वस्थ बनेगा
--
आज के लिए बस इतना ही...!
--
सुन्दर प्रस्तुति, वकीलों के ड्रेस कोड को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर आज के अंक में मेरी रचना को स्तान देने के लिए |उम्दा लिंक्सआज की |
जी ! नमन संग आभार आपका महाशय ! .. अपने मंच पर अपनी आज की बहुरंगी प्रस्तुति में मेरी बतकही शामिल करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंसुप्रभात,शास्त्री जी । हार्दिक आभार । मनुहार भी जोङने के लिए ।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक अंक लग रहा है । पढ़ने को बेताब!
पढ़ कर फिर मिलते हैं ।
उम्दा चर्चा। सुधा दी,सच में यदि चंदा मामा है तो उसकी कोई मामी भी होगी यह बात तो कभी दिमाग मे आई ही नही! बहुत सुंदर रचना दी।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी !
हटाएंसभी प्रस्तुतियाँ उम्दा.
जवाब देंहटाएंबढ़िया संकलन
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा... मेरी पोस्ट को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत श्रम से सँजोये गए ढेर सारे पठनीय लिंक्स, मेरी रचनाओं को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंशानदार सूत्रों से सुसज्जित आज का संकलन शास्त्री जी ! मेरी रचना को स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंअद्भुत! कमाल की विविधता है । हर रंग की रचना है । जानकारी है । इन उत्कृष्ट रचनाओं के बीच स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संकलन आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएं'स्वाभिमान का टूटता दरख़्त' को स्थान देने हेतु हृदय सर आभार।
सादर
उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ. शास्त्री जी !
आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार !
जवाब देंहटाएंविविध रचनाओं से सज्जित रोचक, पठनीय और सराहनीय अंक ।
इतना विस्तृत और सुंदर संकलन सजाने के लिए आपकी श्रमशीलता को नमन ।
मेरे लोकगीत को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।
सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ ।