सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक आदरणीया अलकनंदा जी की रचना से)
"हरी अनंत हरी कथा अनंता
कहहि सुनहि बहु बिधि सब संता"
भगवान श्री राम को नमन करते हुए चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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"बेटा जीवित बाप से, माँग रहा अधिकार"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
रामनवमी पर विशेष: ऐसे थे निराला के राम और राम की शक्तिपूजा
‘राम की शक्ति पूजा’ नामक सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता में राम के कुछ ऐसे भी मनोभाव देखने को मिलते हैं जो शायद रामचरित मानस में भी उल्लिखित नहीं हैं क्याेंकि इसमें राम-रावण युद्ध को साधने के लिए राम द्वारा की गई शक्ति पूजा का भी उल्लेख है जिसका संदर्भ भले ही पुराणों में मिलता है लेकिन वाल्मीकि या तुलसी रामायण में नहीं। ------ स्मृतियों की खिड़कीभागते से क्षण निमिष की
डोर थामे कौन पल
याद बहकी वात जैसी
थिर नहीं रहती अचल।।
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हमेशा की तरह सरला इस बार भी नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए कन्याएं लेने झोपड़पट्टी गयी तो उसकी नजरें शबनम को ढ़ूँढ़ने लगी ।
वही शबनम जो पिछले दो बार के कन्या पूजन के समय ये हिसाब किताब रखती थी कि किसके घर कौन लड़की जायेगी ।
परन्तु इस बार शबनम कहीं नजर नहीं आई तो सरला सोचने लगी कि कहाँ गयी होगी शबनम ? हाँ क्या कहा था उसने ? दो साल काम करके पैसे जमा करुँगी फिर यहीं किसी अच्छे विद्यालय में दाखिला करवायेंगे बाबा ।
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माना दुःख-दर्द ढेरों हैं जमाने में
इश्क़ महके है अब भी हर फ़साने में
लोग तैयार हैं अदावतों की खातिर
लुत्फ़ आता है पर हँसने-हँसाने में
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राम राम बसा मेरे उर में
मैं दूर रहूँ कैसे तुमसे
जब तक राम नहीं होगा मन में
मेरा जीवन अधूरा रहेगा |
दिन रात एक ही रटन
जय हो सीता राम की राधे श्याम की
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सुबह पाँच बजे घड़ी के अलार्म सुनते ही बिस्तर छोड़ते हुए रमा ने नीलू को प्यार भरी नजर से देखा और सिर पर हाथ फेरकर कमरे से बाहर निकल गई।सास-ससुर और ननद अभी गहरी नींद सो रहे थे।रमा नहाकर सीधे रसोईघर में चली आई और सुबह का नाश्ता और सास-ससुर के लिए दोपहर का खाना बनाकर अपना और ननद नुपुर का टिफिन पैक करके सबको चाय देने लगी।
"नुपुर उठो चाय पी लो..!"
"हम्म भाभी रख दो..! नुपुर ने आँखें खोले बिना जबाव दिया।
"रख दो नहीं,जल्दी से उठ जाओ वरना लेट हो जाओगी..! मैं माँ पापा को चाय देकर निकल जाऊँगी। मैंने तुम्हारा टिफिन पैक कर दिया है तो लेती जाना..!
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पहले-पहल एक ही आई .
एक और फिर पडी दिखाई .
अब पूरा का पूरा कुनबा ,
दिन भर खेले छुआ-छुलाई .
और कबड्डी रात ,
करूँ अब क्या ?
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आज का सफर यही तक,
अब आज्ञा दीजिए..।
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी सिन्हा जी|
सुंदर चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंविविध रचनाओं का संकलन ।
शुभकामनाएँ कामिनी जी ।
@Kamini Sinha बेहतरीन इंद्रधनुषी चर्चामंच में मेरी रचना शामिल करने हेतु आपका आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसार्थक रचनाओं का संकलन
बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचनाओं के सूत्र सँजोये सुंदर चर्चा ! बहुत बहुत आभार कामिनी जी 'मन पाए विश्राम जहाँ' को आज के अंक में स्थान देने हेतु
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनि:शब्द हूं कामिनी जी कि मेरी ब्लॉगपोस्ट को इस संकलन में शामिल किया, आपका बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !
आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं अभिनन्दन 🙏
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह !बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा-आयोजन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक चर्चा. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंहर रचना अपने आप में पूर्ण, अभिनव।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सस्नेह सादर।