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शुक्रवार, अप्रैल 15, 2022

'तुम्हें छू कर, गीतों का अंकुर फिर उगाना है'(चर्चा अंक 4401)

सादर अभिवादन। 

शुक्रवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है। 

शीर्षक व काव्यांश आदरणीया अमृता तन्मय जी की रचना 'तुम्हें अमिरस पिलाना है'  से - 

देखो न हर बूँद में ही, ऐसे अमृत टपक रहा है

देखो तो जो चातक है, उसे कैसे लपक रहा है

कहाँ खोकर बस तू, क्यों पलकें झपक रहा है

आओ! अंजुरी भर के, तुम्हें अमिरस पिलाना है

हाँ! तुम्हें छू कर, गीतों का अंकुर फिर उगाना है ।


आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

--

दोहे "तरस रहा माँ-बाप की, सुनने को आवाज़" 

एक साल पहले गये, पूज्य पिता परलोक।
अब माता भी चल बसी, छाया घर में शोक।५।
 --
दोनों के आशीष से, वंचित हूँ मैं आज।
तरस रहा माँ-बाप की, सुनने को आवाज़।६

कितना अलग है यह रिश्ता 

उन सारे रिश्तों से,

जो मैं कभी जी न सका,

पर ज़िन्दगी-भर निभाता रहा. 

--

सतुआनी

 मीन महल से निकले सूरज
किया मेष प्रवेश।
आग उगलने लगी किरणें
हुआ गृष्मोन्मेष!
सभी आवरण उतार देता है, निःशब्द ये
गाढ़ अंधकार, चंद्र विहीन आकाश
में है बदस्तूर सितारों का
उत्थान - पतन, शूल
सेज पर होता है
तब अक्सर
एकाकी
ये जीवन, झुरमुटों से झांकते हैं कुछ -
आत्मीय स्वजन,
--
बड़े दिनों बाद, सुन तेरी  तान
नाच उठा  मन  मेरा है। 
ऐसा लगता है यादों के,
 नंदनवन संग लाईं हो। 
 लोगों की कहावत
 झूठी लगती
 "खाली हाथ आये 
 खलिहाथ जाएंगे"
 अंत समय मे तो
 कुछ कही अनकही
 व्यथा संग लिए जाएंगे।।

सारी विसंगतियों को और
सारी शोषणकारी वर्जनाओं को
जला कर राख करना है
ताकि यह धरती सबके लिए
समान रूप से
रहने योग्य बन सके !
जिनका   संवेदना   से    रिश्ता  है,
"दिल किसी का दुखा नहीं सकते"।
एक  मज़लूम की सदा को 'विवेक',
आप  अब  यूँ   दबा   नहीं  सकते।
हाँ..छोटी..डॉ ने कहा है अभी दो तीन घंटे का समय है, मैंने सोचा बगल की ही तो बात है, छोटी के पास बहुत काम हैं, बिटिया भी रो रही होगी। क्यों न रोटी बना आऊँ? रोटी बना के चली जाऊँगी। फिर तब तक तू भी खाली हो जाएगी और मुझे लेकर चलेगी ।

आज देवरानी जेठानी परिचर्चा में शांति की आंखें पूरी तरह गीली होकर बह चलीं, उस महामना जेठानी की याद में ।

-- 

आज का सफ़र यहीं तक 

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

13 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित संक्षिप्त चर्चा ! मेरी रचना को इसमें शामिल किया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  2. पठनीय लिंको के साथ बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति|
    --
    आपका आभार अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर और सार्थक चर्चा।सभी की रचनाएँ उच्चस्तरीय और प्रेरणादाई🌷🌷🙏🙏👍👍

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर और सार्थक सूत्रों को संजोया है
    साधुवाद आपको

    सभी सम्मलित रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. सार्थक रचनाओं से परिपूर्ण सराहनीय अंक ।
    रचनाएँ पढ़ीं, उम्दा चयन प्रिय अनीता जी ।
    मेरी लघुकथा शामिल करने के लिए हृदय से आभार ।
    सादर शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्मदा संग्रह से सजा सराहनीय अंक ,हमारी रचना मो शामिल करने के लिए ह्रदय से आभारी हूँ अनिता जी ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन चर्चा अंक प्रिय अनीता, मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद। सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह अनीता जी, सभी लिंक बहुत ही शानदार रहे...और देवरानी जिठानी की बातें हों या अमृता जी की कविता, कामिनी जी की कोयलिया हो या उर्मिला जी की नारी मनोव्‍यथा...सभी पढ़कर आनंद आ गया...

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन चर्चा.मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति|

    जवाब देंहटाएं
  11. आकर्षक एवं पठनीय सूत्रों का रह वटवृक्ष सतत् विस्तारित होता रहे यही हार्दिक कामना है। नित नये-नये गीतों का यूँ ही अंकुरण होता रहे जिससे तृषित हृदय तृप्त हो। हार्दिक शुभकामनाएँ एवं आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सैनिक अंतिम साँस तक डटा रहता है यही मेरा प्रयास रहेगा। आपका स्नेह अनमोल है।
      सादर स्नेह

      हटाएं

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