कल्पना न थी तुम
संस्कारों को भूल जाओगे
आधुनिकता के साथ अपने
चलन को भी तिलांजलि दोगे|
आधुनिकता को अपनाने में कोई बुराई नहीं
बुरा है अपने संस्कारों को भुला देना
जो आज हम सभी कर रहे हैं..
खैर, चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...
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दोहे "लोग कर रहे बात" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
समय कुसमय को न देखा
बिना सोचे अनर्गल बोलते रहे
अरे यह क्या हुआ ?
क्या किसी ने न बरजा |
क्या हो समकक्ष सभी के
कोई बड़े छोटे का ख्याल नहीं
उम्र का तनिक भी लिहाज नहीं
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कल मुनिया ने पापा से पूछ ही लिया ,''पापा आप ने क्या पढ़ाई की है ?'' सुनील ने बात टाल दी | उसे लगा अगर मुनिया को डॉक्टर बनाना है तो उसे पढ़ाई करनी ही पड़ेगी | उसने मैट्रिक का फॉर्म भर दिया | मेहनत रंग लाती है | आज मुनिया डॉक्टर है ,सुनील का काम बढ़िया चल रहा है और घर के बाहर बोर्ड लगा है सुनील मिस्त्री ,बी ए ,एल.एल बी !!
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अब
मंदिर तोड़े गए
पुस्तकालय जलाए गए
अधिकारों से वंचित किया गया
मारा गया
कठोरता की सीमाएँ लांघी गयीं
ग़ुलाम बनाया गया, बेचा गया
अब बहुत हुआ, अब और नहीं
अब परिवर्तन अवश्यंभावी है !
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उतरती है चाँदनी धीरे - धीरे, मुंडेरों से
हो कर, झूलते अहातों तक, फिर भी
मिलती नहीं, रूह ए मकां को
तस्कीं, इक रेशमी अंधेरा
सा घिरा रहता है दिल
की गहराइयों तक,
हम खोजते हैं
ख़ुद को---------------------------
मोहतरमा तबस्सुम आज़मी की नज़्म - रहबर
कठिन उर्दू शब्दों से अनभिज्ञ, हम जैसे लोगों के लिए, मैंने कठिन शब्दों का हिंदी भावार्थ कोष्ठक में दे दिया है. इस से नज़्म के प्रवाह में बाधा आती है पर उसे समझने में सुविधा हो जाती है.---------------------एक गज़ल-सब् तेरी झील सी आँखों को ग़ज़ल कहते हैँ
बर्फ़ जब धूप में पिघले तो सजल कहते हैं
सब तेरी झील सी आँखों को ग़ज़ल कहते हैँ
होंठ भी लाल,गुलाबी हैँ,फ़िरोजी, काही
इनको शायर क्या सभी लोग कंवल कहते हैँ
अब और न कुछ कह पाऊंगा, मन की अभिव्यक्ति मौन सही !
आज के संकलन में मेहनत रंग लाई लघुकथा पढ़ कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
वैसे चर्चामंच के संचालक और संपादक जी मुझसे नाराज़ हैं क्या?
सादर धन्यवाद अनिल जी.
हटाएंनमस्कार अनील जी 🙏 कोई नाराज़गी नहीं है, ईमेल के द्वारा आप से जुड़ने पर भी आप का पोस्ट रीडिंग लिस्ट में नजर नहीं आता है इस लिए आप का पोस्ट लाने में असमर्थ हूं इसका मुझे खेद है।इस समस्या का समाधान किजिए 🙏
हटाएंसभी लिंक्स सुंदर और पठनीय।सादर अभिवादन कामिनी जी
जवाब देंहटाएंलघुकथा को स्थान देने हेतु सादर धन्यवाद कामिनी जी!!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! विविधतापूर्ण विषयों पर सुंदर रचनाओं के सूत्रों का संकलन, आभार आज की चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने के लिए, सभी रचनाकारों को बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंआप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन 🙏
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
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