शीर्षक: आदरणीया
डॉ.(सुश्री)शरद सिंह जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
चर्चा मंच की सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं चंद चुनिंदा रचनाएँ-
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
महागौरी का है आराधन,
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नए ट्विस्ट के साथ एक प्राचीन नीति-कथा
‘ऐ पागल नवयुवक ! तू इस तपती दोपहरी में अपने शरीर के केवल मध्य-भाग को केले के पत्तों से ढक कर ये केलारोपण क्यों कर रहा है?’
उस नवयुवक ने जिज्ञासु पथिक के दो पंक्ति के प्रश्न का उत्तर देते हुए अपने खानदान का पिछले ढाई हज़ार साल से भी पुराना इतिहास सुनाना प्रारंभ कर दिया.
नवयुवक ने पथिक को बताया कि उसके 111 वें दादा जी श्री संतोषानंद, भगवान बुद्ध के और पाप नगरी के राजा हवस सिंह के, समकालीन थे.
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हिमाँशु या हिमांशु - इसे अनुस्वार बिना कैसे लिखें हिमान्शु या हिमाम्शु तय नहीं है। सारा दारोमदार निर्भर करता है कि आप शब्द को कैसे उच्चरित करते है। अब यह तो वैयक्तिक समस्या हो गई न कि व्याकरणिक। इसीलिए शायद वर्गेतर वर्ण वाले शब्दों में अनुस्वार को पंचमाक्षर से विस्थापित करने का प्रावधान नहीं है। यदि इसी मान लिया जाए तो हिमांशु के अन्य दोनों रूप ही गलत हैं.*****
" पत्नी वियोग में विक्षिप्त एक पति की व्यथा "
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राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, झूल रहे इठलाई ।
कोई चले घुटने, कोई बकइयाँ, कोई भागि लुकाई ॥
राजा दशरथ चुमकारि बोलावें, तबहूँ न आवें भाई ।
हारि गए राजन जब पकरत, मातु लियो बुलवाई ॥
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वेद भी करते रहे जिसका सदा गुणगान
सत्य,शाश्वत, और सनातन रूप वह अभिराम
राम विनयी और विजयी ,रहे अपराजेय
मन्थराओं का सियासत में नहीं अब काम
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बोरी भर के प्रश्न उठाए, कुली सरीखे आज
संसद के दरवाज़े लाखों चेहरे खड़े उदास।
जलता चूल्हा अधहन मांगे, उदर पुकारे कौर
तंग ज़िन्दगी कहती अकसर-‘तेरा काम खलास!’
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.. कोंचती है अंतर्मना अंतर्मन...
साहिब ! .. सोच रहे होंगे आप भी ..
कर दिया खराब हमने छुट्टी के दिन भी,
आपका दिन, आपका मन, आपका सारा दिनमान।
अब .. हम भी भला अभी से क्यों हों परेशान !?
है ना !? .. हम तो हैं सुरक्षित (?) .. शायद ...
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दौड़ आंचल तेरे जब मैं छुप जाता था
फूल खिल जाते थे कूजते थे बिहग
माथ मेरे फिराती थी तू तेरा कर
लौट आता था सपनों से ए मां मेरी
मिलती जन्नत खुशी तेरी आंखों भरी
दौड़ आंचल तेरे जब मै छुप जाता था
क्या कहूं कितना सारा मै सुख पाता था
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
जी ! सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका अपने मंच पर आज की अपनी अतुल्य प्रस्तुति में मेरी बतकही को भी अवसर देने के लिए ...
जवाब देंहटाएंवैविध्यतापूर्ण रचनाओं से सज्जित बहुत सुंदर, रोचक अंक ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार और अभिनंदन आदरणीय ।
सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा...
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार,
आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
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