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सोमवार, अक्तूबर 15, 2012

आईने पर कुछ तरस तो खाइए! : सोमवारीय चर्चामंच-1033

दोस्तों! चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का नमस्कार! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
 लिंक 1- 
हवस -डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
उच्चारण
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लिंक 2-
भ्रष्टाचार की बैसाखियाँ -वीरेन्द्र शर्मा ‘वीरू भाई’
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लिंक 3-
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लिंक 4-
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लिंक 5-
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लिंक 6-
अंधेर नगरी चौपट राजा -प्रेम सागर सिंह
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लिंक 7-
मेरा फोटो
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लिंक 8-
अंडे का फंडा -कमल कुमार सिंह ‘नारद’
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लिंक 9-
prince and suf under the tree_ajmer dargah
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लिंक 10-
यादों की नदी -बबन पाण्डेय
मेरा फोटो
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लिंक 11-
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लिंक 12-
किताब और किनारे -साधना वैद
मेरा फोटो
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लिंक 13-
ज्योतिष यानि मीठा जहर -महेन्द्र श्रीवास्तव
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लिंक 14-
बस इतना जानूँ -रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु’
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लिंक 15-
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लिंक 16-
साथ -आशा सक्सेना
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लिंक 17-
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लिंक 18-
विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेय
मेरा फोटो
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लिंक 19-
बालों का रंग -सुनील दीपक
Sunil, Nadia & Marco Tushar
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लिंक 20-
ठहरा हुआ शबाब जरा देखता तो चल -डॉ. आशुतोष मिश्र ‘आशू’
My Photo
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लिंक 21-
सुर-क्षेत्र में "सुर" गया तेल लेने -महेन्द्र श्रीवास्तव

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और अन्त में
लिंक 21-
ग़ाफ़िल की अमानत
________________
आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!

60 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया लिंक्स के साथ बढ़िया चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  2. कई रंगों की लिंक्स से सजा है आज का चर्चामंच |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. राजनीति अब, कलह और घात जैसी हो गयी।
    अब हबस शैतानियत की, आँत जैसी हो गयी।।
    पहिये वाली कुर्सी तक खाने और खाके गुर्राने की हवस से जुड़ी आज के सन्दर्भ की रचना वाड्रागेट की रचना .बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. तेरे ही अश्रु बहते थे
    उड़ गए वो तुझे छोड़ कर
    अपनी धुन पर अड़े अड़े
    क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े ?

    हाँ यही रीत है जीवन की -पक्षी बड़े होते हैं उड़ जाते हैं ,चिड़िया चिरोंटा मस्त रहते हैं फिर भी ,होमोसेपियंस फिर क्यों पस्त रहतें हैं

    दाना चुगना उड़ जाना ,है कितना राग पुराना

    और यह भी पत्ता टूटा डार (डाल )से ,ले गई पवन उड़ाय ,अब के बिछुड़े कब मिलें ,दूर पड़ेंगे जाय .

    विमोह कैसा जो चला गया उसे भूल जा

    कृपया क्यों/क्योंकि शब्द का इस्तेमाल करें .शुक्रिया और बधाई इस खूबसूरत रचना से ,दिन का आगाज़ हुआ है यहाँ कैंटन में प्रात :है अभी .

    जवाब देंहटाएं
  5. रूख़ को झटके से नहीं यूँ मोड़िए!
    आईने पर कुछ तरस तो खाइए!

    हुस्न है बा-लुत्फ़ जो पर्दे में हो,
    आईने से भी कभी शर्माइए!

    आइये आजाइए आजाइए ,

    यूं न रह रहके हमें तरसाइए .

    छोड़िये सरकार को उसके रहम ,

    अब न रह रह तरस उसपे खाइए .

    क्या बात है गाफ़िल साहब कहतें हैं सब्र का फल मीठा होता है आते आप देर से हैं लेकिन सज संवर के आतें हैं ,बढ़िया अश आर लातें हैं .

    जवाब देंहटाएं
  6. "मुझे नहीं पता कि ये पाकिस्तानी कैप्टन आतिफ अपने मुल्क का कितना बड़ा कलाकार है, गायक है, अभिनेता है, मैं तो इसी सुर क्षेत्र के मंच पर इन्हें देख रहा हूं। हैरानी तब होती जब ये आशा भोसले के जजमेंट पर उंगली उठाता है और उसका लहजा भी सड़क छाप लफंगे जैसा होता है"

    आलोचना का लहज़ा तो ज़नाबे आला आपका भी माशा आला ही है .कैसी भाषा लिख रहें हैं आप और रही बात ज़जों में मत विभाजन की मत वैभिन्न्य की तो ज़नाब यह संगीत है यहाँ सब मिलके किसी नेता की जय बोलने नहीं आये हैं .

    "आपको पता है कि आशा ताई तब से फिल्मों में और देश विदेश में गा रही हैं, जब आतिफ पैदा भी नहीं हुआ होगा। आतिफ की उम्र 40- 45 साल के करीब है और आशा ताई को गाना गाते हुए 40- 45 साल हो गए। इसके बाद भी आतिफ का व्यवहार आपत्तिजनक है।"

    महेंद्र भाई ज़बान संभाल के आप क़ानून मंत्री की भाषा बोल रहें हैं .

    " अब देखिए गायक मंच पर आते हैं तो अपने अपने देश के स्टैड से माइक उठाते हैं, माइक भी वो एक जगह से नहीं लेते हैं। सुरक्षेत्र के माइक से आग निकलता रहता है, इसका मतलब तो मुझे आज तक समझ में नहीं आया।"

    हाँ भाई साहब बड़े बड़े गवैये अपने माइक साथ लाते हैं पूरा साउंड सिस्टम भी साजिन्दे भी .स्टैंड शब्द कृपया शुद्ध कर लें .आभार .

    _______________
    लिंक 21-
    सुर-क्षेत्र में "सुर" गया तेल लेने -महेन्द्र श्रीवास्तव

    जवाब देंहटाएं
  7. "मुझे नहीं पता कि ये पाकिस्तानी कैप्टन आतिफ अपने मुल्क का कितना बड़ा कलाकार है, गायक है, अभिनेता है, मैं तो इसी सुर क्षेत्र के मंच पर इन्हें देख रहा हूं। हैरानी तब होती जब ये आशा भोसले के जजमेंट पर उंगली उठाता है और उसका लहजा भी सड़क छाप लफंगे जैसा होता है"

    आलोचना का लहज़ा तो ज़नाबे आला आपका भी माशा अल्लाह ही है .क़ानून मंत्री जी की तरह तैश में क्यों आ जातें हैं आप .कैसी भाषा लिख रहें हैं आप और रही बात ज़जों में मत विभाजन की मत वैभिन्न्य की तो ज़नाब यह संगीत है यहाँ सब मिलके किसी नेता की जय बोलने नहीं आये हैं .

    "आपको पता है कि आशा ताई तब से फिल्मों में और देश विदेश में गा रही हैं, जब आतिफ पैदा भी नहीं हुआ होगा। आतिफ की उम्र 40- 45 साल के करीब है और आशा ताई को गाना गाते हुए 40- 45 साल हो गए। इसके बाद भी आतिफ का व्यवहार आपत्तिजनक है।"

    महेंद्र भाई ज़बान संभाल के आप क़ानून मंत्री की भाषा बोल रहें हैं .

    " अब देखिए गायक मंच पर आते हैं तो अपने अपने देश के स्टैड से माइक उठाते हैं, माइक भी वो एक जगह से नहीं लेते हैं। सुरक्षेत्र के माइक से आग निकलता रहता है, इसका मतलब तो मुझे आज तक समझ में नहीं आया।"

    हाँ भाई साहब बड़े बड़े गवैये अपने माइक साथ लाते हैं पूरा साउंड सिस्टम भी साजिन्दे भी .स्टैंड शब्द कृपया शुद्ध कर लें .आभार .

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत खूब !मर्बेहवा .क्या अशआर लाया है ,मेरा दोस्त हुश्न की पूरी किताब लाया है .

    Thursday, 4 October 2012
    ठहरा हुआ शबाब जरा देखता तो चल
    ठहरा हुआ शबाब जरा देखता तो चल
    दीवाने इक गुलाब जरा देखता तो चल

    तेरे तमाम गुल वो हिफाज़त से रखे हैं
    उसकी कोई किताब जरा देखता तो चल

    जवाब देंहटाएं
  9. सुनील दीपक जी धवल हिमालय लिए सर पे चलना अर्जित सुख है जीवन के अनुभवों का .बाल धुप में सफ़ेद नहीं होते हैं सफेदी अनुभव की होती है जो व्यक्तित्व को एक विशेष गरिमा प्रदान करती है .बढ़िया संस्मरण परक रचना है आपकी .

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर लिंक्स के साथ बढ़िया चर्चा | आभार |

    जवाब देंहटाएं
  11. कवि मन के भावों को प्रकृति के उपादानों पे थोप देता है उदास खुद होता है कहता है शाम बहुत उदास थी किसी के खो जाने की पीड़ा मुखरित है इस रचना में .प्रतिबिंबित है पग पग में .आपके ब्लॉग से मेरी टिपण्णी सदैव ही स्पैम बोक्स में चली जाती है मैं नियमित टिपण्णी कर रहा हूँ .
    सपना सा आकर खोया अपनापन इससे मीठी व्यथा नहीं

    प्रिय! सह सकता था मैं, यह सब प्रतीक्षा के होने पर.
    लिंक 18-
    विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेय

    जवाब देंहटाएं
  12. "मुझे नहीं पता कि ये पाकिस्तानी कैप्टन आतिफ अपने मुल्क का कितना बड़ा कलाकार है, गायक है, अभिनेता है, मैं तो इसी सुर क्षेत्र के मंच पर इन्हें देख रहा हूं। हैरानी तब होती जब ये आशा भोसले के जजमेंट पर उंगली उठाता है और उसका लहजा भी सड़क छाप लफंगे जैसा होता है"

    आलोचना का लहज़ा तो ज़नाबे आला आपका भी माशा अल्लाह ही है .क़ानून मंत्री जी की तरह तैश में क्यों आ जातें हैं आप .कैसी भाषा लिख रहें हैं आप और रही बात ज़जों में मत विभाजन की मत वैभिन्न्य की तो ज़नाब यह संगीत है यहाँ सब मिलके किसी नेता की जय बोलने नहीं आये हैं .

    "आपको पता है कि आशा ताई तब से फिल्मों में और देश विदेश में गा रही हैं, जब आतिफ पैदा भी नहीं हुआ होगा। आतिफ की उम्र 40- 45 साल के करीब है और आशा ताई को गाना गाते हुए 40- 45 साल हो गए। इसके बाद भी आतिफ का व्यवहार आपत्तिजनक है।"

    महेंद्र भाई ज़बान संभाल के आप क़ानून मंत्री की भाषा बोल रहें हैं .

    " अब देखिए गायक मंच पर आते हैं तो अपने अपने देश के स्टैड से माइक उठाते हैं, माइक भी वो एक जगह से नहीं लेते हैं। सुरक्षेत्र के माइक से आग निकलता रहता है, इसका मतलब तो मुझे आज तक समझ में नहीं आया।"

    हाँ भाई साहब बड़े बड़े गवैये अपने माइक साथ लाते हैं पूरा साउंड सिस्टम भी साजिन्दे भी .स्टैंड शब्द कृपया शुद्ध कर लें .आभार .

    _______________
    लिंक 21-
    सुर-क्षेत्र में "सुर" गया तेल लेने -महेन्द्र श्रीवास्तव

    जवाब देंहटाएं
  13. अन्दाजे गाफिल की बात कुछ और है बहुत सुंदर चर्चा !
    और साथ में बुधवार की चर्चा के लिए चर्चा मंच के
    नये चर्चाकार इंजी.प्रदीप कुमार साहनी स्वागत!

    जवाब देंहटाएं

  14. शब्द वांण विष से बुझे ,करते गहरे घाव |..........बाण ....
    वो ही करता सामना ,जिसका होवे ठांव ||

    हुआ मनाना रूठना ,बीते कल की बात |
    धन न हुआ तो क्या हुआ ,है अनुभव का साथ ||

    बढ़िया दोहावली है .सकारात्मक ऊर्जा और भाव लिए उत्साह के साथ दोहावली आगे बढती है .बधाई .
    _______________
    लिंक 16-
    साथ -आशा सक्सेना

    जवाब देंहटाएं
  15. गाफिल जी .
    .चर्चा मंच में स्थान देने के लिए धन्यवाद व आभार..

    जवाब देंहटाएं
  16. चन्द्र भूषण जी, इस सराहना के लिए बहुत धन्यवाद :)

    जवाब देंहटाएं
  17. महेंद्र भाई .एक है ग्रहों की आकाशीय स्थिति उनकी गति का प्रेक्षण और अध्ययन यह खगोल विज्ञान है , एक प्रेक्षण आधारित विज्ञान हैं .दूसरा है इसका भविष्य कथन या प्रागुक्ति अंग ,predictional part .,पूर्वानुमान सम्बन्धी .ग्रहों के स्थिति के आधार पर प्रागुक्ति फलित ज्योतिष के तहत की जाती है .यह ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान इसलिए नहीं है इसकी कोई स्वीकृत मानक पद्धति नहीं है कोई भविष्य कथन गणनाएं नौ ग्रहों को आधार मानके कर रहा है कोई बारह को .जबकि यम यानी प्लुटो से अब ग्रह का दर्जा छीना जा चुका है .यह एक लघु ग्रह है ,प्लेंने - टोइड है ,आकार में चन्द्रमा से भी छोटा है .ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन को आगे बढाया जाए ,एक सर्व स्वीकृत पद्धति भविष्य कथन सम्बन्धी गणनाओं की विकसित की जाए .जब तक ऐसा नहीं होता तब तक -

    what quackery is to medicine so is astrology to astronomy .Astronomy is an observational science and its predictional part is called astrology .

    नीम हकीमी ही कही जायेगी फलित ज्योतिष .
    एक प्रतिक्रिया -लिंक 13-
    ज्योतिष यानि मीठा जहर -महेन्द्र श्रीवास्तव

    पर ------.वीरू भाई

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  18. भ्रष्टाचार की बैसाखियाँ
    Virendra Kumar Sharma
    ram ram bhai
    एन जी ओ बनवाय के, दे देते घर काम ।
    है आराम हराम जब, मिलें काम के दाम ।
    मिलें काम के दाम, बड़ों की बीबी काबिल ।
    ढेरों दान डकार, होंय घपलों में शामिल ।
    कारोबारी बड़े, जुटे हैं मंत्री अफसर ।
    हकमारी कर तान, रहे ये सीना रविकर ।।

    जवाब देंहटाएं
  19. ज्योतिष यानि मीठा जहर ...
    महेन्द्र श्रीवास्तव
    आधा सच...
    समय बिताने के लिए, करते लोग बेगार ।
    गप्पे मारें चौक पर, करें व्यर्थ तकरार ।
    करें व्यर्थ तकरार, समय का चक्कर चलता ।
    बुझती बौद्धिक प्यास, हमें बिलकुल ना खलता ।
    जिज्ञासा गर शांत, मारना फिर क्या ताने ।
    बातें लच्छेदार, चलो कुछ समय बिताने । ।

    जवाब देंहटाएं
  20. बढिया चर्चा, अच्छे लिंक्स
    बहुत बहुत शुभकामनाएं...

    ......................................

    हां मैने आतिफ के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, वो गल्ती से नहीं किया है, जानबूझ कर किया है। लगता है कि वो हमारे मित्र के करीबी है, लिहाजा प्लीज उन्हें ये मैसेज जरूर पहुंचा दें।
    ये जनाब उस समय ताली बजाते हैं जब पाकिस्तानी गायक जिसकी आशा ताई के सामने कोई हैसियत नहीं है, वो उन पर गंदे तरीके से इल्जाम लगाता है और कहता है कि आशा ताई में ईमानदारी नहीं है।
    अगर आपकी सोच भी आतिफ से मिलती है, तो आतिफ के साथ आप खुद का नाम भी शामिल कर लीजिए, समझ लीजिए की जो बात मैं उसके लिए कह रहा हूं वो आपके लिए भी है।

    वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।

    जवाब देंहटाएं
  21. सुन्दर चर्चा पठनीय लिंक्स से भरपूर मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत बढ़िया लिंक्स..
    सार्थक चर्चा प्रस्तुति ..
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  23. गाफिल जी
    .....चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आभार..!!!

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत सुन्दर सजा है आज का मंच गाफिल जी ! मेरी रचना को इसमें स्थान देने के लिये आपका धन्यवाद एवँ आभार !

    जवाब देंहटाएं
  25. क्या बात है चर्चा मंच की.मुझे तो सुचना ही नही दी.और एक ब्लॉग सबका की प्रस्तुती यहाँ लिंक भी है.अचानक यहाँ पोस्ट का लिंक देख कर दिल ख़ुशी से झूम उठा.गाफिल जी का आभार.लेकिन कम से कम बता देते तो बेहतर था.वर्ना मुझे तो पता ही नही चलता.मै तो इत्तिफाक से यहाँ आ गया.


    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    जवाब देंहटाएं
  26. बढ़िया , सुन्दर लिंक्स, हमेशा की तरह ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  27. . उसकी फटी जेब में
    जो एक टुकड़ा सुख चमक रहा है
    वह उसका संविधान है
    इसे वह जिसको भी दिखाता है
    वही अपने को ,
    इससे उपर बताता है ।।।।।।।।।।।।।इससे "ऊपर" बताता है .....

    बढ़िया रचना पढवाई आपने संजय जी .आभार .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी

    जवाब देंहटाएं
  28. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    हौसला है तो बेटे जी तो प्रकाशित करो उन टिप्पणियों को और "गलती" लिखो "गल्ती" नहीं .पत्रकारिता में भाषा और वर्तनी दोनों की शुचिता ज़रूरी है .गणेश शंकर विद्यार्थी की भाषा

    लिखो ,दूर तक जाना है आपको पत्रकारिता में .हमेशा आधा

    झूठ बोलके चले जाते हो जो पूरे झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है .


    संगीत और पत्रकारिता दोनों में बे -ताला नहीं चलता है .ताल और सुर दोनों में संयत सधा हुआ रहना चाहिए .पब्लिक के सामने आना पड़ता है जो आपने लिख दिया वह ब्लॉग की

    संपत्ति बन जाता है .सनद रहती है आपके लिखे की .

    इति !जुग जुग जियो, मेरे लाल !.





    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .

    लिंक 21-
    सुर-क्षेत्र में "सुर" गया तेल लेने -महेन्द्र श्रीवास्तव


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  29. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .


    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .

    जवाब देंहटाएं
  30. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .



    ram ram bhai
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    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी

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  31. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

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  32. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

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  33. कमल कुमार नारद जी बहुत सशक्त व्यंग्य -विज्ञान कलाएं हैं ,रूपक भी ,तंज भी .बधाई .

    लिंक 8-
    अंडे का फंडा -कमल कुमार सिंह ‘नारद’

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  34. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .



    ram ram bhai
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    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .

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  35. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

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  36. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .



    ram ram bhai
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    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .

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  37. बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !






    कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है
    मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..
    सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...
    इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .

    जवाब देंहटाएं
  38. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

    जवाब देंहटाएं
  39. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .

    जवाब देंहटाएं
  40. हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
    आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी
    समाज में घूमते हुए खुले जंतु से
    वार करते अपनी वासना पूंछ से
    क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो
    सामूहिक इनके ही परिवार के सामने
    क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं
    ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
    और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
    रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
    ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
    बिना किसी बंदिश बिना कोई डर



    एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .
    ram ram bhai
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    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    लिंक 15-
    महक सकें कलियाँ समाज में -ज्योति

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  41. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .



    बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !



    हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
    आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी
    समाज में घूमते हुए खुले जंतु से
    वार करते अपनी वासना पूंछ से
    क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो
    सामूहिक इनके ही परिवार के सामने
    क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं
    ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
    और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
    रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
    ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
    बिना किसी बंदिश बिना कोई डर



    एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .







    कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है
    मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..
    सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...
    इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..
    ram ram bhai
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  42. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .



    बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !



    हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
    आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी
    समाज में घूमते हुए खुले जंतु से
    वार करते अपनी वासना पूंछ से
    क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो
    सामूहिक इनके ही परिवार के सामने
    क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं
    ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
    और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
    रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
    ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
    बिना किसी बंदिश बिना कोई डर



    एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .







    कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है
    मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..
    सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...
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  43. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .



    बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !



    हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
    आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी
    समाज में घूमते हुए खुले जंतु से
    वार करते अपनी वासना पूंछ से
    क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो
    सामूहिक इनके ही परिवार के सामने
    क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं
    ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
    और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
    रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
    ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
    बिना किसी बंदिश बिना कोई डर



    एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .







    कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है
    मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..
    सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...
    इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..
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    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी

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  44. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .



    बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !



    हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
    आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी
    समाज में घूमते हुए खुले जंतु से
    वार करते अपनी वासना पूंछ से
    क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो
    सामूहिक इनके ही परिवार के सामने
    क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं
    ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
    और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
    रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
    ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
    बिना किसी बंदिश बिना कोई डर



    एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .







    कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है
    मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..
    सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...
    इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..

    तुझे माँ कहूँ
    या कहूँ वसुन्धरा
    अतल सिन्धु
    कल- कल सरिता
    भोर- किरन

    या मधुर कल्पना
    बिछुड़ा मीत
    या जीवन -संगीत
    मुझे न पता,
    बस इतना जानूँ-
    तुझसे जुड़ा
    जन्मों का मेरा नाता
    आदि सृष्टि से
    अब के पल तक
    बसी प्राणों में

    धड़कन बनके
    पूजा की ज्योति
    तू आलोकित मन
    तू है मेरी अनुजा ।
    -0-

    सारा संसार सारी सृष्टि ,प्रेम संसिक्त है ,जहां भावना वहां प्रेम पूजा ,निष्ठा आराधन .
    ram ram bhai
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    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .

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  45. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

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  46. सूफी मत की सुन्दर लड़ी .आभार .

    लिंक 9-
    सूफ़ीमत के इतिहास में चिश्तिया सिलसिले का योगदान -मनोज कुमार

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  47. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .



    बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !



    हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
    आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी
    समाज में घूमते हुए खुले जंतु से
    वार करते अपनी वासना पूंछ से
    क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो
    सामूहिक इनके ही परिवार के सामने
    क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं
    ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
    और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
    रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
    ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
    बिना किसी बंदिश बिना कोई डर



    एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .







    कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है
    मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..
    सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...
    इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..

    तुझे माँ कहूँ
    या कहूँ वसुन्धरा
    अतल सिन्धु
    कल- कल सरिता
    भोर- किरन

    या मधुर कल्पना
    बिछुड़ा मीत
    या जीवन -संगीत
    मुझे न पता,
    बस इतना जानूँ-
    तुझसे जुड़ा
    जन्मों का मेरा नाता
    आदि सृष्टि से
    अब के पल तक
    बसी प्राणों में

    धड़कन बनके
    पूजा की ज्योति
    तू आलोकित मन
    तू है मेरी अनुजा ।
    -0-

    सारा संसार सारी सृष्टि ,प्रेम संसिक्त है ,जहां भावना वहां प्रेम पूजा ,निष्ठा आराधन .
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    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी

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  48. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

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  49. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

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  50. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

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  51. महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
    पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
    अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
    हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
    मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की



    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .

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  52. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .

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  53. बहुत सुन्दर चर्चा!
    नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    कल बाहर गया था इसलिए किसी भी मित्र के ब्लॉग पर जाना नहीं हुआ!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  54. भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका हूँ 15 अक्टूबर के चर्चा मंच पर भी .कमाल है दोनों जगहसे टिपण्णी गायब है .

    आपने मच्छर की शैतानियों और मच्छर भागाओं उपायों के खिलाफ मच्छर द्वारा प्रतिरोध खड़े करने की तरकीबों पे बहुत व्यंजनात्मक शैली में प्रकाश डाला है .ये तमाम उपाय हमारी हवा को भी गंधाते हैं

    श्वशन तंत्र को भी .बेहतरीन विज्ञान सम्प्रेषण पद्धति आपने ईजाद की है एक दम से आपकी मौलिक और अनुकरणीय .बधाई .

    _______________
    लिंक 18-
    विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेय

    जवाब देंहटाएं
  55. भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका हूँ 15 अक्टूबर के चर्चा मंच पर भी .कमाल है दोनों जगहसे टिपण्णी गायब है .

    आपने मच्छर की शैतानियों और मच्छर भागाओं उपायों के खिलाफ मच्छर द्वारा प्रतिरोध खड़े करने की तरकीबों पे बहुत व्यंजनात्मक शैली में प्रकाश डाला है .ये तमाम उपाय हमारी हवा को भी गंधाते हैं

    श्वशन तंत्र को भी .बेहतरीन विज्ञान सम्प्रेषण पद्धति आपने ईजाद की है एक दम से आपकी मौलिक और अनुकरणीय .बधाई .

    _______________
    लिंक 18-
    विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेय

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  56. भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका हूँ 15 अक्टूबर के चर्चा मंच पर भी .कमाल है दोनों जगहसे टिपण्णी गायब है .

    आपने मच्छर की शैतानियों और मच्छर भागाओं उपायों के खिलाफ मच्छर द्वारा प्रतिरोध खड़े करने की तरकीबों पे बहुत व्यंजनात्मक शैली में प्रकाश डाला है .ये तमाम उपाय हमारी हवा को भी गंधाते हैं

    श्वशन तंत्र को भी .बेहतरीन विज्ञान सम्प्रेषण पद्धति आपने ईजाद की है एक दम से आपकी मौलिक और अनुकरणीय .बधाई .

    _______________
    लिंक 18-
    विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेय

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  57. आदरणीय भाई साहब !


    भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका हूँ 15 अक्टूबर के चर्चा मंच पर भी .कमाल है दोनों जगहसे टिपण्णी गायब है .

    आपने मच्छर की शैतानियों और मच्छर भगाओ उपायों के खिलाफ मच्छर द्वारा प्रतिरोध खड़े करने की तरकीबों पे बहुत व्यंजनात्मक शैली में प्रकाश

    डाला है .ये तमाम उपाय हमारी हवा को भी गंधाते हैं

    श्वशन तंत्र को भी .बेहतरीन विज्ञान सम्प्रेषण पद्धति आपने ईजाद की है एक दम से आपकी मौलिक और अनुकरणीय .बधाई .

    _______________
    लिंक 18-
    विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेय

    यकीन मानिए इस टिपण्णी को कमसे कम दस मर्तबा आपके ब्लॉग पे प्रसारित कर चुका हूँ .टिपण्णी हर बार स्पैम में चली जातीं हैं फिर फिर लौट लौट चेक कर रहा हूँ .कृपया इस समस्या का निदान करें .आपकी टिपण्णी हमारे लेखन की आंच को सुलागाए रहेगी यकीन दिलातें हैं आपको .

    आदाब .

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