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सोमवार, फ़रवरी 01, 2010

“चर्चा में चर्चा…..!” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-48

चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"

आइए आज के
"चर्चा मंच" को सजाते हैं-

आज से अपन ने भी चर्चा का खर्चा उठाना शुरू कर दिया
प्यारे मित्रो !चूँकि अभी तक मेरा चिट्ठाचर्चा वाला ब्लॉग ब्लोगवाणी परदिखना शुरू नहीं हुआ है इसलिए आपको सूचना देने हेतु ये पोस्टयहाँ टिकाई है कि आज से अपन ने भी चर्चा का खर्चा उठाना शुरूकर दिया है । अगर आपके पास थोड़ा समय हो, तो एक बारयहाँ भी झांक लीजियेगा

(आप ब्लॉगवाणी में ध्रुव-तारे की तरह दमक रहे हैं!)

तेताला पर आज पहली बार लेकर आये हैं चिट्ठा चर्चा मिथिलेश दुबे

सभी ब्लोगर जन मेरा यानी मिथिलेश दुबे का प्रणाम स्वीकार करें , अविनाश वाचस्पति जी के स्नेह स्वरुप आज पहली बार तेताला पर हाजिर हूँ लेकर चिट्ठाचर्चा , भूल चूक माफ के साथ मार्गदर्शन भी अवश्य करें ,तो
देखते है मेरी नजर से कुछ बढिया चिट्ठे----------


गजरौला टाईम्स में 'देशनामा'
23 जनवरी 2010 को उत्तरप्रदेश से साप्ताहिक गजरौला टाईम्स में, छिछोरेपन का न्यूटन ला बताती, देशनामा की पोस्ट……

स म य च क्र

बैंगन के डँठल में चिकन का स्वाद-"चिट्ठी चर्चा" (ललित शर्मा)
समय का चक्र अनवरत चल रहा है और हम ही कुछ दिनों से समय चक्र के साथ नहीं चल पा रहे हैं. कहीं उलझने हैं, कहीं पर सूत उलझ जाता है. उसको सुलझाने के चक्कर में समय चक्र आगे निकल जाता है और हम पीछे रह जाते हैं. लेकिन फिर पुन: उसी उर्जा के साथ समय के साथ चलने का संकल्प कर गति पकड़ते हैं. गति तो होना ही है, अच्छे कर्म होंगें तब भी और बुरे कर्म होंगे तो भी. गति दोनों में हैं. अंतर इतना ही है एक की सद्गति होती है दुसरे की दुर्गति, अब यह तो अपने हाथ में ही है कि कौन से गति चाहिए? ब्लाग नगरिया में रेल ही दौड़ाते है दो पटरियों पर,चलती को गाड़ी कहे, कहे दूध को खोया, नारंगी को रंगी कहे, देख कबीरा रोया. अब मै ललित शर्मा चलता हूँ आज की चिट्ठी चर्चा पर समय रथ भी तैयार है सवार भी तैयार है और सारथी भी तैयार है...................
मेरी खुराक और चिठ्ठा चर्चा
दोपहर से तबियत कुछ ठीक नहीं थी.. ये तीसरी बार था जब चर्चा अधूरी छोड़ दी.. शाम होते होते हालत कुछ ज्यादा ख़राब लगी.. तो सोचा खुराक ले ही ली जाए.. रात नौ बाजे वाले शो में ‘इश्किया’ देख ली..
कल का दिन ठीक ठाक गुज़रा.. पर आज सुबह जब तेज जुकाम और खांसी के मारे नींद नहीं आ रही थी तो सोचा फिर से खुराक लेनी पड़ेगी.. सुबह सुबह लैपटॉप पर फिल्म गुलाल का अंतिम सीन देखा और फिर कुछ ऐसे ब्लोग्स के लिंक्स खोले कि जिन्हें मैं अपनी खुराक कहता हु..
युवा प्रखर-मुखर मिथलेश दुबे- चिट्ठाकार-चर्चा (ललित शर्मा)
नवयुवाओं के विषय में बुजुर्ग लोग हमेशा सोचते हैं कि इनकी बुद्धि अभी परिपक्व नहीं हुयी है. ज्यादा दूर की नहीं सोच सकते. बिना सोचे समझे उल्टा-सीधा करते रहते हैं. जब भी मौका मिलता है तो उनको फटकार दिया जाता है.हमारे साथ भी यही होता था. हम भी जब कभी बुजुर्गों की महफ़िल में बोल उठते थे तो हमें कहा जाता था अरे! ये बात तुम्हारी समझ में आने की नहीं है. बड़ों के बीच में नहीं बोलना चाहिए. नव युवा भी इस समाज को अपने नजरिये से देखते हैं. उनकी व्यक्तिगत सोच होती है चितन होता है. किसी भी काम को तत्परता से करते है और घनात्मक सोच भी रखते हैं. जिसकी सोच परिपक्व होती है और सही दिशा में सोचता है उसे अबाल वृद्ध कहा गया है. अब मै ललित शर्मा ले चलता हूँ आपको आज की चिट्ठाकार-चर्चा पर …
हमारी चर्चा में शामिल आज के नव युवा चिट्ठाकार हैं मिथलेश दुबे जी. इनका अपनी बात कहने का अंदाज ही निराला है. कभी-कभी बहुत ही विचारोत्तेजक विषय चुनते है तथा उस पर सीधा हमला ही बोलते हैं ठांय-ठांय और कभी घर गृहस्थी की सोच मेंपड़ जाते हैं तो जलेबी समोसे को भी लपेटे में ले लेते हैं. इनकी मिसाईल चौतरफा वार करते है. जो इसकी जद में आ गया उसका तो कल्याण ही हो जाता है. इनका ब्लाग दुबे है तथातेताला, लख़नऊ ब्लॉगर एसोसिएशन,हिन्दी साहित्य मंच पर भी इनकी उपस्थिती
……
चर्चा हिन्दी चिट्ठो की !!!

भाई ! गाँधी की हत्या कितनी बार करोगे ?(चर्चा हिन्दी चिट्ठों की) - नमस्कार , पंकज मिश्रा आपके साथ ! आपके चिट्ठों की चर्चा लेकर .आपके समक्ष
मै अपने आप को रखता हु तो बहुत खुशी होती है..आप सब अपना प्यार ऐसे ही देते रहे तो
चढते हैं मोटकार, कभी सायकल भी चढा कीजीए, अरे कभी कभी तो अलानी फ़लानी चर्चा भी पढा कीजीए
चलिए भाई , माना कि अपना कोई ब्रांड नहीं है , माना कि अपना दर्ज़ा भी शायद दोयम-तीयम या पता नहीं कौन कौन सा यम है , मगर अब जो है सो तो है ही , उसे जैसे का तैसा आपके सामने धर रहे हैं । झेलिए ......और हां ये हमने अपने आनंद के लिए नहीं समेटी, आपको भी आनंद आए तो श्रम सफ़ल हो ........
दुनिया की हर भाषा के किसी भी चिट्ठाकार के लिये इस चिट्ठे के दरवाजे खुले हैं जो दूसरे की इज्जत करना जानते हैं. इस चिठ्ठे पर दूसरों की इज्जत खराब करने और गाली देने वाले चर्चाकारों को कतई इजाजत नही होगी, जैसी की दूसरी जगह कुछ चर्चाकार यही करते हैं…….
चिठ्ठाचर्चा डोमेन डकैतों द्वारा लूटा गया? : चच्चा टिप्पू सिंह
चच्चा को tippukidak@gmail.com पर मेल कर सकते हैं!
हां त बच्चा लोग…हम आगया हुं. अबहीं हमरे लौटने का कोनू विचार नाही था पर का करें? बहुते लोग हमको इमेल करके लिखे रहे कि चच्चा जबसे आप गये हो इहां का माहोल बहुते जियादा बिगड गया है। तो का करुं? हम आपको टिप टिप करने और हाल चाल लेने चला आया हूं।………….

कुश की चिठ्ठाचर्चा : क्या यही नैतिकता है?

आज फालोअप टिप्पनी में यह टिप्पनी प्राप्त हुई जो चिठ्ठाचर्चा पर कही नजर नही आती है| मुझे इसे न छापने का कोई कारण समझ नहीं आ रहा है| क्या नैतिकता और सौहार्द की दुहाई देने वाला चिठ्ठाचर्चा मन्च अपनी तानाशाही नहीं देख पाता?........
अब देखिए कुछ ताजा कार्टून-

© Copyright_manoj sharma


दो कार्टून :ख़बरदार ज्यादा खाया तो ......

कार्टून : ....संघ के भरोसे



बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish bhatt
JHAROKHA jindgi ka


देखें कार्टून:-- आस्ट्रेलिया असुरक्षित ...





कहिए कैसी रही,
चर्चाकारों की चर्चा?
कल फिर मिलेंगे!
धन्यवाद!

12 टिप्‍पणियां:

  1. वाह शास्त्री जी आपने तो कमाल कर दिया
    सारी चर्चाओं की चर्चा करके धमाल कर दिया।

    जोरदार पोस्ट। बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. चर्चाओं का सुंदर संग्रह आपकी यह बेहतरीन चिट्ठा चर्चा...बधाई शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  3. चर्चाओं की चर्चा
    कार्टूनों की चर्चा
    इतना बढि़या पर्चा
    सब देना चाहेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  4. अब और क्या कहा जा सकता है?
    शास्त्री जी द्वारा की गई चर्चा होती ही है -
    कुछ अलग हट कर!

    --
    नवसुर में कोयल गाता है -"मीठा-मीठा-मीठा! "
    --
    संपादक : सरस पायस

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  5. वाह्! शास्त्री जी....ये भी खूब रही..
    चर्चा में चर्चा!!!
    बहुत बढिया!

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  6. अरे वाह आपने तो सभी को एक साथ पिरो दिया ।

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  7. बेहतरीन संयोजन ! आभार चर्चा के लिये !

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  8. kamaal kar diya shastriji !

    charcha hi charcha

    lamisaal kam hai aapka

    mujhe shaamil karne ke liye khaas shukriya

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