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मंगलवार, फ़रवरी 02, 2010

“मीठा-मीठा-मीठा…..” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-49


चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"

आइए आज के
"चर्चा मंच" को सजाते हैं-

आज फिर आपने पुराने रंग में आकर

ढेर सारे चिट्ठों को आप तक पहुँचा रहा हूँ-

सरस पायस

रावेंद्रकुमार रवि का एक शिशुगीत : मीठा-मीठा-मीठा - मीठा-मीठा-मीठा -- -- बकरी का बच्चा, बच्चे की मम्मी, मम्मी का दुद्-धू, मीठा-मीठा-मीठा, बच्चा दुम उठा के पीता! -- रावेंद्रकुमार रवि

अंतर्मंथन

दिल्ली का पुराना किला ---कितना पुराना , कितना नया --- - दिल्ली का पुराना किला , प्रगति मैदान और दिल्ली चिड़ियाघर के बीच मथुरा रोड पर बना है। इसे पांडवों का किला भी कहते हैं। दिल्ली के विभिन्न नामों में से एक इन्द..


Rhythm of words...

विजेता ! - थोडा सा तू यकीं रख थोडा सा एतबार कर तुझे जिंदगी से हो न हो मगर तू खुद से प्यार कर ॥ वक़्त ने चाहे कितने भी हो अँधेरे किये उम्मीद दिल में जलाये है रोशनी के क..

नन्हा मन

‘‘मेरा कुत्ता बड़ा निराला’’ - ल*म्बे-लम्बे **कानों वाला।* मेरा कुत्ता बड़ा निराला।। * * घर की रखवाली करता है। नही किसी से यह डरता है।। * * प्यारा सा है इसका नाम। सब कहते हैं इसको टाम।।


Science Bloggers' Association

उल्टी चाल चले यह बंदा आखिर क्यों? - क्या 'हाल' और 'चाल' का आपस में कोई सम्बंध है? वैसे होना तो चाहिए, क्योंकि जब भी हम किसी से मिलते हैं, तो उसके 'हाल' के साथ-साथ 'चाल' के भी बारे में पूछते हैं...

नीरज

किताबों की दुनिया - 23 - कोई सत्तर के दशक के आरम्भ की बात होगी. मैं तब कालेज में पढता था. जयपुर की बड़ी चौपड़ पर स्थित मानक चौंक स्कूल के भव्य प्रागण में मुशायरा चल रहा था जिसे कुं..


अप्रवासी उवाच (Apravasi Uvach)

बोले तो...आज अपुन का डबल हैप्पी बर्डडे है - एक लम्बे अंतराल के बाद लिखने बैठा हूँ... आज एक वर्ष पूर्व १ फरवरी के ही दिन से अपनी व्यक्तिगत ३६वीं सूर्य परिक्रमा के प्रारंभ के साथ मैंने चिठ्ठाकारिता की ..

ज़िंदगी के मेले

क्या मसिजीवी में साहस है इसे पढ़ कर उत्तर देने का? - भले ही इधर उधर की पोस्टों में बताया गया हो कि दिल्ली के एक शिक्षण संस्थान में सेवारत विजयेन्द्र सिंह चौहान, मसिजीवी के नामधारी प्रोफाईल के सहारे ब्लॉगिंग क..

गत्‍यात्‍मक चिंतन

मैने अपने जीवन में जिस महिला को सर्वाधिक कष्‍टप्रद जीवन झेलते देखा है !! - ज्‍योतिष जैसे विषय से जुडे होने के कारण अपने को दुखी कहनेवाले और सुखी होने के लिए सलाह के लिए आनेवाले लोगों की मेरे पास कमी नहीं , पर मेरे विचार से ये सारे..


एक प्रयास

मैं तेरी हो जाऊँ - कान्हा प्रेम तेरा वासंतिक हो जाये ह्रदय- सुमन मेरा खिल जाये प्रेम पुष्पित पल्लवित हो जाये भक्ति की सरसों मन में लहराए पीत रंग हर अंग समाये जीव ब्रह्म धानी हो..

KNKAYASTHA INSIDE-OUT

यकीन कर लो - यह ग़ज़ल मैंने "तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो" की तर्ज़ पर लिखा था और पहले भी प्रकाशित कर चूका हूँ. आज पुन: प्रस्तुत कर रहा हूँ... आशा है पसंद आएगी ... धन्यव..

अंधड़ !

हे कृष्ण ! अब तुम्हारा क्या लक्ष्य है ? - *आज यहाँ खुद ही, सवालों में घिरा यक्ष है, अपने ही घर से बेघर, हो गया निष्पक्ष है ! ईमान का बेटा दीन, दर-दर भटक रहा है, शठ का बेटा कपट, भ्रष्टता में हुआ दक्ष..


Dr. Smt. ajit gupta

ब्‍लागवाणी से हम पल्‍टी खा गए - आजकल फुर्सत में हैं, तो सारा दिन इधर-उधर ताक-झांक करते रहते हैं। कभी किसी की रसोई में और कभी किसी की रसोई में। देखते हैं कि किस ने आज क्‍या पकाया है और क्‍..

simte lamhen

पहलेसे उजाले... - छोड़ दिया देखना कबसे अपना आईना हमने!बड़ा बेदर्द हो गया है, पलट के पूछता है कौन हो,हो कौन तुम? पहचाना नही तुम्हे! जो खो चुकी हूँ मैं वही ढूँढता है मुझमे ! ...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

क्लिक करें और पांच सौ रुपये कमायें - यह एक ईमेल मुझे प्राप्त हुई है जो कि पहली नजर में बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा भेजी गयी प्रतीत होती है*. * *Customer Satisfaction Survey* At Bank of India, we ..

स्वप्न(dream)

खुल गई है फिर पुरानी डायरी - खुल गई है फिर पुरानी डायरी खुल गई है फिर, पुरानी डायरीआ गई फिर याद, भूली शायरी हो गए पीले सभी, पन्ने मगरगंध अब तक भी, सुहानी आए री फूल सूखे कह रहे, रोते हु..

Hasyakavi Albela Khatri

आज से अपन ने भी चर्चा का खर्चा उठाना शुरू कर दिया - प्यारे मित्रो ! चूँकि अभी तक मेरा चिट्ठाचर्चा वाला ब्लॉग ब्लोगवाणी पर दिखना शुरू नहीं हुआ है इसलिए आपको सूचना देने हेतु ये पोस्ट यहाँ टिकाई है कि आज से ...

Bikhare sitare...!

बिखरे सितारे-६ तूफ़ान भरी राहें! - गौरव: " तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे सांप या बिच्छू ने डंख मार दिया हो...इसकी जान जा रही हो...चीटी के काटने से यह मर थोड़े ही जायेगी?" पूजा ने उसे जल्दी जल्द..

Albelakhatri.com

वक्त आगया लक्कड़बग्घों के पाजामे फाड़ने का, चलो साथियो ! ब्लोगवाणी पर पाबला को पसन्द करने .... - शमशीरें खिंच गई हैं शायद ............. मुट्ठियाँ भिंच गई हैं शायद .......... भई वाह ! जैसे ब्लोगिंग न हुई, सियासत हो गई, वो भी तीसरे दर्जे की । ...

हास्यफुहार

कामचोर - *मालिक : रामू ! जा, बगीचे में पानी डाल* *रामू : लेकिन मालिक ! अभी तो बारिस हो रही है। * *मालिक : अबे कामचोर ! बारिस हो रही है तो छाता लगा के डाल ना !!!! * **..

Gyan Darpan ज्ञान दर्पण

सुख और स्वातन्त्र्य -3 - भाग-१ व भाग -२ से आगे ........... चित्रगुप्त कहे जा रहा था - ' अजमेर से अकबर ने अपनी सेना की दुर्दशा का हाल सुना तो तैयब खान , खुर्रम अजमत खान आदि को दुगुनी..


अविनाश वाचस्पति

मिट्टी, पथरी, नीर और भगवान का सच (अविनाश वाचस्‍पति) - शरीर मिट्टी है सब मानते हैं इस मिट्टी से पत्‍थर (पथरी) डॉक्‍टर निकालते हैं। शरीर मिट्टी है तो मिट्टी में कंकर भी होंगे होंगे पत्‍थर भी। मिट्टी में पत्‍थ..

मुक्ताकाश....

कहानी की शक्ति : प्रेमचंद की... - [ 'अतीतजीवी' से ऋषिकल्प *पंडित प्रफुल्लचन्द्र ओझा 'मुक्त'* का एक अनूठा संस्मरण ] सन १९३१ या ३२ में जब मैं पहली बार जैनेन्द्रजी के पहाड़ी धीरज वाले मकान मे..

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष

एक सुंदर कविता पढें ... हमारा कर्म किस तरह परिस्थितियों के नियंत्रण में होता है !!
अपने भाग्‍य पर विश्‍वास न करते हुए अक्‍सर आप सभी कर्मयोग की चर्चा करते हैं , पर क्‍या आप सबों को ऐसा नहीं लगता कि हमारा कर्म भी परिस्थितियों के नियंत्रण में होता है। काम करते वक्‍त , सोंचते वक्‍त , निर्णय लेते वक्‍त हम बहुत सी सीमाओं में बंधे होते हैं ,

शिल्पकार के मुख से

एक कविता -अपनी-अपनी गति की ओर "ललित शर्मा" - *एक सूखी टहनी पर* *कुछ बुँदे स्वाति मेह की * *अनायास ही टपक गई* *उसने उठ कर अंगडाई ली* * बंधन चरमरा उठे * *जोड़ के टांके चटक गए* *जनम रहा था नया वृक्ष * *मै ...

आरंभ Aarambha

बसंत में बिरह - छत्तीसगढी कविता आडियो हिन्दी भावानुवाद सहित - जानि डारेव रे कोयली तोर काय चाल हे पहिली तै फुदुक फुदुक कुदे डारा डारा नेवता नेवते अमरइया जा के झारा झारा अमुआ के रुख फेर सबला तै बलाये भवरा के मोहरी संग गीत..

निर्मल-आनन्द

खिचड़ी पोस्ट - पिछले दिनों कई बातें ऐसी रहीं जिन्हे ब्लाग पर डालना चाहता था लेकिन मसरूफ़ियत के चलते टलती रहीं। आज काम पूरा हो गया और दिल्ली रवाना हो रहा हूँ तो सनद के तौर ..

अनुनाद

मैंने सुना - लाल्टू की एक कविता - *मैंने सुना* बेटी आठवीं में आ गई है उन्होंने कहा देखते-देखते दसवीं में चली जाएगी उन्होंने कहा एक दिन विदा हो जाएगी. यह कविता क्यों है आलोचक डाँ...

कबाड़खाना

चोक लेती जिन्दगी - कुछ न कर पाने की शर्मिंदगी के साथ भी मानना पड़ेगा कि सारे कबाड़ी लंबी ताने सो रहे हों या "हाईबरनेसनिया" रहे हों तो भी एक वाचमैन है जो "आल ईज वेल" की पुकार लग..

आवारा बंजारा

ब्लॉग के बहाने प्रतिक्रियावादियों की जमात खड़ी की जा रही है! - तीन दिन पहले शहर के एक वरिष्ठ पत्रकार का फोन आया, उनके साथ एक अलग ही आत्मीयता है। वे ब्लॉग जगत में अवतरित हो चुके हैं। ..

पर्यानाद्

पर्यावरण में बदलाव लाता है सल्फर - धरती को सदियों से बार-बार ज्वालामुखी विस्फोटों का सामना करना पड़ा है। एक नए शोध में दावा किया गया है कि करीब दस करोड़ वर्ष पहले ज्वालामुखियों की बाढ़ में समु...

मोहल्ला

ताकि चीते जीते रहें.. - उमेश पंत नई सोच चीते अब नहीं जीते। सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो 2015 तक ये चर्चा हम आप कर रहे होंगे। ऐसा विष्लेशकों का मानना है। आज कौन मानेगा कि सौ साल पहल..

देशनामा

दिन भर हाथ में गिलास...खुशदीप - प्रोफेसर ने क्लास लेना शुरू किया...हाथ में एक पानी से भरा गिलास पकड़ रखा था...पूरी क्लास को गिलास दिखाते हुए प्रोफेसर ने सवाल पूछा कि *इस गिलास का वजन कितन..

रिजेक्ट माल

जब सवाल जाति का हो तो क्या सेकुलर(?) और क्या संघी - *जब वर्धा** में प्रोफेसर अनिल चमड़िया की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश जारी किया जा रहा था, लगभग उन्हीं दिनों दूर दक्षिण में ..

ब्लोगिंग तो मौज लेने के लिये होती है ... ब्लोगिंग फॉर्मूले
"नमस्कार लिख्खाड़ानन्द जी!""नमस्काऽऽर! आइये आइये टिप्पण्यानन्द जी!""लिख्खाड़ानन्द जी, हम तो आपके लेखन के कायल हैं! लाज़वाब लिखते हैं आप! लोग आपको उस्ताद जी कहते और मानते हैं। क्या बात है आपकी! आज हम जानना चाहते हैं कि आखिर इतना अच्छा लिख कैसे लेते हैं जिसे…….

एक लंबी कविता जो छोटी पड़ गई !!
पिछ्ले दिनों दो पोस्टों ने काफ़ी हलचल मचाई! मानसिक तौर पर!! एक श्री ज्ञानदत्त पाण्डे जी की और दूसरे श्री समीर जी की। तो मुझ पर भी समाज के बीच रह रही पगली से मिलने का पागलपन सवार हो गया। इस क्रम में मुझे समाज के कई ऐसे लोगों से वास्ता पड़ा जो ज़िन्दगी के……..

मनोज

आँखें
हर पल हर घड़ी रहे , तांकती आँखें ।आँखों से ही दिलो में , झांकती आँखें ।।अनगिनत रंग-रंगीले, इनमे सपने बसे है ।बिन बोले बाते हो जाने की , ये ही वजह है ।।सागर से भी ज्यादा है, गहराई इनमे ।ना जाने कितनी छुपी हुई, तनहाई इनमे ।।दुःख गहरा हो मन में, तो भर आती…….

Kavymanjusha

पहुंचेंगे शिखर पर वो .....
मन जब उदास होता है ख़याल के पास होता हैजब दिल में दर्द उठता हैलब पे उच्छ्वास होता हैपहुंचेंगे शिखर पर वो जिन्हें विश्वास होता है सच्चा प्रेम मिल जाए फिर मधुमास होता हैसुधि सा जो साथी होजीवन ख़ास होता है कलह प्रेमी मनुज का तोबस विनाश होता हैकुटिलता……….

काव्य मंजूषा

(वाह ….क्या समानता है? दोनों के ब्लॉगों में अन्तर इतना ही है कि
रानी विशाल का काव्य-मञ्जुषा अंगरेजी में है और
अदा जी का काव्य-मंजूषा स्वप्न-मंजूषा के नाम से हिन्दी में है!)

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
कार्टून :- टी0 वी0 प्रोग्राम तो देख लेते हो न !

तवायफ की मौत

राज कुमार सोनी के बिगुल पर प्रकाशित ''घुंगरू टूट गए'' को पढ़ते ही मुझे अपनी पंद्रह बरस पुरानी एक सम्पादक द्वारा सखेद वापस रचना याद आ गई सोनी जी के प्रति आभार एवं उस आत्मा की शान्ति के लिए रचना सादर प्रेषित है चीथड़े में लिपटी बूढ़ी माँ मर गई कोई न….

मिसफिट



आज के लिए

बस इतना ही.....

17 टिप्‍पणियां:

  1. शास्त्री जी-सुंदर चर्चा के लिए आभार

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  2. काफी सुन्दर-सुन्दर बटोर के लाये है आप, सुन्दर चर्चा के लिए शुक्रिया !

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  3. निश्चित ही एक दिन ब्‍लॉगवाणी का विकल्‍प यह चर्चा मंच ही बनेगा।

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  4. सुन्दर चर्चा के लिए शुक्रिया ..... शास्त्री जी

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  5. charchamanch per mujhe shamil karne ke liye aabhar..aur hamesha mera utsahvardhan ke liye bhi hardik aabhar

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  6. सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

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  7. हमेशा की तरह बिल्कुल लाजवाब रही चर्चा!
    आभार्!

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  8. अच्छी अच्छी पोस्ट खोजने का काम तो एक दम आसान कर दिय है आपने ...बस यहाँ आना भी काफी है !लाजवाब चर्चा
    मुझे स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार !!

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