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शुक्रवार, फ़रवरी 05, 2010

“अनुभवी चर्चाकार श्री संतू गधेडा जी” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-53
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आज के
"चर्चा मंच" को सजाते हैं।


अनुभवी चर्चाकार श्री सन्तु गधेड़ा जी से-
ताऊ डॉट इन
आखिर ताऊ की हिंदी चिठ्ठा चर्चा शुरु हो ही गई...

अनुभवी चर्चाकार श्री संतू गधेडा जी

  

तो अब प्रस्तुत है....हमारी यह चर्चा स्की………


उड़न तश्तरी ....

महिला सशक्तिकरण: गजब हो गया! - *नारी सशक्तिकरण*-यह आंदोलन और सोच विश्वव्यापी है. अफगानिस्तान जैसा देश, *जहाँ यह एक आम नजारा है* कि एक पुरुष आगे चले और उसकी ४-४ बेगमें उस पुरुष का अनुग...

यूं ही नहीं बन गये वह 'समीर'

इश्क का दामन थामे वह वक्त के साथ बहता चला जा रहा था। उसे भी उम्मीद नहीं थी कि वह जिन अनजान राहों पर चल पड़ा है वो उसे ऐसे मुकाम पर पहुंचा देगी जिसकी तलाश में खुद अनजान बरसों भटका हो। अब इसे इश्क की वफादारी कहें या किसी को पाने की जद्दोजहद वह एक दिन अपनी सारी शीतलता को छोड़ हवा का झोंका बन जाता है। चाहत से भरा आसमान पाने के बावजूद हवा का यह झोंका आज भी जमीन थामे है। जड़ों से अपनीगहरा लगाव उसे बार-बार गांव ले आता है। उसकी कविता में माटी की सोंधी खुशबू मिलती और एक आम आदमी का अक्स दिखता है। बालीवुड का ग्लैमरस संसार कवि हृदय को समीर के नाम से जानता है तो अपना बनारस उसे शीतला प्रसाद पांडेय पुकारता है। एक  दोपहर वाराणसी के मेहतानगर (शिवपुर) स्थित घर पर उनके मोहब्बत के जख्म पर हाथ धर दिया तो वे खुलते चले गए।

……
उन्हें अकेला खाने की आदत नहीं है

पिछले छह दिन यात्रा पर रहा। कोई दिन ऐसा नहीं रहा जिस दिन सफर नहीं किया हो। इस बीच जोधपुर में हरिशर्मा जी से मुलाकात हुई। जिस का उल्लेख पिछली संक्षिप्त पोस्ट में मैं ने किया था। रविवार सुबह कोटा पहुँचा था। दिन भर काम निपटाने में व्यस्त रहा। रात्रि को फरीदाबाद के लिए रवाना हुआ, शोभा साथ थी। सुबह उसे बेटी के यहाँ छोड़ कर स्नानादि निवृत्त हो कर अल्पाहार लिया और दिल्ली के लिए निकल लिया वहाँ। राज भाटिया जी से मिलना था। इस के लिए मुझे पीरागढ़ी चौक पहुँचना था। मैं आईएसबीटी पंहुचा और वहाँ से बहादुर गढ़ की बस पकड़ी। बस क्या थी सौ मीटर भी मुश्किल से बिना ब्रेक लगाए नहीं चल पा रही थी। यह तो हाल तब था जब कि वह रिंग रोड़ पर थी। गंतव्य तक पहुँचने में दो बज गए। भाटिया जी अपने मित्र के साथ वहाँ मेरी प्रतीक्षा में थे। मैं उन्हें देख पाता उस से पहले उन्हों ने मुझे पहचान लिया और नजदीक आ कर मुझे बाहों में…………..…


मसि-कागद

मात पे भी मेरी बधाई दे दी...------->>>>>>>दीपक 'मशाल' - मैंने चाहा था उम्र भर के लिए उसने जन्मों की जुदाई दे दी साथ रहने का वादा करके मुझको लोगों की दुहाई दे दी क़ैद होकर मिरे ही दिल में मेरी धड़कन को रिहाई दे दी...

Albelakhatri.com

नापसन्दवादियों ! लगे हाथ ये भी कर डालो, आपको लंगड़े तीत्तर को कुकुरमुत्ता खिलाने का पुण्य प्राप्त होगा - प्यारे नापसन्दवादियों ! सादर प्रणाम । जब आप इतनी मेहनत कर रहे हो मेरे आलेख पर नापसन्दी चटके लगाने के लिए तो लगे हाथ एक काम और कर डालो, आपको लंगड़े तीत...


चिट्ठाकार चर्चा

हरफ़नमौला राजकुमार सोनी-बिगुल- “चिट्ठाकार चर्चा”(ललित शर्मा) - जब से कलम का अविष्कार हुआ है. तब से लगातार कलम निरंतर लिखते आ रही है.ऊंच नीच, जाति धर्म का भेदभाव किये बिना. इस कलम के द्वारा नित नयी रचनाएँ सामने आती रही..

ज़िंदगी के मेले

जब मैंने टैक्सी में बम रखा और पकड़ा गया - यह वाक्या 25 वर्ष पहले, 1985 के उन दिनों का है जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जघन्य हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बन चुके थे। कथित सिक्ख आतंकवाद ल...

Rhythm of words...

रुक! - आज फिर थोड़ी सी जिंदगी मन के करघे पे कात लूं ॥ ख्वाहिशों के धागों से बुनने को फिर कोई बात लूं ॥ बैठे रहे यूँ देर तक ख़ामोशी के कहकहो में खो जाये साँसों को ढूँ...

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर

मुंबई मेरे ताऊ की - यह सवाल ही बेकार है की मुंबई किसकी है ? दुनिया में कैलफोर्निया से लेकर कालाहांडी तक ओर मुंबई से लेकर म्यूनिख तक हजारो ऐसी जगह है जिनका एक नाम है. और जंह...

डॉ.कविता'किरण'(कवयित्री)

मर मिटे वो जो मेरी मुस्कान पर हैं - खिडकियों में भी हवा ताज़ा नहीं और दीवारों में दरवाज़ा नहीं फूल हैं लेकिन महक है लापता मोम है अंदर मगर धागा नहीं तुम पे हक हो या फलक पे चाँद हो चाहिए पूरा मु...

ताऊजी डॉट कॉम

फ़र्रुखाबादी विजेता (189) : सुश्री सीमा गुप्ता - नमस्कार बहनों और भाईयो. रामप्यारी पहेली कमेटी की तरफ़ से मैं समीरलाल "समीर" यानि कि "उडनतश्तरी" फ़र्रुखाबादी सवाल का जवाब देने के लिये आचार्यश्री यानि कि ह..

मुसाफिर हूँ यारों

जय माता दी - जम्मू पहुंचे - वैष्णों देवी गए और फिर आये, आते ही एक शुभ काम हो गया। खैर, मेरे साथ अभी तक आप जम्मू मेल से सफ़र कर रहे हो, पानीपत से निकलते ही खर्राटे भरने लगे हो। जागने प..

Gyanvani

चल मेरे मन तुझे तुझसे अलग होकर भी देखूं - मन के आगे हार है मन के आगे जीत ...हमारी हर कामना या गतिविधि का कारण हमारा मन ही है जो कभी दिल ...कभी दिमाग से संचालित होता है ...और कई बार दिल और दिमाग की..

लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`

दूसरा नोबल पुरस्कार ? इस पुरस्कार को सम्मानित करनेवाली एक भारतीय महिला हैं रुथ मनोरमा - ** *दूसरा नोबल पुरस्कार ?* *जी हां , इस पुरस्कार को सम्मानित करनेवाली एक भारतीय महिला हैं रुथ मनोरमा । नारी के पक्ष में हैं रुथ मनोरमा । हर प्राताडित इंसान ...

ज्योतिष की सार्थकता

जन्मकुंडली में विद्यमान विभिन्न राजयोगों की वास्तविकता (भाग 1) - दुनिया में प्रतिक्षण न जाने कितने प्राणी जन्म लेते हैं और कितने ही काल का ग्रास बन जाते हैं। जब बच्चा जन्म लेता है तो उस बच्चे की माता को भी उसके भविष्य के...

मानवीय सरोकार

गजल : मैं लिहाज़ में न बुला सका - गजल मैं लिहाज़ में न बुला सका                                 -रवीन्द्र कुमार ‘राजेश’ वह मिला, नज़र से नज़र मिली, उसे आज तक न भुला सका। वह तभी से दिल में समा ..

मेरी भावनायें...

ख्वाब पूरे होंगे - कहता है वो ख्वाब होते ही हैं सच होने के लिए यूँ ही ख्वाब आँखों में नहीं उतरते सुनते ही एक अदृश्य डोर मेरी पाजेब बन जाती है रुनझुन की मिठास बन उसके आँगन ...

स्वप्न मेरे................

कैसे जीवन बीतेगा - राशन नही मिलेगा भाषन पीने को कोरा आश्वासन नारों की बरसात हो जब तब कैसे जीवन बीतेगा भीख मांगती भरी जवानी नही बचा आँखों का पानी बेशर्मी से बात हो जब तब कैसे...

ANALYSE YOUR FUTURE

लग्न निकालने की विधि - हमारे एक पाठक ने हमसे जन्म लग्न निकालने का गणितीय तरीका माँगा हैं इस ब्लॉग के माध्यम से हम उनके इस प्रश्न का जवाब भेज रहे हैं | १) सर्वप्रथम दी गयी तारीख ...

simte lamhen

आहट - दूर से इक आहट आती रही,ज़िंदगी का सामाँ बनाती रही, चुनर हवा में उडती रही, किसीने आना था नही, हवा फिर भी गुनगुनाती रही.. दूर से इक आहट आती रही.. ..


गत्‍यात्‍मक चिंतन

एक मजदूर के घर में कैसे बनी खीर ?? - एक मजदूर के घर में कई दिनों से घर में खीर बनाने का कार्यक्रम बन रहा था , पर किसी न किसी मजबूरी से वे लोग खीर नहीं बना पा रहे थे। बडा सा परिवार , आवश्‍यक आव...

"सच में!"

इकबाले ज़ुर्म! - जब मै आता हूं कहने पे,तो सब छोड के कह देता हूं, सच न कहने की कसम है पर तोड के कह देता हूं, दिल है पत्थर का पिघल जाये मेरी बात से तो ठीक, मै भी पक्का हूं इबा..

मनोरमा

सृजन हमेशा करना है - इक न इक दिन मरना है हर पल फिर क्यों डरना है अर्थ निकलता तब जीवन का सृजन हमेशा करना है सुख तो सबको प्यारे लगते दुख में नहीं बिखरना है चहुँ ओर नदियों सी बा..

शिल्पकार के मुख से

हमने लगाना चाहा मुहब्बत का शजर!! - हमने लगाना चाहा मुहब्बत का शजर मौसम मे किसने घोला है बहुत जहर मामला संगीन हुआ वो लाए हैं खंजर पता नही कब दिखाए लहुलुहान मंजर बहुत ख़ामोशी होती है तूफान के ...

ज़िन्दगी

" कल " - कल जब आई थी मैं क्यूँ नही बांधा तुमने प्रेमापाश में क्यूँ नही पकड़ा दामन क्यूँ नही डालीं पाँव में जंजीरें अपने इंतज़ार की क्यूँ नही दी दुहाई अपने जज्बातों की क...

ईश्वर की पहचान

सब से महत्वपूर्ण समस्या - आज धरती पर मानव विभिन्न समस्याओं में ग्रस्त है परन्तु इन सारी समस्याओं में सब से महत्वपूर्ण समस्या अपने ईश्वर, स्वामी औऱ पालनकर्ता से अवगत न होना है। क्य...

KNKAYASTHA INSIDE-OUT

भोला इंसान - सुबह रात सी कालीआसमान में खुनी लाली खाली जूठी प्याली। भय से फैली आँखसमाचारों की टूटती साखमासूम सपनो की राख। गहरी जेबों का प्रहाररिश्तों को बेचते बाज़ारखोखले...

मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay.

हैंड पर धर देता हूं हैंडफ्री - पिछली चिट्ठी हैंड पर धर दिया था हैंडफ्री में मैंनें कहा था - "कुछ लोग तो आवाज कम करने की बात कहने पर झगडने लगते हैं। आप बतायें ऐसे लोगों का क्या किया जा सक..

घुघूतीबासूती

क्यों बाँध रखी है ब्लॉगवाणी ने टिप्पणियों पर सीमा ?..........घुघूती बासूती - हमारी माँगें हैं कि बढ़ती ही जा रही हैं, क्यों न बढ़ें जब ब्लॉगवाणी उन्हें पूरा करती हो ! माँग उससे की जाती है जो माँग पूरी करे या ..

शब्द-शिखर

बाल गीत : हौसलों की उड़ान - चिड़िया को न छोटा समझो, ऊँची उड़ान भरती है। सुबह से लेकर शाम तक, यहाँ-वहाँ पर फिरती है। छोटे पंख हैं तो क्या हुआ, हौसलों की उड़ान होती है। नन्हें-नन्हें पंख पस..

Dr. Smt. ajit gupta

अमेरिकी-गरीब के कपड़े बने हमारे अभिनेताओं का फैशन - अमेरिका के एक मॉल में घूम रहे थे। कुछ किशोर बच्‍चे अजीबो-गरीब ड्रेस पहने हुए थे। किसी ने अपनी आयु से काफी बड़ा टी-शर्ट, किसी ने फुल टी-शर्ट पर हॉफ शर्ट और फ..

अंधड़ !

जीना तो बस टाइम पास रह गया ! - *मकसद न यहाँ जीने का,अब कुछ ख़ास रह गया, यूँ समझिये, जीना तो, बस टाइम पास रह गया ! ढोये जा रहे बोझ को, कुली की तरह दिन-रात, स्टेशन पर गाडी आई-गई,यही अहसास र..

मयंक

“ तुम्हारे प्यार का आभार है!” - *कामनाओं के स्वरों में, प्यार का आगार है। ब्लॉगरों दिल से तुम्हारे, प्यार का आभार है। जन्म-दिन पर आपकी, शुभकामनाएँ मिल गईं, आज मेरे उर-चमन की, बन्द कलि...

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष

मेरी भविष्‍यवाणी में जगह का अंतर , थोडी देर , तीव्रता में कमी क्‍या हुई .. विरोधियों के तो बल्‍ले बल्‍ले ही हो गए !! - मेरे ब्‍लॉग को नियमित तौर पर पढनेवाले पाठक इस बात से अवश्‍य परिचित हो गए होंगे कि मैं ज्‍योतिष के सैद्धांतिक आलेख नहीं लिखा करती। जहां एक ओर ज्‍योतिष में समा..

Alag sa

अरे, मेरी आय बढ गयी और मुझे ही पता नहीं चला !!!! - *वातानुकूलित कमरे में एक बोर्ड पर एक लकीर होती है, जिसके आगे एक तीर बना होता है। उसी को ऊपर नीचे कर प्रतिशत और आंकड़ों में सब पता चल जाता है कि कितनी मंहगाई..

दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़

शब्दों का खेल - एक फूल के आगे फल है दोनों मिल कर बने मिठाई . है 'गुलाब-जामुन' वह काला गोरे रसगुल्ले का भाई . जो फँस जाता वह 'शिकार' है, तैरे जल के बीच 'शिकारा' . निकले जिस ...

Gyan Darpan ज्ञान दर्पण

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हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन

आज डॉ. विजय तिवारी "किसलय" का जन्मदिन है - आज, 5 फरवरी को वाले हिन्दी साहित्य संगम, जबलपुर वाले डॉ. विजय तिवारी "किसलय"का जन्मदिन है। इनका ईमेल आईडी vijaytiwari5@gmail.com है। बधाई व शुभकामनाएँ *आ..

कुछ शेर ताजा ताजा

सरहदें हैं जबतलक महफूज दिल में
इरादा जंग का मिटता नही
.........
तशनालब को ही है तलाश उस पानी की
बाकी तो बस जाम लिए बैठे हैं
...................

कहूँ याद करती !!
आज एक ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन है जिसके साथ का एहसास मेरे जीवन में बहुत महत्व रखता है । जो मुझे १५ वर्ष की उम्र में मिला और २३ वर्षों में जन्मों का स्नेह दिया ।एक अद्भुत कलाकार , एक हंसमुख इंसान , मातृ -भक्त , एक सफल पिता और पति । ऐसा व्यक्ति जो हर रिश्ते

Kusum's Journey

जय....................??????????????????
जय छत्तीसगढजय बुंदेलखंडजय महाराष्ट्रजय उत्तरप्रदेश. ... जय मुम्बईजय रायपुरजय लखनऊजय जबलपुर... जय कच्चा बाजारजय टिब्बा रोड जय घासी राम मोहल्लाजय ननकू हलवाई वाली गली...जय ठोलकर मेंशनजय प्रेम सदनजय सरदार

कुछ ईधर की, कुछ उधर की

पाबला जी से हुआ अपराध बहुत बडा?
आज एक लंबे अरसे के बाद चिट्ठाजगत में वापस आया तो लगा कि घमासान अभी भी खतम नहीं हुआ है. कल कोई विषय था आज कुछ और है. इन में सब से आखिर में दिखाई दिया पाबला जी के विरुद्ध हो रहा घमासान जिस में उनको “बागी” (साईबर स्क्वेटर) घोषित कर दिया गया है. पाबला-विरोधी

सारथी

चर्चा है भाई चर्चा है ...चर्चा है भाई चर्चा है
दाल है थोड़ी , मर्चा ज़्यादाआय ज़रा सी खर्चा ज़्यादायकीं न हो तो देखलो ख़ुद हीचिट्ठे कम हैं, चर्चा ज़्यादा

Hasyakavi Albela Khatri

सौ-सौ जूता खायें, तमाशा घुस कर देखें
कल टीवी चैनल आईबीएन7 पर अचानक निगाह थम गई जब वहाँ प्रसिद्ध गायक अभिजीत को जज्बाती होते देखा। उनके विचार पाकिस्तानी गायकों और पाकिस्तान के प्रति कुछ कटु नजर आये। इस घटना को महाराष्ट्र विशेष रूप से मुम्बई में चल रहे विवादों के मध्य स्वयं को स्थापित बनाये

कुमारेन्द्र

आज की चर्चा को देते हैं विराम! सभी चिट्ठाकारों को राम-राम!!

13 टिप्‍पणियां:

  1. शास्त्री जी वृहद चर्चा के लिए शुभकामनाएं

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  2. इस बार फिर कई एसी पोस्ट का पता चला जो पहले नहीं देख पाया था.

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  3. बेहतरीन चर्चा..सारे लिंक कवर कर लिए यहाँ से.

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  4. ... एक अच्छा ब्लाग, प्रस्तुतियां भी प्रभावशाली हैं !!!

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  5. शास्‍त्री जी, यह गधा कहाँ से ले आए? हमने तो सुना था कि गधे आँख नहीं मारते लेकिन यहाँ तो? अच्‍छी पोस्‍ट, बधाई।

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  6. बहुत वृहद और सराहनीय कार्य है. अक्सर चुनिंदा पोस्ट यहां से ही मिल्जाती हैं. अग्रीगेटर की जरुरत ही नही लगती. बस जारी रखिये इस जज्बे को.

    रामराम.

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  7. भई वाह्! ये गधे महाश्य तो इन्सानों से ज्यादा समझदार दिख रहे हैं....खैर समझदार तो होगा ही आखिर गधा किसका है----ताऊ का :)
    लाजवाब चर्चा!!
    आभार्!

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  8. bahut hi gazab ki charcha..........aajkal kafi links aapki post se hi mil jate hain........shukriya.

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  9. जन्मदिन पर भी आपने विश्राम नहीं किया? आभार...
    जय हिंद...

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