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शनिवार, फ़रवरी 27, 2010

“'बुरा ना मानो…..होली है!” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-77
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का
"चर्चा मंच" सजाते हैं-  
सभी ब्लॉगर्स को “होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!”

निवेदन यह  है कि यदि आप
पल-पल! हर पल!! http://palpalhalchal.feedcluster.com/

में अपना ब्लॉग शमिल कर लेंगे तो
मुझे
चर्चा मंच में आपका लिंक उठाने में सरलता होगी।

मसि-कागद

'बुरा ना मानो होली है.. पोल तुम्हारी खोली है' - part-1----- दीपक 'मशाल' - आज की रात.. होना है जो.. वो होने दो... अरे नहीं नहीं भाई, रात को कुछ नहीं होने वाला.. वो तो असल में आज ज़रा मस्ती के मूड में आ गया हूँ.. अब आप सोचेंगे ...
ताऊ डॉट इन

ताऊ पहेली - 63 - होली पर्व पर आपको हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं! होली के इस पावन और सोहाद्र वर्धक पर्व पर रामप्यारी मैम ने होली के रंग अपने स्टुडेंट्स के साथ खेले. सभी ...
कर्मनाशा

होली : हम - तुम - *पाँच छोटी शीर्षकहीन कवितायें* * गुझिया में यह जो भर गई है मिठास इसका उत्स है तुम्हारे ही आसपास। * * आज से शुरु हो गया है मेरा अवकाश आज से बढ़ गया है ...
लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`

आ प सभी को " हो ली की भी , बहुत बहुत शुभ कामनाएं " - *आज होली के पर्व पर कुछ बातें , समाज से जुडी ,* * मनोमंथन - सी , मेरे मन में , उभरीं हैं * *और सोचा, आप सब के संग साझा करूं .* * * * एक ग़ज़ल : " सुफेद रंगों...
ashokvichar

अंग्रेजों की जमीन पर हिंदी के फूल खिले - -डॉ. अशोक प्रियरंजन हिंदी भाषा और साहित्य से विदेशी भूमि भी आलोकित हो रही है। अंग्रेजी के लिए जाने जाना वाले इंग्लैंड तक में हिंदी के फूल खिल रहे हैं। यूरो...
काव्य-तरंग

आया अलबेला त्यौहार रंगीला होली का [होली गीत] - आया अलबेला त्यौहार रंगीला होली का गोरी खेल रही है खेल, आँख मिचोली का लपट झपट कर निकली घर से मुख घूँघट पट में छुपाए लाख जतन कर प्रियतम खोजे प्रि...
शिल्पकार के मुख से

रंग रंगीले रसिया के छल से भीगी नव-चोली -------------हो्ली है------ललित शर्मा - होली के अवसर प्रकाशन के लिए एक गीत लिखा था, जब ब्लाग जगत पे फगुनाहट की आहट हुयी तो उसे भेज दिया सम्मानित कराने के लिए, ...........चलो लगे हाथ बहती गंगा में...
नन्हा मन

होली है भई होली है - होली है भई होली है रंग रंगीली होली है। नहीं बडा न कोई छोटा हम सारे हमजोली हैं । लाल हरे और नीले पीले देखो रंग कितने चमकीले नभ में देखो नई छटा है रंगी आज घन...
नवगीत की पाठशाला

प्रत्यंचा टूट गई - प्रत्यंचा टूट गई छूट गए फूलों के वाण ऋतुओं के गंध कलश छलक गए रेशमी हवाओं की रस्सियाँ भाँजता बटरोही वसंत वन-बगीचों में झाँकता कोयल के पैने संधान अंध कूप में ...
नन्हें सुमन

"कम्प्यूटर" - ** * * *यह मेरा कम्प्यूटर प्यारा,* *इसमें ज्ञान भरा है सारा।* ** *भइया इससे नेट चलाते,* *नई-नई बातें बतलाते।* *यह प्रश्नों का उत्तर देता,* *पल भर में गणना कर...
नया ठौर

इस मक़बूलियत पर भारत नहीं है फ़िदा - अंग्रेजी अख़बार `द हिंदू' के पहले पेज पर जब पढ़ा कि कतर के शाही परिवार ने मक़बूल फिदा हुसैन को वहां की नागरिकता देने की पेशकश की है, तो लगा कि मकबूल इस पे...
प्रतिभा की दुनिया ...!!!

फूले ढेर पलाश तो लगा होली है - फूले ढेर पलाश तो लगा होली है मचने लगा धमाल तो लगा होली है, गोरी हुई उदास तो लगा होली है पलकों पे सजी आस तो लगा होली है...
नव-सृजन

होली त्यौहार की बधाई - *होली के शुभ अवसर पर,* *उल्लास और उमंग से,* *हो आपका दिन रंगीन !* ** ***==होली त्यौहार की बधाई=
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर

हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर के आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकारों, चित्रकारों और संगीतज्ञों की बहुआयामी गोष्ठी (भाग- एक) - *दिनांक पाँच फरवरी २०१० को संध्या सात बजे संस्कारधानी जबलपुर की अनेक गण्यमान हस्तियों ने " विसुलोक " में आयोजित बहुआयामी गोष्ठी को एक "अविस्मरणीय - निशा " ...
मयंक
“एक शाम मदन ‘विरक्त’ के नाम” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) - *होली के अवसर पर “महाराजा अग्रसेन समाचार” पत्र के सम्पादक “मदन ‘विरक्त” दिल्ली से खटीमा पधारे! * *[image: 23042009317]** इनके सम्मान में डॉ.रूपचन्द्र शा...
ज्योतिष की सार्थकता
किसी मन्त्र जाप,उपासना अथवा कर्मकांड इत्यादि का हमे सही लाभ क्यों नहीं प्राप्त होता ? - ऎसी स्थिति स्वभावत: किसी के भी मन को असमंजस में डाल देती है कि मन्त्र-तन्त्र, कर्मकांड,भक्ति,पूजा-उपासना इत्यादि की एक जैसी ही प्रक्रिया का अवलम्बन करने पर...
अविनाश वाचस्पति

हिन्‍दी ब्‍लॉगर - होली पर बोलें सिर्फ प्रेम प्‍यार की बोली (अविनाश वाचस्‍पति) - रंगों से भर लें वाणी की पिचकारी जिसमें हो मिठास जमाने की सारी बरखा हो रंग की कामना हो संग की मचा रहे हुड़दंग ज्‍यों भंग हो पी ली शब्‍दों के रंग बिखेरते रह...
Tech Prévue: तकनीक दृष्टा

Windows 7 अब और पायरेटड नहीं - Chew WGA 0.9 - Chew-WGA को Windows 6.1.x Operating systems के built-in सुरक्षा प्रणालियों की सुरक्षा स्तर को... [यह लेख का सारांश है, पूरा पढ़ने के लिए फ़ीड प्रविष्टी शीर्...
इयत्ता
चाहिए कुछ भी नहीं - चाहिए कुछ भी नहीं तुमसे मुझे न सांसों की सरगम न आने की आहट न धुंध खयालों का न अहसास रहगुजर सा शहनाई भी नहीं रानाई भी नहीं परछाई भी नहीं तनहाई भी नहीं रुसवाई ...
ताऊजी डॉट कॉम

फ़र्रुखाबादी जीनियस विजेता (196) : श्री यशवंत मेहता "फ़कीरा" - नमस्कार बहनों और भाईयो. रामप्यारी पहेली कमेटी की तरफ़ से मैं समीरलाल "समीर" यानि कि "उडनतश्तरी" फ़र्रुखाबादी सवाल का जवाब देने के लिये आचार्यश्री यानि कि ह...
युवा दखल

आपका घर गच्ची वाला है - *( देवास के हमारे साथी सौरभ का यह लेख युवा दख़ल के ताज़ा अंक में प्रकाशित है। होली की मस्तियों के बीच उम्मीद करता हूं आप इन्हें भी नहीं भुलेंगे!)* *पूरे क...
मेरी डायरी
प्रिया शर्मा की कविता - यह कविता जयपुर से प्रिया शर्मा ने भेजी है। यह उनका पहला प्रयास है, इसलिए इसमें हो सकता है कि कहीं कच्चापन नजर आए, लेकिन यह रचना एक संभावना जगाती है। चलना स...
अंतर्मंथन
बस हमने बचपन में कभी होली नहीं खेली--जानते हैं क्यों --- - वक्त बदल जाता है । हालात बदल जाते हैं। और कई बातें , कई रिवाजें वक्त की परतों के नीचे दब कर रह जाती हैं। ऐसा ही है , होली मनाना । जी हाँ , होली अलग अलग राज्...
समाचार:- एक पहलु यह भी
मिशन भारतीय त्यौहार बचाओ - होली, दीवाली वो भारतीय त्यौहार है जो त्यौहार के साथ-साथ भारत की परम्परा और संस्कृति के अनेको रंग अपने अन्दर समेटे हुए है. यही कारण है की स्कूल के समय से ही...
पराया देश
लोगो के पास बहुत समय है नफ़रत के लिये, अरे कुछ समय तो निकालो प्यार के लिये भी... - होली की आप को ओर आप के परिवार को बहुत बहुत बधाई, सब खुब खेले होली ओर सही ओर पबित्रता बनी रहे होली की इस तरह से खेले, ओर होली के रंगो मै नफ़रत ओर दुशमी के र...
उच्चारण
“रंगों का मौसम आया है” *[image: image]** * *गली-गली में कृष्ण-कन्हैया, * *खेल रहे हैं जम कर होली! * *रंगों का मौसम आया है, * *थिरक रही है हँसी ठिठोली!! * * * *राधारानी ओढ़ चुनरिय...
स्वप्न(dream)
हम तो ऐसे ही कहेंगे जी "गज्जल" - हम तो ऐसे ही कहेंगे जी "गज्जल" (होली के अवसर पर विशेष ) टोकरी ये भर गई , कविताओं सेसुनलो फिरता हूँ गधे-सा लाद कर देर से बैठा हूँ इस उम्मीद मेंमैं सुनाऊं औ...
एक प्रयास
 श्याम संग खेलें होली - कान्हा ओ कान्हा कहाँ छुपा है श्याम सांवरिया ढूँढ रही है राधा बावरिया होली की धूम मची है तुझको राधा खोज रही है अबीर गुलाल लिए खडी है तेरे लिए ही जोगन बनी है म...
काव्यशास्त्र : भाग 4
आचार्य भामह -- आचार्य परशुराम राय आचार्य भामह का काल निर्णय भी अन्य पूर्ववर्ती आचार्यों की तरह विवादों के घेरे में रहा है। आचार्य भरतमुनि के बाद प्रथम आचार्य भामह ही हैं जिनका काव्यशास्त्र पर ग्रंथ उपलब्ध है। आचार्य भामह के काल निर्णय के विवाद को… 

मनोज 
करण समस्तीपुरी
खुशदीप जी ..झेलिये ना फागीस्म..
बाकी बाद में देखेंगे..
  बवाल : सर पर टोपी डाल ब्लाग पर बैठे हैं समीर लाल ..हो तेरा क्या कहना...  अपनत्व : तुम्हें अपना बनाने कि कसम खाई है ..खाई है वी वर्मा.: आँखों में उसका चेहरा जब थोड़ा सा धुन्धलाये छम से वो आ जाए छम  से आ जाए. रंजना (रंजू) : प्यार

काव्य मंजूषा

'अदा'

फाग गीत -४-चौताल --खोजे सजनवाँ होली में ........
फागुनी रंग में सरोबार अपनी पिछली पोस्ट बालम मोर गदेलवा, मोहे नीको न लागे नैहरवा और उलारा-न देबयकजरवा तोहके और के क्रम में आज फाग राग की एक और विधा चौताल का गायन प्रस्तुत है.फगुआ गायनमें विशेष कर चौताल ( अर्द्ध तीनताल,दादरा,कहरवाऔर फिर अर्द्ध तीनताल ) का
  
मा पलायनम !
डॉ. मनोज मिश्र
होलिया में भर गया रंगों का पीपा , कौन भंगिया के कहां पे टीपा …फ़िर हम बनाए टैण टैनेन ………
   पिछले दिनों जो सब हुआ उसको एक दम धना धन गोली मारते हुए हमने सोचा कि कुछ अपना और आप सबका भी मूड बनाया जाए ..सो धर दिया आपकी टीपों पर वही टप टप टपाक ..यानि टैण टैनेन   दीपक के मसि कागद पर दीपक की कान खिंचाई चालू आहे   निर्मला कपिला said...
झा जी सुनिन
अजय कुमार झा

फाग-छंद ( संकलित ) - 1
घनानंद (राग केदारौ) फाग-रंग चढ़ गया है इन दिनों सब पर ! नदा कर चुप बैठा हूँ, ये ओरहन सुनना ठीक नहीं । अपना कौन-सा रंग है ख़ालिस कि रंगूँ उससे ! सो परिपाटी का रंग चढ़ा रहा हूँ । मेरा उद्यम इतना ही है कि जिन कवियों के नाम आप यहाँ देखेंगे, उनकी रचनाओं से
सच्चा शरणम्
हिमांशु । Himanshu
अमेरिकन साम्राज्यवाद : अंतिम भाग
प्रस्तुतकर्ता Suman लेबल: सत्य नारायण ठाकुर
महायुद्ध
यूरोप में लड़ी गयी दो लड़ाइयों को विश्वयुद्ध संज्ञा दी जाती है- प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध। किंतु ज्यादा सही बात यह है कि दुनियां का प्रथम महायुद्ध सं0 रा0 अमेरिका ने पश्चिमी गोलार्द्ध में शुरू किया। यह युद्ध लातिन अमेेरिका कब्जाने के लिये स्पेन से लड़ा गया। स्पेन-अमेरिका युद्ध 1898 हुआ, जिसमें जीर्णशीर्ण स्पेन का राजतंत्र हार गया। फिर तो लातिन अमेरिका में यूरोप का प्रभाव घटता गया और वह धीरे-धीरे पूरी तरह सं0 रा0 अमेरिका के प्रभाव में आ गया। इसने प्रशांत महासागर के हवाई द्वीप पर कब्जा किया और फिलीपींस को भी दबाया। इस तरह पश्चिमी गोलार्द्ध से यूरो को निकाल बाहर कर अमेरिका ने उसे अपना गलियारा बनाया।
……..
सरस पायस

हो... हो... होली है : अरविंद राज का एक बालगीत - हो... हो... होली है ! मन में तरंग है, तन में उमंग है । धरती रंगीली है, अंबर सतरंग है । रंगों में रँगी हुई मस्तों की टोली है । होली है... हो... ह...
कार्टून- सस्ते से क्या फायेदा..

Posted by shekhar hada

रंगों के पर्व होली की 
शुभकामनाओं के साथ-
आज की चर्चा को यहीं पर विराम देता हूँ!
Kajal Kumar's Cartoons
काजल कुमार के कार्टून
कार्टून:- वाह ! भौत अच्छा बजट है...


झूठ बोलती हैं सुषमा स्वराज !

Posted by IRFAN

10 टिप्‍पणियां:

  1. मस्त रही चर्चा ....आनन्द आया.


    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    गले लगा लो यार, चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

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  2. सुंदर चर्चा.

    आपको होली पर्व की घणी रामराम.

    रामराम

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  3. सुन्दर चर्चा.....
    होली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!

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  4. रंग बिरंगे त्यौहार होली की रंगारंग शुभकामनाए

    जवाब देंहटाएं
  5. holi ke rango se saji is rangeen charcha ke liye aabhar!
    Aapko sapariwaar holi ki hardik shubhkamnaae!!

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  6. भल्‍ले गुझिया पापड़ी खूब उड़ाओ माल
    खा खा कर हाथी बनो मोटी हो जाए खाल
    फिरो मजे से बेफिक्री से होली में,
    मंहगाई में कौन लगाए चौदह किला गुलाल
    http://chokhat.blogspot.com/

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