मित्रों!
कल से हमारे क्षेत्र का ब्रॉडबैंड बाधित है। मोबाइल सिम से प्रयास कर रहा हूँ फटाफट चर्चा लगाने की। देखिए कहाँ तक सफल हो पाता हूँ!
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काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
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'कवरेज' (लघुकथा )
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आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
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नामुराद सांसें भी आईं कुछ इस तरह अहसान से आज चलते -
चलते ज़िन्दगी जो उम्र का इक पन्ना फाड़ गई ….
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ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -पर Divya Shukla
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Rhythm पर नीलिमा शर्मा
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नारी मुझको रोना आता तेरी इस लाचारी पर , कौन करेगा गर्व भला भारत की ऐसी नारी पर !! कोख में कन्या-भ्रूण है सुनकर मिलता आदेश मिटाने का , विद्रोह नहीं क्यूँ तू करती ?क्यूँ ममता तेरी जाती मर !!...
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जुम्मा जुम्मा आ कर अभी तो पाँव कुछ जमाई है कुछ बातें समझनी बहुत जरूरी होती हैं पता नहीं क्यों नहीं समझ पाई है पढी़ लिखी है और समझदार है दिखती मजबूत सी है बाहर से काम करने में भी काफी होशियार है पर हर जगह के अपने अपने कुछ उसूल होते हैं बहुत से लोग होते हैं जो बहुत पुराने हो चुके...
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अ -युक्त मनुष्य के अंत :करण में न ईश्वर का ज्ञान होता है ,न ईश्वर की भावना ही। भावना हीन मनुष्य को शान्ति नहीं मिलती और अशांत मनुष्य को सुख कहाँ ?...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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(1) लोकतंत्र की शक्ल में, दिखने लगी चुड़ैल | परियों सा लेकर फिरे, पर मिजाज यह बैल | पर मिजाज यह बैल, भेद हैं कितने सारे | वंश भतीजा वाद, प्रान्त भाषा संहारे | जाति धर्म को वोट, जीत षड्यंत्र मन्त्र की | अक्षम विषम निहार, परिस्थिति लोकतंत्र की |...
रविकर की कुण्डलियाँ पर रविकर
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१ श्री कृष्ण नाम है आनंद की अनुभूति का, प्रेम के प्रतिक का , ज्ञान के सागर का और जीवन की पूर्णता का। २ श्री कृष्ण ने गीता में दिया है निति नियमो का ज्ञान जीवन को जीने का सार , पर इस युग में तो मानव ने राहों में रोप दिए है क्षुद्रता के कंटीले तार।....
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ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए हैं ...
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Computer Tips & Tricks पर Faiyaz Ahmad
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MY BIG GUIDE पर Abhimanyu Bhardwaj
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अटकल दुश्मन लें लगा, है चुनाव आसन्न | बुरे दौर से गुजरती, सत्ता बांटे अन्न | सत्ता बाँटे अन्न, पकड़ते हैं आतंकी | आये दाउद हाथ, होय फिर सत्ता पक्की | हो जाए कल्याण, अभी तक टुंडा-भटकल | पकड़ेंगे कुछ मगर, लगाते रविकर अटकल ...
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.. मुझे विश्वास है यह पृथ्वी रहेगी यदि और कहीं नहीं तो मेरी हड्डियों में यह रहेगी जैसे पेड़ के तने में रहते हैं दीमक जैसे दाने में रह लेता है घुन यह रहेगी प्रलय के बाद भी मेरे अन्दर यदि और कहीं नहीं तो मेरी ज़बान और मेरी नश्वरता में यह रहेगी और एक सुबह मैं उठूंगा मैं उठूंगा पृथ्वी-समेत जल और कच्छप-समेत मैं उठूंगा मैं उठूंगा और चल दूंगा उससे मिलने जिससे वादा है कि मिलूंगा...
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"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
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आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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क्या बने बात जहां बात बनाये न बने |
यार है यार बना साथ मुलाकात रहे
कब रहे यार अगर साथ निभाए न बने |...
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मित्रों आज के लिए बस इतना ही...
नमस्ते..!