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Monday, February 03, 2014

"तत्काल चर्चा-आपके लिए" (चर्चा मंच-1512)

मित्रों।
मैं 6 फरवरी तक देहरादून में हूँ।
आज देखा तो सोमवार की चर्चा किसी ने नहीं लगाई हुई है।
जबकि मैंने श्री राहुल मिश्रा जी को चर्चा लगाने के लिए कह दिया था।
शायद वो भूल गये होंगे।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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मेरी धरोहर पर yashoda agrawal

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उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी

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बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय

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Hindi Tech Tips पर sanny chauhan 

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नींद न जाने कहाँ खो गयी जिंदगी 
सपनों कि दुनिया से बेजार हो गयी 
खाब्ब अब आधे अधूरे से रह गए...

RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL

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तमाशा-ए-जिंदगी पर Tushar Raj Rastogi

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Neeraj Kumar

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कानूनी ज्ञान पर Shalini Kaushik 

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आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma

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हिन्दी-हाइगा पर ऋता शेखर मधु 

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उनके प्रेम को, अगर भरम है यह कि वो अपने है तो रखिये उनका भरम ही अपने होने का ना झेल सकेगा कोई सच्चाई उतरेंगे जब मुखोटे , उन मुखोटों के पीछे के चेहरे कितने भयावह होंगे यह कौन सह पायेगा...

नयी उड़ान + पर Upasna Siag 

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काव्य संग्रह "धरा के रंग" से
एक गीत
कहीं-कहीं छितराये बादल,
कहीं-कहीं गहराये बादल।

काले बादल, गोरे बादल,
अम्बर में मँडराये बादल। 

उमड़-घुमड़कर, शोर मचाकर,
कहीं-कहीं बौराये बादल।

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अपनों का साथ पर Anju (Anu) Chaudhary

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आप सब के साथ अपनी ८०० वी पोस्ट शेयर करना बहुत अच्छा लग रहा है | 
आशा है आपको मेरी ये रचनाएं पसंद आएंगी || 
१- 
मन बावरा 
खोज रहा गलियाँ 
जहां खो गया | 
२- 
यूं विलमाया 
रमता गया 
वहां मन मोहना |...

Akanksha पर Asha Saxena 


11 comments:

  1. सुप्रभात
    आज सुबह से ही नेट ठीक से कान नहीं कर रहा है |उम्दा लिंक्स से सजा आज का चर्चा मंच |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी |
    आशा

    ReplyDelete
  2. भाई जी
    आभार...
    कार्यकुशलता तो आपसे ही सीखना होगा
    देहरादून में अभी मधुमास ने दस्तक नहीं दिया होगा
    सादर...

    ReplyDelete
  3. देर से आई चलो आई आई
    एक सुंदर इंस्टेंट चर्चा गई लगाई
    उल्लूक के चेहरे पर मुस्कान लाई
    उसकी पोस्ट जो चर्चा में गई दिखाई
    "अच्छा होता है जब
    समझने वाली बात
    नहीं लिखी जाती है"
    के लिये आभार !

    ReplyDelete
  4. विस्तृत चर्चा लिंक ... आभार ...

    ReplyDelete
  5. धारदार लिंक्स

    ReplyDelete
  6. बहतरीन चर्चा मंच आभार सेहतनामा को शरीक करने के लिए।

    ReplyDelete
  7. रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,
    लहर-लहर लहराती है।।

    कलाबाजियाँ करती है जब,
    मुझको बहुत लुभाती है।।

    इसे देखकर मुन्नी-माला,
    फूली नहीं समाती है।।

    सुन्दर बाल कविता बधाई बाल हंस में प्रकाशन पर अपना संकलन लाइए।

    "कोयल आयी है घर में"


    उच्चारण

    ReplyDelete
  8. कहीं-कहीं छितराये बादल,
    कहीं-कहीं गहराये बादल।

    काले बादल, गोरे बादल,
    अम्बर में मँडराये बादल।

    उमड़-घुमड़कर, शोर मचाकर,
    कहीं-कहीं बौराये बादल।

    भरी दोपहरी में दिनकर को,
    चादर से ढक आये बादल।

    खूब खेलते आँख-मिचौली,
    ठुमक-ठुमककर आये बादल।
    दादुर, मोर, पपीहा को तो,
    मेघ-मल्हार सुनाये बादल।

    जिनके साजन हैं विदेश में,
    उनको बहुत सताये बादल।

    बहुत सुन्दर बिम्ब की खूब सूरती एवं रूपकत्व लिए है यह गीत।

    ReplyDelete
  9. तख्ते-हयात पे रखे चंद सफ़हे-बस्त पुराने..,
    अल्फाजों का मकड़ जाल हर्फ़ के सायबाने..,
    ख्याओं के सन्नाटे में खिजाओं के झींगुर..,
    जेबो-जरे-मकतूब वही रोटियों के अफसाने.....

    ReplyDelete

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