मैं राजेंद्र कुमार आज के इस शुक्रवारीय चर्चा में आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। आज फिर कुछ आपके ब्लॉगों के अपने पसंदीदा लिंकों के साथ उपस्थित हूँ।
आशा जी
रंग वासंती चहु और बिखरा
मुखड़ा धरती का निखारा
आ गयी वासंती पवन
छा गयी आँगन आँगन |
मुखड़ा धरती का निखारा
आ गयी वासंती पवन
छा गयी आँगन आँगन |
==============================================
राजीव कुमार झा
मनुष्य जब से दुनियां में आया,उसी समय से प्रकृति के अबूझ रहस्यों की थाह लेने में लगा है.बार-बार असफलता का मुंह देखने पर भी वह इस काम से कभी विरत नहीं हुआ.इतने पर भी वह स्वयं अपने बारे में और अपने आसपास के रहस्यों के बारे में बहुत कम जान पाया है.उसके सामने आए दिन कुछ न कुछ ऐसा आता रहता है,जिसे वह चमत्कार मानता है.
==============================================
सुशील कुमार जोशी
प्रकृति के सुंदर
भावों और दृश्यों
पर बहुत कुछ
लिखते है लोग
भावों और दृश्यों
पर बहुत कुछ
लिखते है लोग
==============================================
अनिता जी
प्रेम सभी के भीतर लबालब भरा है, भीतर ही भीतर छलकता रहता है, सभी आत्मा रूप में कितने पावन हैं, निष्पाप, छल-कपट से रहित पर वही आत्मा जब मन के रूप में, विचारों के रूप में, कर्म के रूप में बाहर आती है तो कितनी बदल जाती है.
==============================================
पी के शर्मा
पत्नी फोन पर बात कर रही थी। मैं अवाक रह गया। वार्तालाप का पचास परसैंट ही सुन पा रहा था। पत्नी भले ही न हो, पर उसकी तेजतर्रारी देखने लायक थी।
==============================================
शकुन्तला शर्मा
अस्मिन्न इन्द्र पृत्सुतौ यशस्वति शिमीवती क्रन्दसि प्राव सातये ।
यत्र घोषाता धृषितेषु खादिषु विष्वक्पतन्ति दिद्यवो नृषाह्ये ॥1॥
आदित्य - देव अति तेजस्वी हैं शौर्य - धैर्य से हैं भर- पूर ।
वे हम सबकी रक्षा करते दुनियॉ भर में हैं मशहूर ॥1॥
==============================================
यत्र घोषाता धृषितेषु खादिषु विष्वक्पतन्ति दिद्यवो नृषाह्ये ॥1॥
आदित्य - देव अति तेजस्वी हैं शौर्य - धैर्य से हैं भर- पूर ।
वे हम सबकी रक्षा करते दुनियॉ भर में हैं मशहूर ॥1॥
==============================================
अशोक पाण्डेय
जब फूल का सरसों के हुआ आके खिलन्ता
और ऐश की नज़रों से निगाहों का लड़न्ता
हमने भी दिल अपने के तईं करके पुखन्ता
और हंस के कहा यार से ए लकड़ भवन्ता
और ऐश की नज़रों से निगाहों का लड़न्ता
हमने भी दिल अपने के तईं करके पुखन्ता
और हंस के कहा यार से ए लकड़ भवन्ता
==============================================
यशोदा अग्रवाल
फिर यूँ हुआ ये काम ज़रूरी सा हो गया
जज़्बात पर लगाम ज़रूरी सा हो गया
हमसाये शर्मसार मिरी सादगी से थे
थोड़ा सा ताम-झाम ज़रूरी सा हो गया
जज़्बात पर लगाम ज़रूरी सा हो गया
हमसाये शर्मसार मिरी सादगी से थे
थोड़ा सा ताम-झाम ज़रूरी सा हो गया
==============================================
डॉ आशुतोष शुक्ला
ऊर्जा के अपने संकटों से जूझ रहे देश में जिस तरह से दिल्ली में सरकार और बिजली वितरण कम्पनियों के बीच रस्साकशी चालू है उसका सीधा असर पूरी तरह से सीधे ही जनता और बिजली क्षेत्र में किये जा रहे सुधारों पर ही पड़ने वाला है क्योंकि
==============================================
सुषमा आहुति
अब रंगो में प्यार के रंग मिलने लगे है
किसी के आने से मेरी भी जिंदगी में..
इंद्रधनुष रंग भरने लगे है....!
किसी के आने से मेरी भी जिंदगी में..
इंद्रधनुष रंग भरने लगे है....!
==============================================
प्रमोद जोशी
राजनीतिक लिहाज से तीसरे मोर्चे के फिर से खड़े होने और सांप्रदायिक हिंसा विधेयक के फिर से ठंडे बस्ते में चले जाने की खबर बड़ी हैं। जाति के आधार पर आरक्षण को लेकर जनार्दन द्विवेदी के बयान पर कांग्रेस सफाई देती फिर रही है। कोलकाता जाकर नरेंद्र मोदी ने दीदी और दादा के प्रति नरमाई बरतते हुए कांग्रेस के कसीदे कढ़े हैं।
==============================================
ललित चाहर
अपने शत्रुओं से प्रेम करो और जिन्होंने तु हें कष्ट दिया, उनके लिए प्रार्थना करो, ताकि तुम स्वर्ग में बैठे परमपिता के सच्चे पुत्र हो सको, जो अच्छे और बुरे दोनों के लिए सूर्योदय करता है और ईमानदार और अन्यायी, दोनों पर बारिश करता है।
==============================================
रश्मि शर्मा
पिंजरे की मुनिया
धूप देख
चहचहाती है
रोशनी से मिल
पंख अपने
फड़फड़ाती है
शाम बंद कोठरी में
धूप देख
चहचहाती है
रोशनी से मिल
पंख अपने
फड़फड़ाती है
शाम बंद कोठरी में
==============================================
उदय वीर सिंह
किस प्राणी की बात करूँ
सिर्फ विषधर नहीं विषैला है-
पिया दूध जिस आँचल का
उस आँचल को कहता मैला है -
सिर्फ विषधर नहीं विषैला है-
पिया दूध जिस आँचल का
उस आँचल को कहता मैला है -
==============================================
कल्पना रामानी
रात पर जय प्राप्त कर जब, जगमगाती है सुबह।
किस तरह हारा अँधेरा, कह सुनाती है सुबह।
त्याग बिस्तर, नित्य तत्पर, एक नव ऊर्जा लिए,
लुत्फ लेने भोर का, बागों बुलाती है सुबह।
किस तरह हारा अँधेरा, कह सुनाती है सुबह।
त्याग बिस्तर, नित्य तत्पर, एक नव ऊर्जा लिए,
लुत्फ लेने भोर का, बागों बुलाती है सुबह।
==============================================
अरुण कुमार निगम
मुझको हे वीणावादिनी वर दे
कल्पनाओं को तू नए पर दे |
अपनी गज़लों में आरती गाऊँ
कंठ को मेरे तू मधुर स्वर दे |
कल्पनाओं को तू नए पर दे |
अपनी गज़लों में आरती गाऊँ
कंठ को मेरे तू मधुर स्वर दे |
==============================================
नीरज कुमार
पर्वत की तुंग
शिराओं से
बहती है टकराती,
शूलों से शिलाओं से,
तीव्र वेग से अवतरित होती,
मनुज मिलन की
शिराओं से
बहती है टकराती,
शूलों से शिलाओं से,
तीव्र वेग से अवतरित होती,
मनुज मिलन की
==============================================
डॉ. जेन्नी शबनम
हवा बसंती
उड़ा कर ले गई
सोच ठिठुरी !
उड़ा कर ले गई
सोच ठिठुरी !
==============================================
अरुन शर्मा अनन्त
बदला है वातावरण, निकट शरद का अंत ।
शुक्ल पंचमी माघ की, लाये साथ बसंत ।१।
अनुपम मनमोहक छटा, मनभावन अंदाज ।
ह्रदय प्रेम से लूटने, आये हैं ऋतुराज ।२।
==============================================
आज में आपको जिस सॉफ्टवेयर के बारे में बता रहा हु वास्तव में बहुत ही अच्छा सॉफ्टवेयर हे ! आपमें से कही लोगो ने whatsapp का इस्तेमाल किया होगा और कर भी रहे
==============================================
तुम्हारी चाहत है मैं हँसूँ
देखो ना अब मैं हंस रही हूँ
पर जानते हो ना कुछ कमी है
मुस्काती नैनों की चमक वो नही है
देखो ना अब मैं हंस रही हूँ
पर जानते हो ना कुछ कमी है
मुस्काती नैनों की चमक वो नही है
==============================================
*~*~*~*~*~*~*
*~*~*~*~*~*~*
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
आशा
उम्दा चर्चा |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
जवाब देंहटाएंदेहरादून प्रवास से अभी लौटा हूँ।
दिन में देखता हूँ सभी लिंकों को।
वाह इतने सारे और अच्छे सूत्र ... बहुत आभार आपका. मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद राजेंद्र कुमार जी ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ! राजेंद्र जी.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ! आज की चर्चा में उल्लूक के सूत्र को शामिल किया "हर कोई हर बात को हर जगह नहीं कहता है" आभार राजेंद्र जी !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार!
अच्छी चर्चा !
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र जी, विविध विषयों पर लिंक्स से सजी चर्चा ! बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबीते कुछ दिनों से मैं ब्लॉगर जगत से दूर रहा, मेरे एग्जाम चल रहे थे, ढेर सारी कवितायेँ छूट गयी, कई कहानियो को मैं पढ़ नहीं सका, पर अब पढूंगा थोड़ी फुर्सत मिली है.
जवाब देंहटाएंइतने खूबसूरत रचनाओं से लिए समायोजक महोदय का बहुत-बहुत आभार..आप सब ऐसे ही लिखते रहिये...जिससे हिंदी साहित्य पुष्पित और पल्लवित होता रहे...
bahut acha sankalan, ismein mujhe sthan dene ke liye abhaar.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
मनभावन सूत्र सुंदर चर्चा। जाते हैं हर चिट्ठे पर।
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को शामिल करने का धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत सारे और अच्छे सूत्र...आराम से सब पढूंगी..मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार;;
जवाब देंहटाएंबसंत के मोहक रंगों से सजा रंगीला चर्चा-मंच. मुझे भी सम्मिलित करने हेतु आभार..........
जवाब देंहटाएं